मच्छरों के आतंक के बीच कबाड़ में जंग खा रही मोपेड फागिंग मशीन, धनबादवासी हुए परेशान, नगर निगम से लोग नाराज
शहर में मच्छरों का आतंक इस कदर बढ़ा है कि लोग काफी परेशान हैं। बावजूद इसके फागिंग के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। मोपेड फागिंग मशीन कबाड़ में जंग खा रही है। लोग परेशान होने के साथ ही साथ गुस्से में भी हैं।
जागरण संवाददाता, धनबाद। मच्छरों का आतंक इधर कुछ दिनों से तेजी से बढ़ा है। शहरवासी परेशान हैं। नगर निगम हाथ पर हाथ धरे बैठा है। फागिंग के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। पिछले कई दिनों से एक भी वार्ड में फागिंग नहीं हुई है। निगम पीठ वाली पांच मशीनों के भरोसे 55 वार्ड में फागिंग करा रहा है। मोपेड फागिंग मशीन कबाड़ में जंग खा रही है। एक तरफ पूरा शहर मच्छरों के आतंक से परेशान है, वहीं दूसरी तरफ पुरानी फागिंग मशीनें रिपेयर के इंतजार में पड़े-पड़े सड़ गई हैं। नगर निगम क्षेत्र के अधिकतर इलाकों में छह माह से लेकर दो वर्ष से अधिक समय से फागिंग हुई ही नहीं है। लोग परेशान होने के साथ ही गुस्से में भी हैं। शहरी क्षेत्र की जनसंख्या है लगभग साढ़े चार लाख। पांचों अंचल धनबाद, सिंदरी, झरिया, छाताटांड़ और कतरास अंचल में यह 10 लाख से अधिक है। कई इलाके ऐसे भी हैं जहां आज तक फागिंग भी नहीं हुई।
हर माह फागिंग पर तीन से चार लाख खर्च का दावा
निगम हर माह मच्छर भगाने में तकरीबन तीन से चार लाख रुपये खर्च करने की बात कह रहा है। निगम में 10 मोपेड माउंटेड मशीनें हैं, इनमें से आठ खराब हैं। प्रत्येक वार्ड में दो-दो हैंड स्प्रे मशीनें दी गई हैं। सूत्रों के अनुसार सिर्फ पांच-छह ही मशीन ही काम कर रही है। प्रत्येक हैंड स्प्रे पर हर सप्ताह दो हजार रुपया निगम खर्च करता है। इस हिसाब से एक साल में केवल स्प्रे पर निगम तीन लाख से अधिक खर्च करने का दावा है। फागिंग में किग फाग केमिकल का प्रयोग किया जाता है। यह बेअसर है। न मच्छर मरता है न ही भागता है। दवा की मात्रा कम कर छिड़काव किया जा रहा है। पांच लीटर डीजल में 250 एमएल केमिकल डालने का प्रावधान, मात्रा इससे कम डाली जाती है। नगर निगम के पास दो बड़ी और 10 छोटी फागिंग मशीनें हैं। एक बड़ी मशीन चालू, दूसरी पार्ट्स न मिलने की वजह से खड़ी है।
स्थानीय लोगों ने बताई अपनी परेशानी
भेलाटांड़ के प्रमोद कुमार हाजरा ने बताया, अधिकारियों के एक फोन पर फागिंग हो जाती है, लेकिन जनता वर्षों से फागिंग मशीन की एक झलक तक देखने को तरस गई है। हमें याद ही नहीं हमारे मोहल्ले में पिछली बार कब फागिंग हुई थी। निगम के अधिकारी सुनते ही नहीं।
भेलाटांड़नगर से जैनुल आबेदीन ने कहा, निगम क्षेत्र का कोई ऐसा इलाका नहीं बचा है जहां मच्छरों का प्रकोप न हो। अचानक मच्छर बढ़ गए हैं। हर इलाके में निगम की फागिंग नहीं हो रही है। अधिकारियों के बंगले पर जरूर नगर निगम फागिंग करा रहा है। निगम का अधिकतर इलाका फागिंग से वंचित है। सभी वार्ड में इस समय फागिंग बंद है।
नूतनडीह से आदित्य सिंह ने कहा, याद नहीं कि हमारे मोहल्ले में अंतिम बार कब फागिंग हुई थी। फागिंग न होने की वजह से पढ़ाई में भी दिक्कत हो रही है। मच्छर अगरबत्ती का खर्च अलग से बढ़ गया है। नगर निगम को इस बारे में सोचना चाहिए। कोई सुनने को तैयार नहीं है।
नूतनडीह के ही सतीश कुमार ने कहा, नगर निगम सिर्फ टैक्स लेना जानता है, सुविधाएं देने के नाम पर शून्य है। जिस महीने टैक्स न जमा करें, तो अगले दिन नोटिस पहुंच जाता है। यहां वर्षों से फागिंग नहीं हो रही है, इसके लिए दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती।
इन इलाकों में छह माह से नहीं हुई फागिंग
कस्तूरबा नगर लुबी सर्कुलर रोड, भेलाटांड़, नूतनडीह, कोआपरेटिव कालोनी, स्वामी सहजानंद नगर झाड़ूडीह, लक्ष्मी पेट्रोल पंप के पीछे शास्त्री नगर, अशोक नगर कालोनी, धैया, लाहबनी, न्यू बिशुनपुर दुर्गा मंदिर रोड, बारामुड़ी बाबूडीह, मनोरम नगर, पुराना बाजार, पंडित क्लीनिक रोड, वीआइपी कालोनी धैया, हाउसिंग कालोनी, नीलांचल कालोनी, सहयोगी नगर सेक्टर-3, चासनाला, सुदामडीह, रिवर साइड, पाथरडीह, लोको बाजार, मोहन बाजार, नुनुडीह, पारडीह अजमेरा के इलाके शामिल हैं।
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