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सीएम जनसंवाद में धनबाद से पहुंच रही औसतन 270 फरियाद

मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र में हर महीने धनबाद से फरियाद करने वालों की संख्या औसतन 270 है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Apr 2018 11:24 AM (IST)Updated: Wed, 25 Apr 2018 11:24 AM (IST)
सीएम जनसंवाद में धनबाद से पहुंच रही औसतन 270 फरियाद

मृत्युंजय पाठक, धनबाद: मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र में हर महीने फरियाद करने वालों की संख्या औसतन 270 है। तीन साल में धनबाद से शिकायत दर्ज कराने वालों की संख्या 9713 है। इनमें 6772 मामलों का निष्पादन हो चुका है, जबकि 1383 मामले पेंडिंग हैं।

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मंगलवार को मुख्यमंत्री जनसंवाद ने तीन वर्ष पूरे किए। इस मौके पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सबको बधाई दी। मुख्यमंत्री जनसंवाद में आने वाले मामले की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हर मंगलवार को मुख्यमंत्री के सचिव सुनील कुमार वर्णवाल करते हैं, जबकि महीने के अंतिम मंगलवार को मुख्यमंत्री सीधी बात करते हैं। वह फरियादियों को अपने साथ रांची स्थित सूचना भवन में बिठाते हैं और वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जिला उपायुक्त और एसपी से जवाब-तलब करते हैं। धनबाद में मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र के नोडल पदाधिकारी एडीएम शशि प्रकाश झा ने बताया कि तीन साल में प्राप्त शिकायतों में 85.76 प्रतिशत मामलों में एक्शन हुआ है। 14.24 प्रतिशत मामले ही पेंडिंग है।

वेबसाइट पर धनबाद की केस स्टडी: मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र की वेबसाइट पर डेढ़ दर्जन वैसी केस स्टडी उदाहरण के तौर पर प्रदर्शित की गई है जिन मामलों में त्वरित कार्रवाई हुई है। केस स्टडी में धनबाद की दो स्टोरी है।

एक कॉल पर मिला बिजली कनेक्शन: धनबाद के चिरकुंडा में रहने वाली सविता देवी ने अपने घर में बिजली कनेक्शन लेने के लिए मई 2014 में चिरकुंडा स्थित विद्युत आपूर्ति कार्यालय में आवेदन दिया था। बिजली कनेक्शन लेने के लिए लगने वाला शुल्क भी जमा कराया। बावजूद कनेक्शन नहीं दिया जा रहा था। बार बार विभागीय अधिकारियों से आग्रह के बाद भी कनेक्शन नहीं मिल पा रहा था। हर बार कोई न कोई तकनीकी समस्या बताकर अधिकारी टाल देते थे। इस तरह विभागीय दफ्तर का चक्कर काटते-काटते तीन साल बीत गए, परंतु इनके घर तक बिजली नहीं पहुंची। इस बीच सविता देवी को किसी ने मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र के विषय में बताया। सविता देवी ने 26 सितंबर 2017 को 181 पर कॉल करके शिकायत दर्ज करा दी। शिकायत दर्ज होने के बाद विभागीय स्तर पर पहले सविता देवी को ही गलत ठहराने की कोशिश हुई। विभाग ने कहा कि उक्त मकान को आवेदिका ने किराये पर लिया है और मकान मालिक द्वारा वहां कनेक्शन देने से मना किया जा रहा है। तब फिर शिकायतकर्ता ने बताया कि उक्त मकान को इन्होंने किराये पर नहीं लिया है, बल्कि उस मकान को जिला उद्योग केंद्र द्वारा इन्हें आवंटित किया गया है। इससे संबंधित दस्तावेज भी इन्होंने उपलब्ध कराए। शिकायतकर्ता की बातों को गंभीरता से लेते हुए जनसंवाद केंद्र ने पुन: संबंधित विभाग से संपर्क किया। उन्हें पूरी वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया। सारी बात सामने आने के बाद अंतत: विभाग ने इन्हें बिजली कनेक्शन उपलब्ध करा दियाऔर फिर जैसे ही सविता देवी के घर में बिजली आई, पूरे परिवार का चेहरा जगमगा उठा।

..और शुरू हुआ पानी का छिड़काव: धनबाद के सिजुआ में ट्रकों के जरिए कोयले की ट्रासपोर्टिंग के दौरान निर्धारित मापदंडों का पालन न किए जाने से स्थानीय बाशिदे परेशान थे। खुले ट्रकों में बगैर तिरपाल ढंके कोयले की ओवरलोडिंग और ट्रासपोर्टिंग की वजह से पूरा इलाका गर्दो-गुबार से भर जाता था। यहा ट्रासपोर्टिंग करने वाली मा अम्बे माइनिंग कंपनी की सबसे ज्यादा शिकायतें मिल रही थीं। इसे लेकर स्थानीय लोगों ने पहले तो कंपनी प्रबंधन से शिकायत की परंतु कोई समाधान नहीं हुआ। लोगों के भारी विरोध के बाद जोगता थाने में इसे लेकर एक मामला भी दर्ज हुआ। बावजूद इसके प्रशासनिक स्तर पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय नागरिकों की समस्या बढ़ती जा रही थी। सुबह सुबह स्कूल जाने वाले बच्चे काफी परेशान हो रहे थे। कंपनी प्रबंधन व प्रशासनिक स्तर पर बरती जा रही शिथिलता को लेकर स्थानीय नागरिकों ने 8 अक्टूबर 2017 को मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई। जनसंवाद केंद्र ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पूरी वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए कार्रवाई का आग्रह किया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भारत कोकिंग कोल लिमिटेड को पत्र लिखकर समस्या का निष्पादन करने को कहा। बोर्ड ने बीसीसीएल को लिखे पत्र में स्पष्ट कहा कि यदि पर्यावरण के नियमों का पालन नहीं किया जाता है तो उक्त कंपनी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद विभाग हरकत में आया। कंपनी को यह निर्देश जारी किया गया कि पर्यावरण के मानकों का ख्याल रखते हुए कोयला ढोने का काम किया जाए। सिर्फ एक निर्देश से कंपनी ने तुरंत अपनी कार्यप्रणाली सुधार ली। कोयला की ढुलाई अब तिरपाल से ढंककर होने लगी। इसके अलावे कंपनी द्वारा इलाके की सड़कों पर नियमित पानी का छिड़काव भी किया जाने लगा। इस तरह से स्थानीय लोगों की एक बड़ी समस्या का समाधान हो गया।


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