तकनीक के दम पर खदान की कोख में तैरते मानव
तीन पालियों में चलने वाली इस खदान में करीब 550 मजदूर काम करते हैं।
धनबाद, राजीव शुक्ला। लंबी सुरंग, घुमावदार रास्ते, टिमटिमाते बल्ब, नीरवता को तोड़ती किर्र-किर्र व खड़खड़ाहट की आवाजें, आधार पर सरकता लोहे का रस्सा और उस पर रखी विशेष गद्दी वाली छड़ें। रस्से के सरकने से गतिशील छड़ों पर बैठे इंसान हवा में तैरते प्रतीत हो रहे हैं। जो वक्त के साथ ही गंतव्य तक पहुंच जाते हैं। आप सोच रहे होंगे कि यह किस तिलिस्म की बात हो रही है। चलिए उत्कंठा शांत करते हैं। ये दृश्य जमीन के 500 मीटर नीचे मौजूद पाताल का है। चौंक गए न पर यह हकीकत है। टाटा स्टील की धनबाद झरिया स्थित जामाडोबा 6/7 पिट कोयला खदान में इसी वर्ष मई माह में आधुनिक तकनीक से सुसज्जित यह रोपवे (चेयर लिफ्ट मैन राइडिंग सिस्टम) लगा है। जो कोयला कामगारों को उनके कार्यस्थल तक ले जाता है। जाते वक्त एक किलोमीटर से अधिक ढलान और लौटते वक्त चढ़ाई का रास्ता कामगार कुछ मिनटों में तय कर लेते हैं।
डोली के सफर का यादगार लम्हा: 6/7 पिट खदान के अंदर मजदूर जा रहे हैं। इसके लिए लिफ्ट (डोली) लगी है। जो कामगारों को 11 नंबर सीम तक ले जाती है। डोली का यह सफर किसी भी नये व्यक्ति के लिए आजीवन यादगार होता है। 11 नंबर सीम की सुरंग तक पहुंचाकर डोली दूसरे कामगारों को लेने के लिए लौट जाती है। यहां से कुछ दूर पैदल चलकर श्रमिक उस सुरंग में पहुंचते हैं जहां रोपवे संचालित हो रहा है। तीन पालियों में चलने वाली इस खदान में करीब 550 मजदूर काम करते हैं। रोपवे से सफर के लिए 220 चेयर रॉड मौजूद हैं। चेयर लिफ्ट मैन राइडिंग सिस्टम हाइड्रोलिक प्रेशर से संचालित होता है। इसके लिए उच्च क्षमता की इलेक्ट्रिक मोटर और पंप लगा है, जो ड्राइव व्हील को गतिमान करता है।
रबर ग्रिप का यहां दिखता कमाल: रोपवे का संचालन कर रहे कर्मचारी आधार पर सरकते लोहे के रस्से पर चेयर रॉड का ऊपरी हिस्सा रखते हैं। एक चेयर रॉड पर एक श्रमिक बैठता है और घूमते रस्से के साथ रॉड भी आगे बढ़ने लगता है। जामाडोबा ग्रुप के इंजीनिय¨रग सर्विस हेड एसी झा बताते हैं कि इस छड़ के ऊपर बने ब्लाक में विशेष प्रकार की रबर लगी होती है। जिसकी रस्से पर बेहद मजबूत ग्रिप होती है। जो रॉड को गिरने नहीं देती। इस सफर की रफ्तार 1.2 मीटर प्रति सेकेंड रखी गई है। हालांकि इस दौरान रॉड दायें-बायें भी खूब झूलता है। कामगारों को 11 नंबर सीम से 8 नंबर सीम ले जाया जाता है। जहां कोयला उत्पादन हो रहा है। यह दूरी करीब 12 सौ मीटर है। बीच में नौ नंबर सीम है। यहां भी उत्पादन हो रहा है।
विषम परिस्थितियों में तार है संकटमोचक: खदान के वरीय प्रबंधक अरुण कुमार ने बताया कि सफर के दौरान कोई परेशानी होती है तो रॉड के बगल से गुजर रहे तार को खींच दें। रोपवे रुक जाएगा। तत्काल आपके पास रोपवे संचालित करने वाला कर्मी आएगा। आपकी परेशानी का समाधान करने के बाद ही रोपवे पुन: अपने गंतव्य को रवाना होगा।
थकान से मिलती मजदूरों को राहत: यूं तो एक से बढ़कर एक आधुनिक रोपवे आपने मंसूरी, हरिद्वार समेत कई पर्यटन स्थलों पर देखे होंगे। पर, इसकी बात निराली है। इससे कोयला कामगारों को थकान से राहत तो मिलती ही है साथ ही उनकी कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी होती है।
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खदान में काम प्रकृति के विरुद्ध होता है। हमारे कर्मी शिद्दत से देश के लिए कोयला उत्पादन करते हैं। टाटा स्टील भी अपने इन कर्मियों की सुविधा के लिए हर उपाय करता है। उसके तहत यह व्यवस्था की गई है। अत्याधुनिक तकनीक से लैस यह रोपवे बेमिसाल है।
संजय कुमार सिंह, जीएम टाटा स्टील