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सैलून संचालकों पर नहीं पड़ रही झारखंड सरकार की नजर, नाई समाज ने पूछा-हमार जुर्म क्या है

लंबे समय से लॉकडाउन चलने के कारण धनबाद जिले का नाई समाज बेहद प्रभावित हुआ है। सैलून नाई जाति के लोगों की आजीविका का व्यवसाय है। लॉकडाउन के 25 मार्च से सभी सैलून बंद पड़े हैं।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 02:28 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 02:28 PM (IST)
सैलून संचालकों पर नहीं पड़ रही झारखंड सरकार की नजर, नाई समाज ने पूछा-हमार जुर्म क्या है
सैलून संचालकों पर नहीं पड़ रही झारखंड सरकार की नजर, नाई समाज ने पूछा-हमार जुर्म क्या है

धनबाद, जेएनएन। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए 25 मार्च, 2020 को लॉकडाउन हुआ था। एक जून से देश में अनलॉक की प्रक्रिया चल रही है। झारखंड सरकार ने पहले कपड़ा, जूता, सैलून और कॉस्मेटिक को छोड़कर तमाम दुकानों को खोलने की अनुमति दे दी। कपड़ा, कॉस्मेटिक और जूता दुकानदारों ने आंदोलन किया तो उन्हें भी खोलने का आदेश प्राप्त हो गया है। लेकिन अब तक सरकार ने सैलून और ब्यूटीपार्लर संचालकों की सुधि नहीं ली है। अब सैलून संचालक भी आंदोलन की राह पर हैं। उन्होंने सैलून खोलने की अनुमति मांगी है। कहा है कि अब सैलून नहीं खुली तो कोरोना तो बाद में होगा पहले भूखे मर जाएंगे। 

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लंबे समय से लॉकडाउन चलने के कारण धनबाद जिले का नाई समाज बेहद प्रभावित हुआ है। सैलून नाई जाति के लोगों की आजीविका का एकमात्र व्यवसाय है। इसी में पूरे परिवार का गुजर-बसर करना पड़ता है। नाई समाज के लोगों ने बताया कि लॉकडाउन में घरों की जमा पूंजी भी तीन महीने में पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। जिस कारण अब स्थिति गंभीर हो गई है। इसीलिए झारखंड सरकार सभी सैलून दुकानें खोलने की अनुमति दे। नाई समाज ने सैलून खोलने की मांग को लेकर शनिवार को धनबाद के रणधीर वर्मा चाैक पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद संघ की तरफ से उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को मांग पत्र भेजा गया। 

नाई समाज संघ ने सरकार को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि अगर दुकानें खोलने की अनुमति नहीं दी जाती है, तो सभी सैलून वालों को 25-25 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाए, जिससे उनका गुजर बसर हो सके। नाई समाज का कहना है कि सरकार हाट-बाजार और तमाम दुकानों को खोलने की अनुमति दे दी है। आखिर हमारा जुर्म क्या है कि सैलून खोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है। मौके पर नाई समाज संघ के दीनानाथ ठाकुर, विजय ठाकुर, लाल मोहन ठाकुर, चंद्र प्रकाश ठाकुर, विकास ठाकुर आदि थे।


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