तनाव दूर कर हैप्पी हुए आठ हजार बच्चे
धनबाद लॉकडाउन ने लोगों को घरों में कैद कर दिया है। बच्चे बूढ़े और जवान सभी लॉकडाउन का अनुपालन कर रहे हैं। इतने दिनों से एक जगह बने रहना तनाव पैदा कर सकता है।
धनबाद : लॉकडाउन ने लोगों को घरों में कैद कर दिया है। बच्चे, बूढ़े और जवान, सभी लॉकडाउन का अनुपालन कर रहे हैं। इतने दिनों से एक जगह बने रहना तनाव पैदा कर सकता है। इसे दूर करने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) ने बेहतरीन तरीका अपनाया है। एओएल इस समय लोगों को शारीरिक और मानसिक तौर पर सक्षम करने के लिए निश्शुल्क ध्यान और योग सिखा रहा है। आर्ट ऑफ लिविंग की झारखंड स्टेट कोऑर्डिनेटर सोनाली सिंह के अनुसार लॉकडाउन के बीच ऑनलाइन हैप्पीनेस प्रोग्राम की शुरुआत की गई है। इसमें आठ से 13 आयु वर्ग के बच्चों के लिए उत्कर्ष योगा और 13 से 18 वर्ष के छात्रों के लिए मेधा योगा शामिल है। एक सप्ताह में आठ हजार बच्चों को उत्कर्ष एवं मेधा योगा सिखाया जा चुका है। अगले सप्ताह के लिए सभी वर्ग से 3000 लोग रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। युवाओं और बड़ों के लिए भी कई योगासन कराए जा रहे हैं। हर दिन सुबह से लेकर शाम तक कई बैच में प्रतिदिन 400 लोग ऑनलाइन कोर्स में शामिल हो रहे हैं। जूम एप पर चलने वाले कोर्स में 50 से 100 लोग तक जुड़ रहे हैं। संख्या अधिक हो जाने पर इसे दूसरे बैच में बदल दिया जा रहा है। बच्चों से लेकर बड़ों तक योगा, प्राणायाम और ध्यान से तनाव दूर किया जा रहा है। लोगों को योगासन सूर्य नमस्कार, अधोमुखक्षवास आसन, कपालभाति, नाड़ीशोधन, प्राणायाम सिखाया जा रहा है।
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क्लास करने के बाद लिया जा रहा फीडबैक
योग शिक्षिकाएं सोनाली सिंह एवं अनुप्रिया गुप्ता ने बताया कि प्रत्येक बैच खत्म होने के बाद अभिभावकों से फीडबैक भी लिया जा रहा है। पांच से दस मिनट तक जूम एप के जरिए ही सभी अभिभावकों से पूछा जाता है कि उनके बच्चों में क्या-क्या बदलाव देखने को मिल रहा है। बच्चे पहले से अधिक चीजों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं या नहीं। जवाब सकारात्मक मिल रहा है। अभिभावक ऑनलाइन उत्कर्ष एवं मेधा योगा की सराहना भी कर रहे हैं।
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ये ले रहीं ऑनलाइन कक्षाएं
- सोनाली सिंह
- अनुप्रिया गुप्ता
- रिया तायल
- मयंक सिंह
- विभु गौतम
- नवीन चौरसिया
- बेबी कुमारी
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यह मिल रहा लाभ
- बच्चे घर बैठे सीख रहे हैं बहुत सारे योग प्राणायाम।
- आसपास का तनाव भरा माहौल है, घर में ही मन को शात रखना।
- इम्यून (प्रतिरोधक क्षमता) सिस्टम बढ़ाने में सहयोग।
- लॉकडाउन एवं शारीरिक दूरी का पूर्णतया पालन।
- बेहतर शारीरिक लचीलापन एवं बैठने का तरीका।
- अंतस की शांति एवं अंर्तज्ञान।
- वजन में कमी एवं संपूर्ण स्वास्थ।
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घर में ही रहकर पढ़ाई करने वाले बच्चों के मतिष्क पर बुरा प्रभाव न पड़े, इसके लिए ऑनलाइन योग और मेडिटेशन की कक्षाएं शुरू कर दी गई हैं। बच्चे ऑनलाइन ध्यान कर सकते हैं और टेंशन को दूर कर सकते हैं। एक दिन में चार से पांच ऑनलाइन क्लासेज हो जा रही है। यह सत्र 90 से 120 मिनट का होता है। एक-एक ग्रुप में 300-400 बच्चे शामिल हो रहे हैं। एक साथ कई योग शिक्षक क्लास करा रहे हैं। काफी बढि़या अनुभव मिल रहा है। हमारी टीम में सात शिक्षक शामिल हैं, जो हर दिन योगासन करा रहे हैं।
- सोनाली सिंह, झारखंड स्टेट कोऑर्डिनेटर आर्ट ऑफ लिविंग