Narasimha Rao Birth Anniversary 2021: यही तो राजनीति है... अपनो ने भुलाया तो भाजपाई कर रहे याद
Narasimha Rao Birth Anniversary 2021 भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की आज 100वीं जयंती हैं। इस माैके पर देश उन्हें याद कर रहा है। धनबाद और झारखंड के लोग भी राव को याद कर रहे हैं। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने ट्वीट कर उन्हें नमन किया।
धनबाद, जेएनएन। Narasimha Rao Birth Anniversary 2021 भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की आज 100वीं जयंती हैं। देश में आर्थिक सुधारों का श्रेय राव को दिया जाता है। उन्होंने देश में आर्थिक सुधार और आम आदमी के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक निर्णय लिए। उनकी 100वीं जयंती पर देश उन्हें याद कर रहा है। धनबाद और झारखंड के लोग भी राव को याद कर रहे हैं। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने ट्वीट कर पूर्व प्रधानमंत्री को नमन किया है।
पूर्व प्रधानमंत्री एवं विद्वान पी वी नरसिंहा राव जी की 100वीं जयंती पर उन्हें शत शत नमन। pic.twitter.com/qtDBrDHSOX
— Arjun Munda (@MundaArjun) June 28, 2021
राव ने देश को संकट से बाहर निकाला
नरसिम्हा राव ने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले किए, ताकि देश गरीबी से बाहर आ सके। राव प्रधानमंत्री बने तो ऐसा दौर था, जब देश को अपना सोना तक विदेशों में गिरवी रखना पड़ा था। इसके बाद राव ने देसी बाजार को खोल दिया था, जो उस दौर में तो आलोचना का शिकार हुआ, लेकिन आज जिसकी बदौलत हम टॉप देशों में हैं। झारखंड प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष धनबाद के सांसद पीएन सिंह ने भी देश के विकास और प्रगति में नरसिम्हा राव के योगदान को याद करते हुए नमन किया है।
17 भाषाओं के थे ज्ञाता
नरसिम्हा राव को वैसे ठंडे आंकड़ों के लिए ही नहीं बल्कि कई भाषाओं की जानकारी के लिए भी जाना जाता है। कहा जाता है कि उन्हें कुल 17 भाषाएं आती थीं। इनमें भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी, स्पेनिश, जर्मन, ग्रीक, लैटिन, फारसी और फ्रांसीसी भाषा भी है। इतनी भाषाएं अब तक देश के किसी प्रधानमंत्री को नहीं आतीं।
गांधी परिवार से इतर सफल प्रधानमंत्री
गांधी परिवार से इतर कांग्रेस के सफल प्रधानमंत्री रहे पीवी नरसिम्हा राव का आज जन्मदिन है। बावजूद इसके उनकी पार्टी के नेताओं ने उन्हें याद नहीं किया। दिवंगत नेता के जन्मदिन पर न तो किसी कार्यक्रम की सूचना है न ही इंटरनेट मीडिया पर ही किसी कांग्रेस नेता के वाल पर वे दिख रहे हैं। अलबत्ता विरोधी दल भाजपा के नेताओं ने उन्हें जरूर याद किया है। भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी मिल्टन पार्थसारथी ने उनकी तस्वीर साझा करते हुए लिखा है, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय पीवी नरसिम्हा राव को उनकी 100वीं जयंती पर सादर नमन। उन्होंने सांसद पीएन सिंह की तस्वीर भी राव की तस्वीर के साथ साझा की है। राव जीवित होते तो आज 100 वर्ष के होते।
प्रधानमंत्री के ट्वीट कर के बाद भाजपाई रेस
दक्षिण भारत से नीलम संजीव रेड्डी, केआर नारायणन, आर वेंकट रमन, वीवी गिरि जैसे कई नेता हुए जो राष्ट्रपति पद तक पहुंचे लेकिन राव एकमात्र दक्षिण भारतीय कांग्रेसी रहे जो प्रधानमंत्री भी हुए। कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। उनके इस महत्व को देखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके साथ अपनी तस्वीरें साझा की हैं। उन्हें नमन भी किया है। जाहिर है भाजपाई भी पीछे नहीं ही रहेंगे। एक दिन पहले ही पीएम ने अपने मन की बात में पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री व प्रसिद्ध चिकित्सक बिधानचंद्र राय को भी याद कर इस मामले में बढ़त बना ली है। वहीं उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को भी उनके योगदान के लिए याद किया। दरअसल पहली जुलाई को ही डॉक्टर्स डे व चार्डर्ड अकाउंटेंट्स डे भी है। अगने मन की बात से पहले के इन दो महत्वपूर्ण दिवस के बहाने दो महानुभावों को याद कर पार्टी ने राजनीतिक हित साधने में बढ़त हासिल कर ली है।
सोनिया से थे मतभेदठ
दरअसल लगातार पांच वर्ष तक पद पर बने रहने वाले गांधी परिवार से इतर कोई कांग्रेसी प्रधानमंत्री का सेहरा भी राव के सिर ही है। अपने कार्यकाल के दौरान वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर भी काबिज थे और वर्तमान अध्यक्ष सोनिया गांधी लगभग किनारे हो चुकी थीं। यही वजह है कि उनसे राव के मनमुटाव की खबरें तब आम थीं। संभवत: यही वजह है कि राव को याद कर कांग्रेसी मौजूदा नेतृत्व की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते। यूं राव ने घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को देखते हुए निजीकरण की जो राह प्रशस्त की थी वह आगे चल कर बेरोजगार युवाओं के लिए संजीवनी के रूप में काम कर गया। सार्वजनिक उपक्रमों में लगभग बंद हो चुकीं नियुक्तियों की जगह निजी क्षेत्र में काफी रोजगार के अवसर उपलब्ध हुए और अर्थव्यवस्था को भी बल मिला। इस वजह से युवा वर्ग के बीच देर से सही लेकिन उनका महत्व आंका गया।
ठेठ उत्तर भारतीय जैसी हिंदी बोलने वाले दक्षिण भारतीय नेता
बिल्कुल ठेठ उत्तर भारतीय की तरह हिंदी बोलने वाले वे भाजपा के गोविंदाचार्य के साथ दूसरे राष्ट्रीय नेता रहे। अपने हिंदी बोलने की शैली से भी राव उत्तर भारतीयों के दिल में अलग जगह बनाने में कामयाब रहे थे। हालांकि वे लगभग 17 भाषाओं के जानकार और विद्वान नेता के रूप में भी अपनी छवि बनाने में कामयाब रहे थे।
राष्ट्रीय मुद्दों पर मौन समर्थन की हुई आलोचना
भाजपा नेताओं की ओर से उन्हें याद करने की एक वजह यह भी है कि राम मंदिर मुद्दे पर देर से की गई उनकी कार्रवाई को उनका मौन समर्थन माना गया। हालांकि कांग्रेस व अन्य हलकों में इसकी आलोचना हुई लेकिन भाजपा समर्थकों के बीच उन्हें लोकप्रियता भी मिली। तब के भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे डॉ. मुरली मनोहर जोशी की कश्मीर लाल चौक पर तिरंगा यात्रा को तो राव ने तब खुला समर्थन दे दिया जब निर्धारित समय पर 26 जनवरी को लाल चौक नहीं पहुंच पाने की स्थिति में जोशी को कार्गो विमान से श्रीनगर पहुंचाया गया।