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शहर से रोज निकलने वाला 28 टन बायोमेडिकल वेस्ट लापता

जागरण संवाददाता धनबाद अस्पताल नर्सिंग होम और क्लीनिक से निकलने वाला बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण बेहद जरूरी है। कोविड में तो खासतौर पर इनका डिस्पोजल अतिआवश्यक है। इसके लिए झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिशा-निर्देश भी जारी कर चुका है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जिले से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण कहां और कैसे किया जा रहा है इसकी जानकारी किसी को नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 05:25 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 05:25 AM (IST)
शहर से रोज निकलने वाला 28 टन बायोमेडिकल वेस्ट लापता
शहर से रोज निकलने वाला 28 टन बायोमेडिकल वेस्ट लापता

जागरण संवाददाता, धनबाद : अस्पताल, नर्सिंग होम और क्लीनिक से निकलने वाला बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण बेहद जरूरी है। कोविड में तो खासतौर पर इनका डिस्पोजल अतिआवश्यक है। इसके लिए झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिशा-निर्देश भी जारी कर चुका है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जिले से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण कहां और कैसे किया जा रहा है, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। न जिला प्रशासन, न नगर निगम और न प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इसके बारे में पता है। सभी को सिर्फ यही मालूम है कि धनबाद में एक एजेंसी है जो बायो जेनेटिक मेडिकल वेस्ट प्लांट में निस्तारण के नाम पर अस्पताल, नर्सिंग होम और क्लीनिक से बायो वेस्ट उठा रही है। यह जा कहां रहा है, इसकी जानकारी नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को माह में तीन बार प्लांट का निरीक्षण भी करना है। यह नहीं हो रहा है। नतीजा यह निकलता है कि कभी नगर निगम के डस्टबिन, कभी हीरक रोड के किनारे तो कभी बनियाहीर डंपिग यार्ड में बायोमेडिकल वेस्ट फेंका हुआ मिल जाता है। माना जाता है कि अस्पताल व नर्सिंग होम के प्रति बेड से रोजाना 250 ग्राम जैविक कचरा निकलता है। प्रतिदिन 28 टन बायोमेडिकल वेस्ट धनबाद से निकल रहा है। बायोमेडिकल वेस्ट पदार्थों के निष्पादन को लेकर बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट एंड हैंडलिग रूल्स 2016 के नियमों के आधार पर अस्पतालों को दिशा निर्देश दिया गया है, जिसमें यह स्पष्ट बताया गया है कि सभी तरह के बायो वेस्ट मटेरियल को कलर कोटेड डस्टबिन में कैसे रखा जाए ताकि फिर उसी के हिसाब से उसका निष्पादन हो सके। झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 की धारा 259 के तहत जुर्माना और प्राथमिकी का भी प्रावधान है। इस मामले में बायो जेनेटिक प्लांट के संचालक से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन फोन नहीं उठाया।

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कहां से कितना प्रतिदिन निकल रहा बायोमेडिकल वेस्ट

- एसएनएमएमसीएच : 100 किलो

- सदर अस्पताल : 40 किलो

- 270 निजी नर्सिंग होम व अस्पताल : 27 टन

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जिला स्तरीय कमेटी को करनी थी निगरानी

धनबाद में बायोमेडिकल के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है। इसकी गंभीरता को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया था कि महीने में दो बार बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियमों की निगरानी करें। एनजीटी ने जिला स्तर पर कमेटी बनाने और इस कमेटी की निगरानी में जिला पर्यावरण योजना बनाने की भी बात कही थी। इसमें पंचायत, स्थानीय संस्थाओं, क्षेत्रीय अधिकारियों, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्रशासन से प्रतिनिधि होने चाहिए। यह टीम उपायुक्त के अधीन रहेगी। एनजीटी ने यह भी कहा था कि सभी राज्य दो महीने के अंदर स्वास्थ्य सेवाओं और बायोमेडिकल वेस्ट जनरेशन के बारे में जानकारी देंगे। ऐसा कुछ नहीं हुआ।

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कई बार नगर निगम के कचरे में बायोमेडिकल वेस्ट मिला है। इसपर कार्रवाई भी हुई है। आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी। अब तो नगर निगम स्वयं बायोमेडिकल वेस्ट प्लांट जीतपुर में बनाने जा रहा है।

- सत्येंद्र कुमार, नगर आयुक्त

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बायोमेडिकल वेस्ट के लिए कड़ा कानून बना हुआ है। इसके तहत जुर्माना और प्राथमिकी भी है। समय-समय पर बोर्ड जांच करता है। जल्द ही इसके लिए टीम बनाकर जांच की जाएगी।

- आरएन चौधरी, क्षेत्रीय पदाधिकारी जेएसपीसीबी


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