धार्मिक ग्रंथों में वर्णित प्राकृतिक वस्तुओं से बनाएं मूर्तियां, विसर्जन के बाद स्थानीय अनाथालय को भेजें कपड़े
दुर्गा पूजा को लेकर झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। नदी तालाब और अन्य जल स्त्रोत को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए आम नागरिकों से अपील की जा रही है। ताकि नदी तालाबों को प्रदूषण मुक्त रखा जा सके।
जागरण संवाददाता, धनबाद: दुर्गा पूजा को लेकर झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। नदी, तालाब और अन्य जल स्त्रोत को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए आम नागरिकों से अपील की जा रही है। ताकि नदी तालाबों को प्रदूषण मुक्त रखा जा सके। इसके मद्देनजर बोर्ड की ओर से मूर्ति विसर्जन के लिए दिशानिर्देश भी जारी किया गया है।
मूर्तियों के निर्माण में धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए प्राकृतिक वस्तुओं से मूर्तियां बनाने की अपील की गई है। परंपरा से चले आ रहे मिट्टी के उपयोग को ही पक्के मिट्टी और प्लास्टर ऑफ पेरिस आदि के बदले प्रोत्साहित करने की भी बात कही गई है। मूर्तियों में रंग-रोगन भी कम से कम किया जाए। यदि रंग-रोगन जरूरी हो तो जल में घुलने और हानि नहीं पहुंचाने वाले प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करें। हानिकारक एवं आसानी से अपघटित नहीं होने वाले रासायनिक रंगों का प्रयोग वर्जित है। पूजन सामग्री फूल, वस्त्र, प्लास्टिक, कागज आदि विसर्जित नहीं करें। अपघटित होने वाले पदार्थों को अलग से एकत्रित कर दोबारा प्रयोग में लाया जाए या कंपोस्ट बनाया जाए। अपघटित नहीं होने वाली वस्तुओं को अलग से एकत्रित कर सेनेटरी लैंड फिल्स में डाल दिया जाए। कपड़ों को स्थानीय अनाथालय को भी भेजा जा सकता है।
बोर्ड ने पूजा समितियों को मूर्ति विसर्जन के स्थान को चिह्नित कर घेरने की बात कही है। विसर्जन से पूर्व विसर्जन स्थल की तलहटी पर सिंथेटिक लाइनर बिछाने की भी जरूरत बताई। मूर्ति के जल में घुलने के बाद लाइनर को मूर्ति के अवशेषों के साथ जल से बाहर निकाल दिया जाए। अवशेष बांस व लकड़ी का दोबारा प्रयोग किया जा सकता है। मिट्टी और अन्य पदार्थों को सेनेटरी लैंडफिल्स में डाल दिया जाए।
रात 10 से सुबह छह बजे तक लाउडस्पीकर बजाने पर रोक
जेएसपीसीबी ने इसके साथ ही ध्वनि प्रदूषण नियमन एवं नियंत्रण नियमावली 2000 के तहत लाउडस्पीकर बजाने की भी समय सीमा निर्धारित कर दी है। रात्रि 10 से सुबह छह बजे तक सार्वजनिक स्थल पर लाउडस्पीकर का प्रयोग दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसके लिए ए,बी,सी और डी एरिया कोड के आधार पर ध्वनि का स्तर डेसीबल में निर्धारित किया गया है। औद्योगिक क्षेत्र में दिन में 75 व रात में 70 डेसिबल, व्यवसायिक क्षेत्र में दिन में 65 व रात में 55, आवासीय क्षेत्र में दिन में 55 और रात में 45 डेसिबल और शांति क्षेत्र में दिन में 50 और रात में 40 डेसिबल ध्वनि सीमा निर्धारित की गई है। दिन से अभिप्राय सुबह छह से रात्रि 10 बजे तक और रात्रि से तात्पर्य रात 10 से सुबह छह बजे तक है। शांत क्षेत्र से तात्पर्य अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान, न्यायालय और धार्मिक स्थल हैं। यहां कम से कम 100 मीटर की दूरी पर ही लाउडस्पीकर का प्रयोग किया जाना है।
इस संबंध में झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय पदाधिकारी रामप्रवेश कुमार ने बताया कि जल स्रोतों में मूर्तियों के विसर्जन से होने वाले कुप्रभाव से लोगों को जनजागरण कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूक भी करने की अपील की जा रही। जेएसपीसीबी के क्षेत्रीय कार्यालय की टीम भी मूर्ति विसर्जन पर नजर रखेगी। पूजा समितियों से संपर्क साध कर बोर्ड के नियमों से अवगत कराया जा रहा है।