Move to Jagran APP

COVID से हुई मौत के आंकड़े छुपाने का COAL INDIA पर लगा आरोप...सफाई में मंत्री जी ने कही ये बात

कोल इंडिया व उसकी अनुषंगी कंपनियां कोविड-19 से मारे गए श्रमिकों के आंकड़े छुपा रही है। 15 लाख का एक्सग्रेशिया देने से बचने के लिए अन्य बीमारियों का बहाना बनाया जा रहा है। ठेका कर्मियों के साथ भेदभाव बरती जा रही है।

By Atul SinghEdited By: Published: Wed, 07 Jul 2021 06:26 AM (IST)Updated: Wed, 07 Jul 2021 09:54 AM (IST)
COVID से हुई मौत के आंकड़े छुपाने का COAL INDIA पर लगा आरोप...सफाई में मंत्री जी ने कही ये बात
कोल इंडिया व उसकी अनुषंगी कंपनियां कोविड-19 से मारे गए श्रमिकों के आंकड़े छुपा रही है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

जागरण संवाददाता, धनबाद: कोल इंडिया व उसकी अनुषंगी कंपनियां कोविड-19 में मारे गए श्रमिकों के आंकड़े छुपा रही है। 15 लाख का एक्सग्रेशिया देने से बचने के लिए अन्य बीमारियों का बहाना बनाया जा रहा है। ठेका कर्मियों के साथ भेदभाव बरती जा रही है। सिंगरेनी कोलियरी समेत कई कंपनियों में उन्हें कोविड से मौत घोषित होने पर भी 15 लाख की मुआवजा राशि नहीं दी जा रही। कई जगह तो राशि देकर ठेकेदारों की ओर से वापस ले लिया जा रहा है। ये आरोप मंगलवार को दिल्ली में कोयला खदानों में सुरक्षा के लिए बनी स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने उठाया। बैठक की अध्यक्षता कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी कर रहे थे।

loksabha election banner

मंत्री ने दिया सकारात्मक आश्वासन

मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सकारात्मक आश्वासन दिया। कहा कि श्रमिक प्रतिनिधियों के सुझाव को अमल में लाया जाएगा। उन्होंने अस्पतालों को विकसित करने पर भी सहमति जताया लेकिन कहा कि चिकित्सकों की कमी इसमें बड़ी समस्या है। इसी वजह से सेवानिवृत्त चिकित्सकों को ठेका पर रखना पड़ रहा है। लिहाजा सूचीबद्ध अस्पतालों का सिस्टम तत्काल खत्म नहीं किया जा सकता। सुरक्षा पर होने वाले सम्मेलन की अनुशंसाओं को लागू करने की रिपोर्ट पेश नहीं होने पर उन्होंने कहा कि अगली बार से यह शिकायत नहीं रहेगी। सुरक्षा को लेकर मंत्रालय पूरी तरह गंभीर है। यही वजह है कि पांच जून के ठीक छह माह बाद छह जुलाई को बैठक की जा रही है। अनुषंगी कंपनियां भी छह महीने पर बैठक करें।

आउटसोर्सिंग कंपनियों व कर्मियों को करें प्रशिक्षित

एटक के सी जोसफ ने बताया कि बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि माइंस एक्ट ठेका कर्मियों व नियमित कर्मियों में भेदभाव नहीं करता। बावजूद इसके कंपनियां भेदभाव कर रही हैं। सिंगरेनी कोलियरी में कोविड मौत पर भी ठेका कर्मियों को 15 लाख रुपये नहीं दिए जा रहे। अन्य कंपनियों में भी अधिकांश काम आउटसोर्सिंग कंपनियों की ओर से हो रहा है। ये कंपनियां भी अपने मातहत ठेकेदार रखती हैं। उन ठेकेदारों की ओर से सुरक्षा उपायों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। उन्हें व उनकी कंपनियों के लिए सुरक्षा उपायों की जानकारी को शिविर लगाया जाए। उनका कैंपस खनन क्षेत्र से बाहर रखा जाना चाहिए। ठेका कर्मियों को भी सुरक्षा के तमाम साधन मिलने चाहिए।

सूचीबद्ध अस्पतालों का सिस्टम खत्म हो 

जोसफ व बीएमएस के के लक्ष्मा रेड्डी का कहना था कि कोल इंडिया सूचीबद्ध अस्पतालों का सिस्टम खत्म करे। महामारी के दौरान इन्होंने मजदूरों के इलाज के बजाए उनका आर्थिक शोषण ही किया। हर जगह एडवांस रकम जमा करवाए गए। कई राज्यों में केंद्रीय अस्पतालों को कोविड केयर सेंटर बनाए जाने से वहां भी मजदूरों को बेड नहीं मिले। लिहाजा कंपनी अपने अस्पतालों को विकसित करे और रेफर करने का सिस्टम खत्म करे। कोविड प्रभावित नियमित व ठेका कर्मियों को 15 दिन के आकस्मिक अवकाश की मांग भी की गई।

पेंशन बढ़ाकर 1000 रुपये करें

 बैठक में पुरानी पेंशन नीति के तहत कोल इंडिया के कर्मियों को कम पेंशन मिलने की बात भी उठाई गई। एचएमएस नेता नाथूलाल पांडे ने कहा कि आज भी कई कर्मियों को 200-400 रुपये दिए जाते हैं। ऐसे तकरीबन 15000 कर्मी हैं। के लक्ष्मा रेड्डी ने ईपीएस-95 का उदाहरण देते हुए कहा कि कम से कम 1000 रुपये करने की मांग की। कर्मियों को घटिया गम बूट देने की बात भी उठी। कहा गया कि यह कुछ ही महीने में फट जाता है। सचिव ने बूट के बदले रकम देने की बात कही जिसे श्रमिक प्रतिनिधियों ने ठुकरा दिया। कहा कि बाजार में बेहतर गुणवत्ता के बूट नहीं हैं। उन्हें खरीदकर दिया जाए।

स्लोप स्टैबिलिटी रडार जल्द लगाया जाए 

खदानों की सुरक्षा पर भी बात हुई। बताया गया कि ओबी डंप की स्थिरता के लिए पिछली बैठक में स्लोप स्टैबिलिटी रडार खरीदने की बात हुई थी। इसे जल्द लगाया जाए। खदानों सी जोसफ का कहना था कि कोल इंडिया कोयले के उत्पादन की जानकारी लेती है पर ओबी की नहीं। हकीकत है कि जितनी अधिक संख्या में ओवरबर्डन निकाला जाए, खदान की सुरक्षा उतनी बढ़ जाती है।

शोध-अनुसंधान का बजट बढ़ाएं

कोल इंडिया से नयी तकनीकों के लिए शोध व अनुसंधान के लिए बजट बढाने की मांग की गई। कहा गया कि नयी तकनीकों से ही सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है। अभी मुनाफे का मात्र 0.5 फीसद राशि ही इस मद में दी जा रही है। इसे बढ़ाकर कम से कम 1.0 फीसद किया जाए।

तकनीकी कर्मियों की हो बहाली 

बैठक में मौजूद खान सुरक्षा महानिदेशालय के महानिदेशक प्रभात कुमार ने खदानों में तकनीकी कर्मियों की बहाली विशेष कर माइनिंग सरदार, ओवरमैन की कमी पर चिंता जताई। उन्होंने सुरक्षा के लिए खदानों का मशीनीकरण पर जोर दिया। महानिदेशक ने कहा कि अधिकांश खदानें अभी भी पारंपरिक ही हैं। इनका जितना अधिक यांत्रिकीकरण किया जाए उतनी ही ये सुरक्षित रहेंगी।

एल-1 प्रक्रिया करेंगे विकसित

कोल इंडिया चेयरमैन ने बताया कि स्लोप स्टैबिलिटी रडार पूरी तरह विदेशी तकनीक है। कोल इंडिया इसे खरीदने का मन बना चुकी है। अनुषंगी कंपनियां भी इसके लिए निविदा कर सकती हैं। हालांकि जेम पोर्टल से इसके निविदा में कमी यह है कि उसमें कम से कम 20 फीसद पार्ट्स देश में बनने चाहिए। इस तकनीक में सिर्फ तीन विदेशी कंपनियां हैं जो इसे इंस्टाल कर सकती हैं। समस्या यह भी है कि जिन्हें काम नहीं मिलता वह शिकायत कर बैठती हैं और मामला फंस जाता है। इसके लिए एल-1 प्रक्रिया अपनाने पर विचार किया जा रहा है। चेयरमैन ने प्रतिनिधियों की मांग पर हर हाल में इसी माह जेबीसीसीआइ-11 की बैठक करने का आश्वासन दिया। कहा कि 17 को कोल इंडिया सेफ्टी बोर्ड की बैठक के बाद कभी भी बैठक की जा सकती है।

फंड की नहीं कमी

नाथूलाल पांडे के मुताबिक कोयला सचिव ने कहा कि सुरक्षा उपायों के लिए फंड की कमी नहीं होने दी जाएगी। हमारे पास जो बजट है वह भी खर्च नहीं हो रहा। शोध-अनुसंधान की राशि बढ़ाई जाएगी। कर्मियों की सुरक्षा के लिए डकबैग या अन्य कंपनियों के गम बूट मंगाए जाएंगे। अन्य सुझावों पर भी गौर किया जाएगा।

बैठक में ये थे उपस्थित

बैठक में मंत्री प्रल्हाद जोशी के अलावा कोयला सचिव अनिल कुमार जैन, कोल इंडिया चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल, डीजीएमएस के महानिदेशक प्रभात कुमार, बीसीसीएल के सीएमडी पीएम प्रसाद व अन्य कंपनियों के सीएमडी, बीसीसीएल के तकनीकी निदेशक चंचल गोस्वामी, बीएमएस के के लक्ष्मा रेड्डी, संजय सिंह, एचएमएस के नाथूलाल पांडे, एटक के सी जोसफ व सीटू के मानस मुखर्जी शामिल थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.