राहुल गांधी के संबोधन से दुखी हैं चाैकीदार, मोदी के खुद के नामकरण से खुश
तेतुलमारी थाना में ड्यूटी बजा रहे कन्हैया यादव कहते हैं कि चौकीदार चोर सुनकर बहुत बुरा लगता है। चौकीदार चोर नहीं हो सकता। दूसरी ओर हम लोग को चौकीदारी करने का भी वक्त नहीं मिलता है।
धनबाद, रोहित कर्ण। पिछले लोकसभा चुनाव में 'बाबाजी का ठुल्लू' की तरह इस चुनाव में 'मैं भी चौकीदार' खूब ट्रेंड कर रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर अकाउंट को 'चौकीदार नरेंद्र मोदी' क्या किया कि उनके समर्थकों में भी मैं चौकीदार लिखने का जो ट्रेंड शुरू हुआ वह बदस्तूर आगे बढ़ रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के 'चौकीदार चोर है' के नारे के खिलाफ चले इस अभियान से अब तक करोड़ों भाजपाई व मोदी समर्थक जुड़ चुके हैं।दूसरी ओर इन सब चुनावी हथकंडों से बेखबर वास्तविक ग्रामीण चौकीदार अपने-अपने थाने में ड्यूटी बजा रहे हैं। इस बात से खुश तो हैं कि देश का प्रधानमंत्री खुद उनकी कतार में खड़े हैं पर वे इस बात से भी वाकिफ हैं कि इससे उनकी हकीकत नहीं बदलने वाली।
तल्ख हकीकत यही है कि जहां पूरा देश एक दिन पहले होली की उमंगों में डूब उतरा रहा था, जिले के इन चौकीदारों की होली फीकी थी। वेतन नहीं मिलने के कारण उनकी होली बेरंग रही। अधिकांश चौकीदारों का यही मानना था कि ये सब चुनावी चोचले हैं। सच्चाई यह है कि अब तो हमारी चौकीदारी तो नहीं रही। बल्कि सभी चौकीदार संबंधित थाने में ही दिनभर ड्यूटी करते हैं। हम तो चाकर हो गए हैं। इन चौकीदारों का दर्द है कि गांव में चौकीदारी तो अब होती नहीं। जागते रहो वाली चौकीदारों की छवि अब किस्से-कहानी और सिनेमा तक सीमित है। गांव चौकीदार तभी जा पाते हैं जब या तो थाने की कोई सूचना चस्पा करनी हो या किसी की पहचान करनी हो।
बुरा लगता है चौकीदार चोर सुनकर : तेतुलमारी थाना में ड्यूटी बजा रहे कन्हैया यादव कहते हैं कि चौकीदार चोर सुनकर बहुत बुरा लगता है। चौकीदार चोर नहीं हो सकता। दूसरी ओर हम लोग को चौकीदारी करने का भी वक्त नहीं मिलता है। मेरी बीट चंदौर गांव है, लेकिन थाना में दिन भर ड्यूटी करता हूं। कभी कोर्ट तो कभी एसी ऑफिस की दौड़ लगाते हैं। डाक ड्यूटी में ज्यादा काम करना पड़ता है। दरअसल चोर चौकीदार नहीं है, चौकीदार को चौकीदारी से हटा दिया गया है इसलिए चोरों की बन आई है। हमें हमारी चौकीदारी दिला दीजिए आधा अपराध खत्म हो जाएगा।
प्रधानमंत्री चौकीदार बने खुशी की बात है : केंदुआडीह थाना में ड्यूटी कर रहे चौकीदार छोटेलाल पासवान की भी यही शिकायत है। उनका कहना है कि तीन-चार माह में एक बार वेतन मिलता है। होली बीत गई पर इस बार वेतन नहीं मिला। त्योहार फीका हो गया। चौकीदारी तो निचितपुर गड़ेरिया और टिकमनी गड़ेरिया की है पर वहां जाते कहां हैं। मेरी ड्यूटी कैदी की पहरेदारी है। कैदी थाना में रहे तो 48 घंटे तक लगातार ड्यूटी करनी पड़ती है जब तक उसे कारागार तक न पहुंचा दें। प्रधानमंत्री अपने को चौकीदार बता रहे अच्छी बात है। कभी उनकी सभा में सेवा का मौका मिला तो और खुशी होगी।
चौकीदार कहां अब तो चाकर बन गए : केंदुआडीह थाना के ही लक्ष्मी प्रसाद वर्मा बताते हैं कि उनके मातहत छोटा खरिकाबाद व बड़का खरिकाबाद गांव है। काम गोंदूडीह ओपी में चलता है। वहीं सुरेश पासवान भी हैं जिनकी बीट बसेरिया और तिवारी बस्ती है। प्रवेश दुसाध के पास कुर्मीडीह और गोधर गांव आता है। सभी की ड्यूटी बंटी है। किसी को डाक पहुंचानी है तो किसी को चपरासी की ड्यूटी करनी होती है। चायपानी कराने से लेकर स्टेशन डायरी तक हम लोग ही करते हैं। थाना में सिपाही कहां हैं। सब काम तो ग्रामीण पुलिस ही करती है। सुविधा नदारद है। चौकीदारों की गांव में इज्जत थी। यहां तो थाना में चाकरी बजाने में जिंदगी बीत रही है। प्रधानमंत्री हमारी समस्या देखें तो कुछ बात बने।
एक चौकीदार पर चार-चार गांव का बोझः चौकीदारों की नियुक्ति पर फिलहाल रोक लगी है। हर महीने कुछ ग्रामीण कोतवाल (चौकीदार) रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में हर माह बचे हुए चौकीदारों पर नए गांवों का बोझ बढ़ता जा रहा है। गोविंदपुर थाना में ड्यूटी कर रही लखी मुनी मंझियाइन के पास उनके गांव नेरो के अतिरिक्त चार गांव की जिम्मेदारी है। शंकर तूरी जामडीहा के साथ-साथ 14 गांवों के चौकीदार हैं। मीना देवी कुम्हारडीह के अलावा चार अन्य गांवों की चौकीदार हैं। इतने गांवों के बावजूद उन्हें कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं दी जा रही। उनका वेतन ही सबकुछ है। ये चौकीदार भी नाइट ड्यूटी छोड़ सिर्फ थानों की सूचना गांवों तक पहुंचाने व थाना में चाकरी करने में व्यस्त हैं। होमगार्ड जवानों की कमी पर बैंक ड्यूटी में भी उन्हें लगाया जा रहा है।
धरना देने की कर रहे तैयारी : एक तरफ जहां देश भर में लोग चौकीदार बनने को बेताब हैं, वहीं वास्तविक चौकीदार अपनी परेशानियों से निजात पाने को आंदोलन को तैयार हैं। जिला प्रशासन को भी इत्तला की है कि मांगें नहीं मानी गईं तो 13 मार्च को रणधीर वर्मा चौक पर धरना देंगे।
ये हैं प्रमुख मांगें
- चौकीदारों को एसीपी का लाभ दिया जाए।
- अनुकंपा समिति की नियमित बैठक हो, और कार्यकाल के दौरान मरने वाले चौकीदार के परिजन को नौकरी मिले।
- सेवानिवृत्त व एवजी चौकीदारों की पूर्व की तरह नियुक्ति हो।
- हर माह चौकीदारों को वेतन मिले।
- पांच वर्ष से बंद वर्दी, जूता, गर्म कपड़े, बेल्ट का बकाया दिया जाए।
- डाक कार्य में लगे चौकीदारों को टीए का भुगतान हो।
- मैट्रिक पास चौकीदारों को सहायक पुलिस निरीक्षक के पद पर प्रोन्नत किया जाए।
- सेवा अभिलेख बनाया जाए और बकाया एरियर मिले।