Move to Jagran APP

जुगनू हूं, अंधेरे में देख लेता हूं, नहीं जाता मंदिर-मस्जिद, बुजुर्गों के आगे मत्था टेक लेता हूं...

गंगा गोशाला कतरास में शुक्रवार की रात कवियों की महफिल सजी। देश के विभिन्न भागों से नामचीन कवियों ने कविता के माध्यम से राष्ट्रीयता व गोमाता की सेवा व पूजा का पाठ पढ़ाया।

By Edited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 09:42 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 01:29 PM (IST)
जुगनू हूं, अंधेरे में देख लेता हूं, नहीं जाता मंदिर-मस्जिद, बुजुर्गों के आगे मत्था टेक लेता हूं...
जागरण संवाददाता, कतरास: गंगा गोशाला कतरास में शुक्रवार की रात कवियों की महफिल सजी। देश के विभिन्न भागों से नामचीन कवियों ने कविता के माध्यम से राष्ट्रीयता व गोमाता की सेवा व पूजा का पाठ पढ़ाया। हास्य व्यंग्य के कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाकर श्रोताओं की दिल में गुदगुदी पैदा कर दी। खासकर श्रृंगार रस के काव्य पाठ ने खूब तालियां बटोरी।
सम्मेलन का उद्घाटन मनोज खेमका ने किया। उत्तर प्रदेश के इटावा से आए युवा कवि गौरव चौहान ने माहौल में वीर रस की कविताएं सुनाकर श्रोताओं की धमनियों में राष्ट्रीयता की भावना का संचार कर दिया। काव्य पाठ करते हुए कहा कि ये जज्बा जंग लड़ने का कभी भी चूक नहीं सकता, कभी ये काफिला कुर्बानियों का रुक नहीं सकता, कन्हैया हो या खालिद हो, लगा ले जोर कितना भी, बदन में जान है तब तक तिरंगा झुक नहीं सकता।
मध्य प्रदेश से आए पंडित अशोक नागर ने कविता पाठ कर खूब दाद लूटी। बस जातिवाद के दंगे भारत माता के लिए और गंदगी दुनियां भर की गंगा माता के लिए। दु:ख इससे अधिक क्या होगा धरती माता के लिए दो गज जमीन ना छोड़ी गो माता के लिए..। मध्य प्रदेश के आगर मालवा से आए मोहन गोस्वामी ने कविता के माध्यम से लोगों को धार्मिक व विश्व गुरु को होने का बोध कराया। उन्होंने कहा कि विश्व में यदि हम विश्व गुरु कहलाते हैं तो धर्म क्षेत्र में भी बड़ा नाम होना चाहिये। हिंदू- मुस्लिम सब शीश झुकाए जहां ऐसा नेक पावन मुकान होना चाहिए.. आदि कविता का पढ़कर खूब तालियां बटोरी।
मध्यप्रदेश से आए हुकूम सिंह देशप्रेमी ने पाषाणों में मानते हम सीताराम रहते हैं, मथुरा द्वारिका जाते हैं कहां घनश्याम रहते हैं, मंदिर-मंदिर माथा टेकें वहां भगवान रहते हैं। सुन ले गो माता के चरणों में सब धाम रहते हैं। नागपुर से आए हास्य कवि आनंद राज आनंद ने लोगों को अपनी कविता पाठ से लोगों को लोटपोट कर दिया बल्कि समाज को एक आइना भी दिखाने का काम किया। इन नजारों को देख आंख सेंक लेता हूं, मैं जुगनू अंधेरों में भी देख लेता हूं, नहीं जाता मैं किसी मंदिर और मस्जिद में, इन बुजुर्गो के आगे माथा टेक लेता हूं।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.