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काली धरती पर कृषि उत्पाद बढ़ाने को नीरांचल योजना

टीम ने पाया कि तालाब निर्माण होने के बाद इसका उपयोग कृषि के लिए नहीं हो पा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 10:59 AM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 10:59 AM (IST)
काली धरती पर कृषि उत्पाद बढ़ाने को नीरांचल योजना

जागरण संवाददाता, धनबाद। जल्द ही धनबाद जिले में नीरांचल योजना की शुरुआत होगी। केंद्र व राज्य सरकार के साथ विश्व बैंक द्वारा संपोषित इस योजना के तहत कोयले की इस धरती पर जल संरक्षण के साथ बेहतर सिंचाई व्यवस्था करने और कृषि आधारित उत्पादों की उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। योजना की शुरुआत करने को लेकर विश्व बैंक के मूल्यांकन कर्ताओं की टीम का दौरा हुआ। टीम ने जलछाजन की पुरानी योजनाओं का निरीक्षण किया। इसमें जहां सालुकचपड़ा की स्थिति योजना के अनुसार नहीं मिली, वहीं पत्थरकुआं में किए गए जल संरक्षण पर संतोष जताया।

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टीम का नेतृत्व रांची से आए विश्व बैंक प्रतिनिधि वेदमूर्ति कर रहे थे। टीम पहले सालुकचपड़ा गई, वहां जलछाजन मिशन के तहत बने तालाबों का निरीक्षण किया। टीम ने पाया कि तालाब निर्माण होने के बाद इसका उपयोग कृषि के लिए नहीं हो पा रहा है। ग्रामीणों से बात करने पर आधुनिक कृषि के लिए प्रशिक्षण नहीं मिलने की बाती सामने आयी। यहां के बाद यह टीम कलियासोल प्रखंड के पत्थरकुआं पहुंची। एक सौ एकड़ में बने जल शोषक नाला को देखा और संतोष जताया। बाद में टीम और जलछाजन मिशन से जुड़ी संस्थाओं की एक बैठक कृषि भवन सरायढेला में हुई। इसमें नीरांचल योजना के तहत किए जाने वाले कार्यो की जानकारी दी गई। वेद मूर्ति ने बताया कि नीरांचल योजना के तहत जल संरक्षण के साथ-साथ कृषि कार्य के लिए पानी का भरपूर उपयोग पर अब जोर दिया जाएगा।

202 करोड़ की योजना : झारखंड में इस योजना के क्रियान्वयन पर 202 करोड़ रुपये खर्च होंगे। छह साल तक संचालित होने वाली इस योजना में 121.23 करोड़ रूपये विश्व बैंक देगी, जबकि शेष राशि 60 एवं 40 फीसद के हिसाब से केंद्र एवं राज्य सरकार को लगाना है।


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