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अगर कोल इंडिया अधिकारी का ठीक नहीं रहा परफॉर्मेस तो 50 के बाद हटाए जाएंगे नौकरी से

कोल इंडिया के कॉमन कोल कैडर के अधिकारियों के असामयिक सेवानिवृत्ति नियमों में संशोधन किया गया है। इसके तहत अब 50 वर्ष आयु की दहलीज पर पहुंचे अधिकारियों की हर तीन महीने पर समीक्षा होगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 06:05 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 06:05 AM (IST)
अगर कोल इंडिया अधिकारी का ठीक नहीं रहा परफॉर्मेस तो  50 के बाद हटाए जाएंगे नौकरी से
अगर कोल इंडिया अधिकारी का ठीक नहीं रहा परफॉर्मेस तो 50 के बाद हटाए जाएंगे नौकरी से

जेएनएन, धनबाद : कोल इंडिया के कॉमन कोल कैडर के अधिकारियों के असामयिक सेवानिवृत्ति नियमों में संशोधन किया गया है। इसके तहत अब 50 वर्ष आयु की दहलीज पर पहुंचे अधिकारियों की हर तीन महीने पर समीक्षा होगी। यदि उनका प्रदर्शन ठीक नहीं रहा। अनुशासनहीनता, स्वास्थ्य या उपस्थिति का रिकॉर्ड सही नहीं रहा तो उन्हें सेवानिवृत्ति दी जा सकती है। हालांकि 59 वर्ष की आयु पूरी कर चुके अधिकारियों के कार्य की कोई समीक्षा नहीं की जाएगी।

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कोल इंडिया के कार्मिक, नीति महाप्रबंधक नीला प्रसाद ने सोमवार को इस संबंध में कार्यालय ज्ञापन जारी किया है। सभी अनुषंगी कंपनियों के सीएमडी व निदेशकों को जारी ज्ञापन में बताया गया है कि वे अधिकारी जो 35 वर्ष की आयु से पहले ही कंपनी में नियुक्त हुए। उनकी 50 वर्ष की उम्र पूरा होने के छह माह पहले से ही कार्य समीक्षा होनी शुरू हो जाएगी। यह समीक्षा प्रत्येक तीन महीने के कार्य के आधार पर होगी। यह तब तक जारी रहेगी जब तक कि वे 59 वर्ष के नहीं हो जाते। 59 वर्ष के बाद समीक्षा बंद कर दी जाएगी।

35 वर्ष के बाद कंपनी में नियुक्त हुए अधिकारियों की समीक्षा 55 वर्ष के होने के छह माह पहले से शुरू होगी। अन्य प्रक्रिया सभी के लिए एक जैसी होगी। समीक्षा के दौरान अधिकारियों की लंबे समय से बिना बताए अनुपस्थिति, स्वास्थ्यगत समस्याएं, अनुशासन व कार्यक्षमता संबंधी मामलों की समीक्षा की जाएगी व उसी के आधार पर उनका सीआर लिखा जाएगा। वर्ष 2017 में लागू हुआ था नियम

कामन कोल कैडर के अधिकारियों के लिए असामयिक सेवानिवृत्ति का यह नियम वर्ष 2017 में जारी हुआ था। इसके तहत अधिकारियों का प्रदर्शन सही नहीं होने पर संबंधित विभाग के कार्यकारी अधिकारी अपने मातहतों की रिपोर्ट कोल इंडिया मुख्यालय को भेजेंगे। जिसके आधार पर दोषी को जबरन सेवा मुक्त करने की सलाह दी जाएगी। इस नियम के तहत सेवा मुक्त किए जाने वाले अधिकारियों को उनके पीएफ-ग्रैच्यूटी जैसे लाभ मिलेंगे, लेकिन स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के तहत मिलने वाली सुविधाएं नहीं मिलेंगी।


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