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बीसीसीएल मोनेट वाशरी को नहीं दे पा रहा कोयला, बनाई जा रही नई वाशरी

पाथरडीह मोनेट वाशरी में पर्याप्त मात्रा में कोयला की आपूर्ति कर दी जाए। यहां कोयले की ढुलाई होती रहे तो बीसीसीएल की आर्थिक स्थिति में खुद सुधार हो जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 05:32 PM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 05:32 PM (IST)
बीसीसीएल मोनेट वाशरी को नहीं दे पा रहा कोयला, बनाई जा रही नई वाशरी

चासनाला : पाथरडीह मोनेट वाशरी में पर्याप्त मात्रा में कोयला की आपूर्ति कर दी जाए। यहां कोयले की ढुलाई होती रहे तो बीसीसीएल की आर्थिक स्थिति में खुद सुधार हो जाएगा। बीसीसीएल का भविष्य वाशरी है। इसके माध्यम से ही बीसीसीएल का उद्धार हो सकता है। लेकिन अफसोस पाथरडीह मोनेट वाशरी में समुचित रा कोल की आपूर्ति करने में बीसीसीएल प्रबंधन लापरवाह है। दूसरी ओर बीसीसीएल प्रबंधन पाथरडीह में ही ढाई मिलियन टन प्रतिवर्ष क्षमता वाली एक नई वाशरी का निर्माण कराने में जुटा है। जबकि भोजूडीह व मधुबन में भी अत्याधुनिक वाशरी का निर्माण किया जा रहा है। एक ओर जहां मोनेट वाशरी को ही पर्याप्त मात्रा में रा कोल देने में बीसीसीएल का दम फूल रहा है, वहीं अन्य वाशरियों के लिए कोयला कैसे व कहां से आपूर्ति होगी। यह प्रबंधन के लिए सिरदर्द बना हुआ है। रेलवे, बीसीसीएल की तकनीकी पेंच में फंसा अनलोडिग हापड़ :

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पाथरडीह की मोनेट वाशरी में रेलवे रैक से आने वाले रा कोल को अविलंब खाली करने के लिए अनलोडिग हापड़ का निर्माण होना था। इससे रेलवे साइडिग से कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से रा कोल को सीधे वाशरी प्लांट में धुलाई के लिए भेजा जा सकता था। इसे मोनेट कंपनी को करीब चार करोड़ की लागत से बनाना था। लेकिन रेलवे व बीसीसीएल के तकनीकी पेंच में मामला फंस गया है। इससे फैसला नहीं हो पाया है कि आखिर अनलोडिग हापड़ कैसा होना चाहिए। नहीं बन सका रैपिड लोडिग सिस्टम : बीसीसीएल प्रबंधन को नई वाशरी में रैपिड लोडिग सिस्टम बनाना था। इससे वाशरी में मौजूद कोयला को कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से कुछ ही देर में रेलवे वैगनों में कोयला की भराई करने की प्रक्रिया पूरी करनी थी। यह कार्य अभी तक धरातल पर नहीं उतरा है। रैपिड लोडिग सिस्टम बनाने की प्रक्रिया दो वर्षो से अंतिम चरण में है। लेकिन यह अटका पड़ा है। साइडिग से प्लांट तक जाने का नहीं है रास्ता :

विभिन्न स्टील प्लांटों को कोयला भेजने के लिए रेलवे साइडिग को भी जैसे-तैसे बनाकर तैयार कर दिया गया है। बीसीसीएल प्रबंधन ने साइडिग में रेलवे ट्रैक तो बिछा दिया है। लेकिन साइडिग से प्लांट में जाने के लिए रास्ता नहीं बनाया है। इससे आए दिन बारिश व जर्जर मार्ग होने के कारण कोयले की ट्रांसपोर्टिंग बंद रहती है।


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