Weekly News Roundup Dhanbad: कोयला चोरी के नए ट्रेंड को जान हो जाइएगा हैरान, पावर प्लांट का माल हार्डकोक भट्ठा में
Weekly News Roundup Dhanbad केंद्रीय अस्पताल के चिकित्सकों व चिकित्साकर्मियों ने राहत की सांस ली। दो कोविड-19 पॉजिटिव मरीज आए थे। दोनों स्वस्थ होकर चले गए। टेंशन दूर हुआ।
धनबाद [ रोहित कर्ण ]। लॉकडाउन कुछ लोगों के लिए नया अवसर लेकर आया है। हाइवा पर ठप्पा तो पावर प्लांट का लगा होता है लेकिन वह हार्डकोक भट्ठों में जा घुसता है। दिनभर सन्नाटे में डूबे जीटी रोड पर रात गहराते ही हलचल शुरू हो जाती है। बरवाअड्डा से देवली तक कई भट्ठे इन दिनों चांदी काट रहे हैैं। यूं तो वाहनों की मॉनीटरिंग के लिए जीपीएस की व्यवस्था की गई है लेकिन इसे काफी पहले ही अवैध कोल कारोबारियों ने बेमानी साबित कर दिया है। इस व्यवस्था को धता बताकर कोयला चोरी करने के कई मामले पहले भी चर्चित रहे हैैं। बिना वजन कराए इतने बड़े पैमाने पर कोयला चलाना आम कारोबारियों के वश की बात भी नहीं। चर्चा ये है कि आउटसोर्सिंग कंपनी के मुखिया इसमें लिप्त हैं। कमाल ये भी कि रोज लगभग दो दर्जन हाइवा का माल लॉकडाउन के सन्नाटे में खप जा रहा है।
कहां जा रहा था कोयला
इधर-उधर बिखरे पड़े कोयले तो आधी रात में चोरी-छिपे कोक भट्ठों तक किसी तरह पहुंच जा रहे हैैं। जहां भी बीसीसीएल का डिपो है, उसके भीतर से कोयला चुराने वाले लगे रहते हैैं। उस राह पर इतने कोयले बिखरे रहते हैैं, चुनने से भी एकाध गाड़ी कोयला जमा हो जाएगा। यह तो सबको समझ आता है। चुराए गए कोयले हार्ड कोक भट्ठे में भी खप जाते हैैं। लॉकडाउन नहीं था तो यहां का वैध या अवैध कोयला उत्तर प्रदेश और बिहार की मंडियों में जाता था। अभी राज्य की बात छोडिय़े, जिलों की सीमा सील है। मंगलवार को निरसा और गोविंदपुर के कोक भट्ठों में छापा पड़ा। वाहन पकड़ाए जिन पर कोयला लद रहा था। कोयला कहां जा रहा था? इस पर लोग भौचक हैैं। तय है कि जिले के भीतर ही माल खपना था मगर बड़े साहब ने जाते-जाते बेड़ा गर्क कर दिया।
कहां छुपे हैं मसीहा...
कोलकर्मी कुलबुला रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनका आक्रोश साफ देखा जा सकता है। बस उन्हें नहीं दिख रहा जो इनके मसीहा बने फिरते हैैं। जाने कहां छुपे हैैं कि एक बयान अभी तक मजदूरों की सहानुभूति में नहीं निकला है। श्रमिकों की शिकायत है कि उन्हें सरकार कोरोना योद्धा क्यों नहीं मानती। इस विषम परिस्थिति में जब पूरा देश घर में घुसा हुआ है, वे बाहर निकल रहे हैैं। पूरी क्षमता से उत्पादन भी कर रहे लेकिन उन्हें कोई अतिरिक्त सुविधा देने के बदले वेतन काटा जा रहा है। डीए से महरूम किया जा रहा है। महामारी से सुरक्षा का भी कोई खास इंतजाम नहीं। कहां स्वास्थ्यकर्मियों को अतिरिक्त 50 लाख का बीमा, कहां उनके लिए बस मास्क व सैनिटाइजर। यह कहां का न्याय है। दर्द ये कि शिकायतें आपस में ही कर दुख दूर कर रहे। इतने सारे श्रमिक संगठन कहां चले गए।
यहां कोई इमरजेंसी नहीं
केंद्रीय अस्पताल के चिकित्सकों व चिकित्साकर्मियों ने राहत की सांस ली। दो कोविड-19 पॉजिटिव मरीज आए थे। दोनों स्वस्थ होकर चले गए। टेंशन दूर हुआ। अस्पताल के तमाम विभाग पहले ही बंद हैैं। इनके बंद होने से पहले जिले के इस सबसे बड़े अस्पताल में एक इमरजेंसी विभाग भी हुआ करता था। फिलहाल वह लापता है। ओपीडी के लिए अन्य चिकित्सकों को तो कोयला नगर ट्रेनीज हॉस्टल भेज दिया गया लेकिन इमरजेंसी सेवा स्थानांतरित न की जा सकी। कहा गया कि उपकरण यहां से नहीं ले जाए जा सकते। क्या पता कौन मरीज किस हाल में आए। कोरोना वायरस के इंफेक्शन के डर से यहां भी उसे जारी नहीं रखा गया। सो इमरजेंसी सेवा सहित यहां मौजूद कर्मी फिलहाल राहत की सांस ले रहे। यह आराम अच्छा है। कौन चाहेगा कि इनकी व्यस्तता बढ़े। उसके लिए नया पेशेंट जो लाना होगा। यह बला जल्द टले।