झारखंड की इस बस्ती में 1956 से हो रही मुर्गों की लड़ाई, देखने के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं लोग Dhanbad News
गलफरबाड़ी के आदिवासी टोला में मुर्गा लड़ाने की परंपरा है। यहां मकर संक्रांति के पर्व पर मुर्गा लड़ाई का खेल होता है जिसमें बंगाल व ओडिशा से आये 572 मुर्गों ने हिस्सा लिया।
धनबाद, जेएनएन। आपने देश-दुनिया के कई हिस्सों में सांडों की लड़ाई व खेल की परंपरा देखी व सुनी होगी, लेकिन धनबाद जिले के एग्यारकुंड प्रखंड के गलफरबाड़ी के आदिवासी टोला में मुर्गा लड़ाने की खास परंपरा है। यहां मकर संक्रांति के पर्व पर मुर्गा लड़ाई खेल का आयोजन किया गया। इसमें झारखंड के कई जिलों, बंगाल व ओड़िशा से आये 572 मुर्गों को लड़ाया गया।
गलफरबाड़ी मांझी बस्ती में वर्ष 1956 से मुर्गा लड़ाई खेल का आयोजन होते आ रहा है। प्रत्येक साल मकर संक्रांति के दिन मुर्गा लड़ाई कराई जाती है। मुर्गा लड़ाने बंगाल व ओडिशा तक से लोग आते हैं। इसका एंट्री फीस 50 रुपए लगता है। एक मुर्गा द्वारा लगातार तीन मुर्गों को हराने पर प्राइज भी दिया जाता है। बुधवार दिन दो बजे आदिवासी टोला मैदान में मुर्गा लड़ाई का खेल आरंभ हुआ, जो शाम साढ़े छह बजे तक चला।
इसमें झारखंड, बंगाल व ओड़िशा से 572 मुर्गा लड़ाई के लिए पहुंचे थे। इसमें नौ मुर्गे विजयी रहे। मुगमा के शिवडंगाल, मुगमा मोड़, कुमारधुबी व धनबाद के एक मुर्गा, निरसा के दो मुर्गा और बंगाल के तीन मुर्गा ने लगातार तीन मुर्गों को हराया। मुर्गा लड़ाई देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे थे।