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बीसीसीएल कर्मी की कोरोना से मौत के बाद सीएचडी में बवाल

बीसीसीएल विश्वकर्मा प्रोजेक्ट में डंपर ऑपरेटर जमींदार साव की मौत कोरोना से हो गई। उनके मौत की खबर मिलते ही जनता मजदूर संघ के कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय अस्पताल पहुंचकर विरोध जताया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 05:49 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 05:49 PM (IST)
बीसीसीएल कर्मी की कोरोना से मौत के बाद सीएचडी में बवाल
बीसीसीएल कर्मी की कोरोना से मौत के बाद सीएचडी में बवाल

जागरण, धनबाद : बीसीसीएल विश्वकर्मा प्रोजेक्ट में डंपर ऑपरेटर जमींदार साव की मौत कोरोना से हो गई। उनके मौत की खबर मिलते ही जनता मजदूर संघ के कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय अस्पताल पहुंचकर विरोध जताया। अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया। जमींदार की मौत केंद्रीय अस्पताल से रेफर किए जाने के बाद राची में एंबुलेंस में ही हो गई। स्वास्थ्य कर्मी उसे एक से दूसरे अस्पताल लेकर घूमते रहे कहीं उसे भर्ती नहीं किया गया।

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जनता मजदूर संघ कुंती गुटके केंद्रीय सचिव अरविंद सिंह ने बताया कि जमींदार वास्तव में कोरोनावायरस से नहीं न्यूरो की समस्या से मरा है। उसे 2 वर्ष पूर्व क्लोटिंग के बाद केंद्रीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहा से बाहर रेफर किया गया और इलाज के बाद ठीक हो गया था। अभी 4 दिन पूर्व जब वह मारुति कार की मरम्मत करा रहा था, बेहोश होकर गिर गया। उसके सिर के पिछले हिस्से में चोट लगी। स्वजन उसे घर ले आए। वह होश में तो आया पर पूरी तरह ठीक नहीं हुआ। फिर उसे केंद्रीय अस्पताल लाया गया। केंद्रीय अस्पताल में बजाय उसके न्यूरो से संबंधित बीमारी का इलाज किया करने या जाच करने के उसे कोविड-19 पाजिटिव बताकर कोविड-19 आईसीयू में भर्ती कर दिया गया। बाद में उसकी स्थिति काफी बिगड़ गई। उसने खाना पीना भी बंद कर दिया। स्वजनों के दबाव पर शुरू में तो केंद्रीय अस्पताल मुकर गया, बाद में उसे राची रेफर करने को राजी हुआ। जब उससे एंबुलेंस में लाया गया तो वह कोमा में जा चुका था और वेंटिलेटर पर था। बावजूद इसके तब स्वजनों ने कोई विरोध करना उचित नहीं समझा। लेकिन उसके इस गंभीर स्थिति के कारण राची में किसी अस्पताल में उसे भर्ती नहीं लिया गया। एंबुलेंस में ही उसकी मौत हो गई। सिंह के मुताबिक कास्ट कटिंग के लिए इन दिनों केंद्रीय अस्पताल में ना तो समय पर बीमारों को रेफर किया जाता है ना ही यहा सही से इलाज होता है। यदि किसी को रेफर किया भी जाता है तो उनके आने-जाने का खर्च नहीं दिया जाता है। जबकि यह प्रावधान में है। क्या बीसीसीएल श्रमिकों के इलाज के पैसे से ही घाटा पटना चाहती है। मरीज की जिंदगी पहले है। उन्होंने इस मुद्दे पर आगे भी संघर्ष करना की बात कही है। कहा कि जब से नए डीपी आए हैं उन्होंने यह अघोषित फरमान जारी कर रखा है। जिसकी वजह से जमींदार की जान चली गई। विरोध जताने वालों में त्रिलोकी साव, तरुण मोदी, यमुना नोनिया, राजू नोनिया, बसंत नोनिया आदि थे।


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