Afghanistan Crisis: रो मत लाखो ! हर हाल में आएंगे अपने वतन, काबुल में फंसे बेरमो के बबलू ने पत्नी को दिलाया भरोसा
Afghanistan Crisis लाखो ने बताया कि 16 जून को बबलू अपने कमरे से तीनों सहकर्मियों के साथ एयरपोर्ट निकला था मगर हालात बेहद खराब हो गए तालिबानी लड़ाके सड़कों पर फायरिंग कर रहे थे। भगदड़ मची थी तब सभी जान बचाने को कमरे पर वापस आ गए थे।
जागरण संवाददाता, बेरमो। दिन शुक्रवार, सुबह के करीब दस बजे हैं। बेरमो के गांधीनगर की रहने वाली लाखो देवी की आंखों से झर झर आंसू बह रहे हैं। अफगानिस्तान में फंसे अपने पति बबलू कुमार से वाट्सएप काल से वह जुड़ी है, मगर बात करते करते वह रो पड़ती है। तब बबलू ने कहा रो मत लाखो, हर हाल में अपने वतन पहुंचेंगे। एयरपोर्ट के समीप ही होटल में हैं। मगर, बाहर तालिबान के लड़ाके फायङ्क्षरग कर रहे हैं। गोलीबारी थमे, तो एयरपोर्ट तक जा सकेंगे। भारतीय अधिकारी हम सभी का ख्याल रख रहे हैं।
भारतीय टीम के संपर्क में बबलू
दरअसल, तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होते ही वहां के हालात बेहद खराब हो गए हैं। बेरमो निवासी 35 साल का बबलू उन भारतीयों में से है जो वहां फंस गए हैं। वह अफगानिस्तान में बैटरी की प्लेट बनाने वाली एक फैक्ट्री में काम करता है। उसने दैनिक जागरण को वाट्सएप काल पर बताया कि भारतीय अधिकारियों की टीम से उसका संपर्क हो गया है। गुरुवार की शाम उस टीम ने फैक्ट्री के कमरे से निकालकर उसे व यूपी के रहने वाले तीन अन्य सहकर्मियों को होटल पहुंचाया है। यहां करीब ढाई सौ भारतीय ठहरे हैं। उनको स्वदेश भेजने की जुगत हो रही है। काबुल हवाईअड्डे से करीब दो किमी दूर होटल है। एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए गोलीबारी थमने का इंतजार किया जा रहा है। ताकि वहां तक सकुशल पहुंच सकें। इधर के हालात बहुत खराब हो गए हैं। उधर, लाखो देवी की आंखों के आंसू थम नहीं रहे हैं। पति की सलामती के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने लगती है और फिर रो पड़ती है। बेटे निशांत व लकी के साथ वह बबलू का इंतजार कर रही है।
फायरिंग और भगदड़ के कारण 16 अगस्त को नहीं पहुंच सका था एयरपोर्ट
लाखो ने बताया कि 16 जून को बबलू अपने कमरे से तीनों सहकर्मियों के साथ एयरपोर्ट निकला था, मगर हालात बेहद खराब हो गए, तालिबानी लड़ाके सड़कों पर फायरिंग कर रहे थे। भगदड़ मची थी, तब सभी जान बचाने को कमरे पर वापस आ गए थे। वह दो जून को अफगानिस्तान के लिए निकले थे। दो वर्ष से वह काबुल की अफगान राणा बैटरी फैक्ट्री में काम कर रहे थे। अप्रैल में भतीजी की शादी में बेरमो आए थे। पहले हर माह पैसे भेजते थे। इस बार गए तो पैसा नहीं भेजा। बताते थे कि वेतन नहीं मिल रहा है। बबलू के भाइयों से मदद लेकर किसी प्रकार परिवार चला रही हूं। शुक्रवार को उनसे बात हुई तो बोले हम ठीक है।
बड़ी मुश्किल से हो रही बात
बबल कुमार के भाई अशोक ने बताया कि हम पांच भाई हैं। पहले रोज फोन से बात होती थी। अफगानिस्तान पर तालिबान के काबिज होने के बाद से कभी-कभार बात हो पा रही है। भाई किसी प्रकार एयरपोर्ट तक सकुशल पहुंच जाए तो वतन आने में कोई दिक्कत नहीं होगी। क्योंकि वहां भारतीयों को लाने को सरकार ने हर कोशिश की है। एयरपोर्ट पर हवाई जहाज भी तैयार है।