बिना लाइसेंस वाहन चलाने वालों के खिलाफ चलेगा अभियान, स्कूली बच्चों के अभिभावकों पर होगी कार्रवाई
दैनिक जागरण ने सड़कों के निर्माण सुविधाओं व सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय अभियान इन दौड़ती भागती सड़कों पर शुरू किया है। इस दौरान हमने जिले की लगभग 300 किमी सड़कों की पड़ताल की है। खामियों का आकलन किया।
जागरण संवाददाता, धनबाद: सड़क दुर्घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। रोज लोग बीच सड़क पर हादसे का शिकार हो रहे हैं। लगातार हो रही मौतें हमें झकझोर रही हैं। इसे देखते हुए दैनिक जागरण ने सड़कों के निर्माण, सुविधाओं व सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय अभियान "इन दौड़ती भागती सड़कों पर' शुरू किया है। इस दौरान हमने जिले की लगभग 300 किमी सड़कों की पड़ताल की है। खामियों का आकलन किया। परिणाम सुखद नहीं रहा। कहा जा सकता है कि लगभग पूरा सिस्टम ध्वस्त है।
न वाहन चलाने वाले लोग सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन कर रहे हैं न ही इसे पालन कराना जिनकी जिम्मेदारी है, वह कुछ कर रहे हैं। इस पर हमने सोमवार को उपायुक्त संदीप सिंह से सीधी बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश।
सवाल: कोयला खदानों के कारण धनबाद में भारी वाहनों का आवागमन काफी संख्या में होता है। अप्रशिक्षित चालक तेज गति से भारी वाहनों को चलाते हैं। इससे मासूमों की मौत सड़क हादसे में हो रही है। इसे रोकने के जिला प्रशासन क्या कर रहा है?
जवाब: इस समस्या से जिला प्रशासन पूरी तरह से अवगत है। अभी दो दिन पहले भी जिला सड़क सुरक्षा समिति की मासिक बैठक में इस मुद्दे पर अधिकारियों से चर्चा हुई है। अवैध वाहन चालकों की पहचान के लिए जांच अभियान चला कर उन पर जुर्माना लगाने का आदेश दिया गया है। बार-बार नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करते हुए जेल भेजने का निर्देश दिया गया है।
सवाल: जीटी रोड जैसा व्यस्ततम राष्ट्रीय राजमार्ग धनबाद में करीब 75 किमी. गुजरता है। जिले में सड़क दुर्घटना में अधिकांश मौतें इसी मार्ग पर होती है। इस मार्ग पर अवैध कट्स और बड़ी संख्या में ब्लैक स्पाट्स हैं। इस पर सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष होने के नाते आपने क्या निर्देश अधिकारियों को दिया है?
जवाब: एनएचएआइ और पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों को इन सड़कों पर अवैध कट्स को बंद करने और ब्लैक स्पाॅट्स की पहचान करने के लिए कहा गया है। जिन जगहों पर सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं हो रही हैं, उसकी पहचान करते हुए इसके कारणों पता लगाने का लिए कहा गया है। उसके अनुसार आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। लोगों के बीच सड़क पर चलने संबंधित नियमों की जानकारी देने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने के लिए कहा गया है। जल्द ही इसके सुखद परिणाम सामने आएंगे।
सवाल: शहरी इलाके में जाम की स्थिति में छोटे वाहन चालक इससे बचने के लिए या तो रांग साइड से निकलने की कोशिश करते हैं या फिर संकरी गलियों में वाहन घुसा देते हैं। जल्द निकलने के चक्कर में भी आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं, इसको लेकर जिला प्रशासन द्वारा क्या कदम अपेक्षित है?
जवाब: शहर में पहले सड़क को लेकर आधारभूत व्यवस्थाओं की काफी कमी थी। मुख्य मार्ग भी संकरे थे। हाल के दिनों में काफी सुधार आया है। सडकों का चौड़ीकरण किया जा रहा है। रेलवे लाइन को पार करने के लिए ओवरब्रिज और अंडरपास बनाया जा रहा है। इससे शहर को जाम की समस्या से निजात मिलेगी। रेलवे और राज्य सरकार के संबंधित विभागों के बीच समन्वय बनाकर तेजी से काम किया जा रहा है।
एक बड़ी समस्या है नो एंट्री वाले क्षेत्रों में भी भारी वाहनों के प्रवेश का। ये जल्द निकलने के चक्कर में तेजी गति से वाहनों को भगाते हैं। जो दुर्घटना का प्रमुख कारण है। साथ ही स्कूली बच्चे दो पहिया वाहनों को लहरिया कट चला कर दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। इसके रोकने के क्या उपाय किए जा रहे हैं?
स्कूली बच्चों द्वारा वाहन चलाने की शिकायत हमें भी कई स्रोतों से लगातार मिल रही है। इसपर अंकुश लगाने के लिए जिला परिवहन पदाधिकारी को नियमित तौर पर वाहन जांच अभियान चलाकर वाहन को जब्त करने के लिए कहा गया है। साथ ही ऐसे बच्चों के अभिभावकों पर भी नए यातायात नियमों के अनुसार प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है। नो एंट्री में वाहनों के प्रवेश पर रोक को लेकर यातायात पुलिस को वरीय पुलिस अधीक्षक के माध्यम से पेट्रोलिंग की व्यवस्था नियमित तौर पर करने को कहा गया है। इसकी मानिटरिंग के लिए उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी द्वारा साप्ताहिक तौर पर समीक्षा करने का प्रस्ताव समिति की पिछली बैठक में पारित किया गया है।