हाय री झारखंड पुलिस ! अब थाने से हो रही चोरी
साहिबगंज के सबसे सुरक्षित टाउन थाने से यह वाकया सामने आया। थाना परिसर में जब्त कर रखी गई रेलवे की तीन-चार कीमती बैटरी गायब हो गई। दो-तीन युवक उसे बेचकर नए साल का जश्न मना लिया। यह घटना पुलिस की साख पर बट्टïा लगाने वाली थी।
साहिबगंज [ [ डॉ. प्रणेश ]। मकान-दुकान में चोरी की वारदातें सामने आती रहती हैैं, लेकिन इस बार अपराध पर अंकुश लगाने वालों के ठिकाने से ही चोरी हो गई। यह पुलिस को खुलेआम चुनौती थी। हाल में ही साहिबगंज के सबसे सुरक्षित टाउन थाने से यह वाकया सामने आया। थाना परिसर में जब्त कर रखी गई रेलवे की तीन-चार कीमती बैटरी गायब हो गई। दो-तीन युवक उसे बेचकर नए साल का जश्न मना लिया। यह घटना पुलिस की साख पर बट्टïा लगाने वाली थी। इसलिए थानेदार सुनील कुमार रेस हो गए। सिपाही ही नहीं, चौकीदार से मुखबिर को भी काम पर लगा दिया। इस मुहिम का परिणाम निकला। 24 घंटे के अंदर चोरों को दबोच कर लाल कोठरी में भेज दिया गया। वरीय अधिकारियों से वाहवाही भी मिली होगी। शहर की जनता अवाक रह गई। इतनी जल्दी पर्दाफाश...। यह अलग बात है कि चोरी के कई मामले लंबित है।
नहीं दे पाए सत्ता में होने का सबूत
केंद्र सरकार के कृषि बिल के विरोध में राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस ने 12 जनवरी को ट्रैक्टर और ट्राली रैली निकालने की घोषणा की थी। इसमें भीड़ जुटाने के लिए जिलाध्यक्ष अनिल ओझा लगातार मेहनत कर रहे थे। सौ से अधिक ट्रैक्टर-ट्राली जुटाने का प्लान था। कार्यक्रम की अनुमति के लिए साहिबगंज के एसडीओ को पत्र दिया। उम्मीद थी कि राज्य की सत्ता में साझेदार होने के कारण आसानी से प्रदर्शन की अनुमति मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रैली से ठीक एक दिन पहले एसडीओ पंकज कुमार साव ने उन्हें पत्र भेजा। उसमें लिखा था-अनुमति नहीं दी जाएगी। पत्र पढ़ते ही जिलाध्यक्ष मायूस हो गए। तैयारी बेकार गई। उम्मीद की भी जुताई हो गई। बुझे मन से अपने समर्थकों को प्रशासनिक आदेश की सूचना दी। जानकारी मिलते ही उनके कुछ समर्थकों ने टिप्पणी की- सत्ता में होने का सबूत नहीं दे पाए।
साहब ने बता दी तरकीब
जिरवाबाड़ी ओपी के धोबी झरना व तेतरिया पहाड़ पर जमीन की अवैध खरीद-बिक्री का मामला इन दिनों गर्म है। उपायुक्त रामनिवास यादव इस धंधे में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का स्पष्ट निर्देश दे चुके हैं, मगर कनीय अधिकारी आदेश के पालन के प्रति गंभीर नहीं हैैं। पता नहीं क्यों...। इसलिए खानापूर्ति शुरू है। नोटिस पर नोटिस भेजा जा रहा है। मकसद साफ है। बात पुरानी हो जाए और दब जाए। इसी दौरान हाल में ही एक अधिकारी ने उपायुक्त को बताया कि जमीन खरीद-बिक्री का सबूत नहीं मिल रहा है। जब भी जांच के लिए जाते हैं तो मूल रैयत आ जाते हैं। वे इससे इन्कार करते हैैं। फिर क्या था। उपायुक्त ने उस अधिकारी को जांच का दूसरा तरीका बता दिया। कहा -बिजली कनेक्शन किसके नाम से है इसकी जांच कीजिए। मामला स्पष्ट हो जाएगा। कनीय अधिकारी अब दूसरा तर्क तलाश रहे हैैं।
विवाद में फूटा भंडा
राजमहल प्रखंड में आजीविका समूहों के बीच विवाद हुआ। इस तकरार से बड़े गोरखधंधे का पर्दाफाश हो गया। दरअसल, राजमहल प्रखंड में दो आजीविका सखी मंडल को पावर टिलर समेत कई कृषि उपकरण उपलब्ध कराए गए थे। उद्देश्य यह था, समूह के सदस्य इससे खेतीबारी कर अपनी आय में वृद्धि करेंगे, लेकिन समूह की महिलाओं ने इसमें रुचि नहीं ली। पता चला कि महिलाओं ने दो मशीन को भाड़े पर लगा दिया। सालाना 12 हजार रुपये की आय के लक्ष्य के साथ। वह भी राजमहल प्रखंड की सीमा से पार बरहड़वा में। ग्रामीणों की शिकायत पर जब प्रखंड कृषि पदाधिकारी कालीपद सरकार जांच करने पहुंचे तो पोल खुल गई। वैसे किराए पर लगाने के भी सबूत नहीं मिले है। आशंका तो बेचने की है। खैर 20 जनवरी को सत्यापन के लिए मशीनों को मंगवाया जा रहा है। देखिए समूह की सदस्य खाली हाथ आती हैं या...।