Health Minister: नंगे हाथ से सांप पकड़ना, झगड़ा निपटाने के लिए पंजा लड़ाना; ये तो Banna की बस बानगी है...फिल्म अभी बाकी है
सरायकेला खरसावां और धनबाद के प्रभारी मंत्री बने बन्ना गुप्ता में व्यक्तिगत तौर पर कुछ ऐसा भी हुनर है जिसे आप लोग बहुत कम जानते होंगे। सुनेंगे तो चौंक जाएंगे। चंद्रकांता धारावाहिक एक समय में बहुत चर्चित हुआ था।
धनबाद, [आशीष सिंह]: सरायकेला खरसावां और धनबाद के प्रभारी मंत्री बने बन्ना गुप्ता में व्यक्तिगत तौर पर कुछ ऐसा भी हुनर है जिसे आप लोग बहुत कम जानते होंगे। सुनेंगे तो चौंक जाएंगे। चंद्रकांता धारावाहिक एक समय में बहुत चर्चित हुआ था। इसमें एक किरदार राजा शिवदत्त का भी था। राजा शिवदत्त को अपनी जीभ पर सांप से डंसवाने की आदत थी। कुछ ऐसे ही हमारे प्रभारी मंत्री बन्ना गुप्ता भी हैं, बस थोड़ा सा फर्क है।
कदमा जमशेदपुर के बन्ना को नंगे हाथ से सांप पकड़ने का शौक है। कुछ साल पहले जमशेदपुर से सरायकेला जाने के दौरान सड़क किनारे लगी भीड़ को देखकर रुक गए। गाड़ी से उतरे और सांप पकड़ लिया। बोरे में भरा और जंगल में ले जाकर छोड़ दिया। उस समय सांप के पास जाने की किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी। यह सिर्फ बानगी भर है। बन्ना ऐसा अनगिनत बार कर चुके हैं। याद भी नहीं कि कितने सांपों को पकड़ा और जंगल में छोड़ा।
अब आगे बढ़ते हैं। पहलवान बन्ना 1990 से मारपीट की शिकायतों की पंचायती करते आ रहे हैं। झगड़ा पड़ोस का हो, परिवार का हो, दोस्तों का हो, हर झगड़े का निपटारा वो अपने अनूठे अंदाज में करते थे। मारपीट करने वालों को दबंग की उपाधि देते हुए खुला ऑफर देते थे। पंजा लड़ा कर हरा दो और अपने पक्ष में फैसला ले लो। ऐसा कभी हुआ नहीं कि बन्ना सामने वाले से पंजा लड़ाने में हार गए हों। इसी की बदौलत बखूबी पंचायती किया करते थे।
बहुत कम लोगों को ही पता होगा की बन्ना प्रेम के भी पुजारी थे। प्रेम के कारण रंगदार बने तो हत्या के प्रयास का आरोप भी लगा। बन्ना सुधा से प्रेम करते थे। समाजवादी पिता और मां को किसी तरह मनाने में कामयाब हो गए, लेकिन सुधा के परिवार वालों ने इस रिश्ते को नामंजूर कर दिया। बन्ना पर लड़की पक्ष वालों की तरफ से दो-दो बार मुकदमा तक हुआ। आखिरकार संयोगिता-पृथ्वीराज से मिलती जुलती प्रेम कहानी की तरह बन्ना सुधा के घर पहुंच गए और परिवार वालों के सामने सुधा को लेकर निकल पड़े। यहां से निकलने के बाद शादी की।
बन्ना जमीनी नेता बनकर उभरे। इसका जीता जाता उदाहरण 1997 में देखने को मिला। पटना हाईकोर्ट ने एकीकृत बिहार में सभी सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था। प्रशासन का ऐसा डंडा चला कि सांसद विधायक तक खामोश हो गए। प्रशासन ने जब अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर चलाया तो बन्ना इकलौते नेता थे जो सामने खड़े हुए। रेल चक्का जाम हुआ। पुलिस ने इतनी लाठियां बरसाईं कि शरीर का ऐसा कोई हिस्सा न बचा, जहां लाठियों के दाग न हो। उस वक्त झारखंड का कोई भी बड़ा नेता कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था। घूमघूम बन्ना ने कहा सरकार पहले पुनर्वास करे फिर लोगों को हटाए। उस समय मामला काफी चर्चा में रहा।
बन्ना का कई दफा सरकारी अधिकारियों से टकराव हुआ। जमशेदपुर के तत्कालीन एसपी अनिल पालटा से जबरदस्त टकराव हुआ था। जनहित के मसले पर दोनों आमने-सामने हो गए। हजारों लोगों ने एसपी का सरकारी आवास घेर लिया। आखिरकार दोनों में सुलह हुई। बन्ना निशानची भी अच्छे हैं। ऐसा निशान साधते हैं कि पपीते की पतली डाल को भी अपने निशाने से छेद देते हैं। जब इन्हें लाइसेंसी हथियार मिला था, उस समय टॉफी पर निशाना लगाते थे।