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आदिवासी बेटियों के लिए भगवान राम से कम नहीं यह श्रीराम, जानिए Dhanbad News

श्रीराम के कोचिंग कैंप में 50 से अधिक लड़कियां प्रशिक्षण ले रही हैं। इनमें से 30 आदिवासी हैं। कैंप की दुर्गा कुमारी मुर्मू ने झारखंड अंडर-23 क्रिकेट टीम की कप्तानी कर नाम रोशन किया

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 07:51 AM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 07:51 AM (IST)
आदिवासी बेटियों के लिए भगवान राम से कम नहीं यह श्रीराम, जानिए Dhanbad News
आदिवासी बेटियों के लिए भगवान राम से कम नहीं यह श्रीराम, जानिए Dhanbad News

धनबाद [राजीव शुक्ला]। झारखंड के सिंदरी में पूर्व क्रिकेटर श्रीराम दुबे आदिवासी बेटियों को क्रिकेट चैंपियन बनाने में जुटे हैैं। उनके निश्शुल्क कोचिंग कैंप से निकली सात लड़कियां झारखंड स्टेट की विभिन्न आयु वर्ग की टीमों में प्रतिभा दिखा रही हैं, जबकि 11 लड़कियां धनबाद जिला टीम में हैं।

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श्रीराम के कोचिंग कैंप में 50 से अधिक लड़कियां प्रशिक्षण ले रही हैं। इनमें से 30 आदिवासी हैं। 2017 में कैंप की दुर्गा कुमारी मुर्मू ने झारखंड अंडर-23 क्रिकेट टीम की कप्तानी कर नाम रोशन किया। श्रीराम कहते हैं कि पिछड़े आदिवासी क्षेत्र के बेहद गरीब परिवारों की ये बेटियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकें, यही मेरा मकसद है और सच्ची गुरुदक्षिणा भी यही होगी। बेटियों को चैंपियन बनाने के उनके जुनून को इसी से समझा जा सकता है कि खुद अभावों से जूझते हुए भी वह कैंप के संचालन में हर माह आने वाले हजारों रुपये के खर्च को चंदा जुटाकर पूरा करते हैैं।

निजी स्कूल में खेल शिक्षक के रूप में कार्यरत श्रीराम ने बताया कि सिंदरी के आसपास कई आदिवासी गांव हैं। शुरू से देखा कि गरीबी के कारण आदिवासियों का जीवन संघर्षमय है। तमन्ना थी कि इनके लिए कुछ कर सकूं तो जीवन सार्थक हो जाएगा। इस बीच बीपीएड (बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन) की डिग्री ले ली थी। अच्छा क्रिकेट खिलाड़ी था। इस कारण विनोबा भावे विश्वविद्यालय में क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया। फिर एक दिन विचार आया कि यहां की लड़कियों को अच्छा क्रिकेटर बना कर इनकी कुछ मदद कर सकता हूं। क्रिकेट के खेल के जरिये आदिवासी बेटियों की किस्मत चमकाने की ठान ली। जानता था कि ये लड़कियां दौड़ में तेज होती हैं और अच्छे मार्गदर्शन से इन्हें अच्छा खिलाड़ी बनाया जा सकता है। हम गांव-गांव गए। बेटियों को क्रिकेट खेलने को प्रेरित किया। आठ साल पहले 2011 में बलियापुर हवाई पट्टी मैदान में निश्शुल्क क्रिकेट कोचिंग कैंप शुरू किया। तब आधा दर्जन लड़कियां आईं। आज यहां 50 से अधिक लड़कियां हैं।

श्रीराम बताते हैैं, कैंप में बच्चियों को रोज पांच घंटे अभ्यास कराना शुरू किया। 2013 में कैंप की पहली लड़की रोमा कुमारी महतो झारखंड अंडर-19 के लिए चयनित हुई। 2014 में दुर्गा का स्टेट अंडर-19 टीम में चयन हुआ। आज कैंप की सात लड़कियां स्टेट टीम में खेल रही हैं। श्रीराम बताते हैं कि आदिवासी लड़कियों ने मुझे पहचान दी है। इन्हें राह मिल जाए तो वे मंजिल तक पहुंचकर ही दम लेती हैं। कैंप की रोमा कुमारी महतो 2016 से, दुर्गा 2017 से और सुनीता 2018 से  झारखंड सीनियर टीम का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। सुनीता, लक्ष्मी मुर्मू, मीरा महतो अंडर-19 स्टेट टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। अंडर-16 स्टेट टीम में अनीता माजी, किरण कुमारी और लक्ष्मी मुर्मू खेली हैं। इन सातों के अलावा उर्मिला सोरेन, पुष्पा कुमारी, सीमा हेंब्रम और पूनम जिला टीम में हैं।

श्रीराम दुबे के पिता नंदा दुबे सिंदरी खाद कारखाने के रिटायर कर्मी हैं। खुद की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे में श्रीराम कैंप के संचालन के लिए अपने कुछ साथियों और टाटा की टीएसआरडीएस संस्था की मदद लेते हैं।


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