बिरसा मुंडा पार्क का खजाना खाली, कर्मचारियों को तीन माह से वेतन नहीं Dhanbad News
पार्क मैनेजर निवास बताते हैं कि कोराना काल से पहले बिरसा मुंडा पार्क में आनेवाले पर्यटकों से महीने में औसतन 5-6 लाख रुपये की आमदनी होती थी। आठ माह से एक रुपये की आय नहीं हुई लेकिन वेतन और मेंटेनेंस का खर्च हर महीने देना पड़ रहा है।
धनबाद, जेएनएन। शहर का एकमात्र बिरसा मुंडा पार्क और इसके कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। पार्क न खुलने से आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। हालात ऐसे हैं कि पिछले तीन माह से यहां कार्य 27 कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। पार्क का खजाना भी खाली हो चुका है। दरअसल पार्क की आमदनी से ही वेतन भुगतान करने का प्रावधान है। मार्च से जो लॉकडाउन हुआ है तब से लेकर अभी तक पार्क बंद है। इसके खाते में तीन लाख रुपये बचा था, जिसे शुरुआती लॉकडाउन में वेतनमद में खर्च कर दिया गया। अब पार्क के अकाउंट में एक पैसा भी नहीं है।
अभी तक पार्क का मेंटेनेंस नगर निगम करता आया है, लेकिन अब नगर निगम ने भी फंड के अभाव में हाथ खड़े कर दिए हैं। पार्क की साफ सफाई हुई ठप है। आठ माह से बंद पड़े बिरसा मुंडा पार्क का मेंटेनेंस खर्च निकालना भी नगर निगम के लिए मुश्किल हो गया है। इससे निपटने के लिए तीन माह निगम ने दस में से आठ सिक्योरिटी गार्ड को हटा दिया था, ताकि कुछ पैसा बच जाए। इसके बाद भी पार्क के 27 कर्मचारियों को वेतन देना निगम को भारी पड़ रहा है। इन कर्मचारियों को अगस्त से अक्टूबर माह की तनख्वाह अभी तक नहीं मिली है और अब तो आने वाले महीनों में भी वेतन पर भी संकट है। सिर्फ वेतन मद में ही हर माह लगभग तीन लाख रुपये की जरूरत है। तीन माह का लगभग नौ लाख रुपये बकाया चल रहा है। पार्क 27 कर्मचारियों में से तीन लिलौरी स्थान पार्क, एक राजेंद्र सरोवर पार्क बेकारबांध, दो उपायुक्त कार्यालय एवं आवास और एक डीडीसी आवास में कार्यरत हैं।
प्रतिमाह 6-8 लाख की होती थी टिकट से आमदनी
पार्क मैनेजर निवास बताते हैं कि कोराना काल से पहले बिरसा मुंडा पार्क में आनेवाले पर्यटकों से महीने में औसतन 5-6 लाख रुपये की आमदनी होती थी। आठ माह से एक रुपये की आय नहीं हुई, लेकिन वेतन और मेंटेनेंस का खर्च हर महीने देना पड़ रहा है। पार्क में झाड़ियां उग आ रही हैं, इसे साफ करने का खर्च अलग से देना पड़ रहा है।
पार्क बंद होने से आमदनी हो नहीं रही है और पार्क की बची हुई राशि व दूसरे मद से पिछले पांच माह तक भुगतान किया गया। अब तनख्वाह देना संभव नहीं है। कोशिश की जा रही है कि सभी कर्मचारियों को वेतन मिल जाए, लेकिन पैसे का संकट तो बना हुआ है। पिछले आठ माह से पार्क से एक रुपये की आय नहीं हुई है।
- सत्येंद्र कुमार, नगर आयुक्त