कानून ने काम किया, मानवता शर्मशार हुई
बाघमारा / भीमकनाली: नदखरकी बस्ती टु के रैयत के खिलाफ कानून ने तो अपना काम कर दिया लेकिन
बाघमारा / भीमकनाली: नदखरकी बस्ती टु के रैयत के खिलाफ कानून ने तो अपना काम कर दिया लेकिन मानवता शर्मशार हो गई। घर से निकाले जाने के बाद बेघर किए गए रैयत रवि पांडेय तथा मदन पांडेय का परिवार ठंड में रात भर ठिठुरता रहा। प्रशासन या सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनके लिए ठहरने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की।
शनिवार को कोर्ट के आदेश पर प्रशासन ने जबरन घर से निकालकर बाहर कर दिया। ब्लॉक दो क्षेत्र के परियोजना का विस्तार करने के लिए की गई इस कारवाई से विस्थापितों के भविष्य पर ग्रहण लग गया है। रविवार को खबर पाकर कई रिश्तेदार उनसे मिलने पहुंचे तथा दिलासा दिया। प्रशासनिक करवाई के बाद पीड़ित परिवार टूटे घर के बाहर चूल्हा जलाकर उसमे खाना बना रहे हैं। जब जागरण की टीम पीड़ितों का हाल जानने पहुंची तो वहां का दृश्य कारुणिक था। एक कोने में 60 वर्षीय वृद्धा सरोज देवी अपने रिश्तेदारों के साथ बैठी थी। पूछने पर कहा बाबू हम गरीब हैं इसलिए कानून प्रशासन से हार गए। अगर पैसा होता तो मुकदमा नहीं हारते। इसी भूखंड पर दर्जनों लोगों ने नौकरी ली है। जिसका यहां कुछ भी नहीं था वे लोग बीसीसीएल में नौकरी कर रहे हैं। उनका सबकुछ यहीं था फिर भी अधिकार नहीं मिला और प्रशासन ने धक्का मारकर अपने ही घर से निकाल दिया। महिला अपनी बात कहते कहते फफक कर रो पड़ी। कहा कि यही दिन देखने के लिए अपने पूर्वजों की जमीन को संभाल कर रखा था। उनलोगों के पास इस जमीन और घर के अलावा कोई संपत्ति नहीं है। घटना के बाद अब पीड़ित परिवार दूसरे जगह ठौर तलाशने में जुटा है। पांडेयडीह में उनके कुछ रिश्तेदार रहते हैं। वहां शरण लेने की तैयारी हो रही है। जीएम बीके सिन्हा ने कहा कि कोर्ट सर्वोपरि है और उसी के आदेश के आलोक में प्रशासन ने अतिक्रमित भूमि को मुक्त कराया है।
बीसीकेयू नेताओं ने लगाया मरहम :
घटना के बाद रविवार को बीसीकेयू नेता जेके झा पीड़ित परिवार से मिलने नदखरकी पहुंचे। उन्होंने रैयतों को ढाढस बंधाया तथा कहा कि आपकी लड़ाई में लाल झंडा साथ है। झा ने मौके से ही बीसीसीएल के डीपी को फोन कर मामले की जानकारी दी और तथा कहा कि खुले आसमान के नीचे रैयत रह रहे हैं। उनके लिए एक क्वार्टर अलॉट किया जाए। झा ने कहा कि प्रबंधन ने विस्थापितों के साथ अन्याय किया है। बगैर नियोजन मुआवजा तथा विस्थापन के इस तरह घर पर डोजर चलाना बर्बरतापूर्ण है। उनके साथ पूरन महतो, नकुल महतो समेत अन्य थे।