BCCL: आउटसोर्सिंग कंपनियों के इशारे पर नाचते कोयला अधिकारी, दो पूर्व निदेशक का सच उजागर; मंत्रालय ने की यह कार्रवाई
Action Against 2 Former BCCL Directors बीसीसीएल व ईसीएल में आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा बीच में ही काम छोड़ देने (फोरक्लोजर) के 13 मामले की शिकायत संसदीय समिति तक पहुंची थी। जांच शुरू हुई तो भारी गड़बड़ी मिली। इनमें 11 मामले बीसीसीएल व दो मामले ईसीएल के थे।
धनबाद [ आशीष अंबष्ठ ]। Action Against 2 Former BCCL Directors बीसीसीएल की जीनागोरा नार्थ-साउथ तिसरा व ईसीएल की जामबाद ओसी पैच में आउटसोर्सिंग से खनन का काम बीच में छोड़ देने व फिर अधिक दर पर टेंडर देने के दो अलग-अलग मामलों में पूर्व निदेशक, तकनीकी (प्रोजेक्ट एंड प्लानिंग) देवेल गांगुली व पूर्व निदेशक (वित्त) केएस राजशेखर को कोयला मंत्रालय की विजिलेंस टीम ने दोषी पाया है। ईसीएल में खनन का काम बीच में छोड़ देने के मामले में ही बीसीसीएल के सीएमडी अजय कुमार सिंह व तकनीकी निदेशक प्रोजेक्ट एंड प्लानिंग एनके त्रिपाठी की कुर्सी जा चुकी है। कोयला मंत्रालय के अवर सचिव किशोर कुमार ने बीसीसीएल प्रबंधन को लिखे पत्र में गांगुली को दो अलग-अलग मामलों में चार व केएस राजशेखर का दो इंक्रीमेंट काटने का आदेश दिया है।
दोनों अधिकारियों के इंक्रीमेंट में कटाैती
देवेल गांगुली 31 दिसंबर 2018 को सेवानिवृत्त हुए हैं। इनका चार इंक्रीमेंट 31 दिसंबर 2016 से कटेगा। जबकि केएस राजशेखर 31 जून 2019 को सेवानिवृत्त हुए। इनका दो इंक्रीमेंट एक जून 2017 से कटेगा। देवेल गांगुली का सेवानिवृत्ति के समय दो लाख आठ सौ पचास रुपये बेसिक वेतन था। इसमें कटौती कर एक लाख 68 हजार कर दिया गया है। वहीं केएस राजशेखर का सेवानिवृत्ति के समय 2,00,680 रुपये बेसिक था। इंक्रीमेंट में कटौती कर उसे 1,83,470 कर दिया गया है।
पहले ठेका रद किया, फिर उसी कंपनी को अधिक दर पर दे दिया ठेका
बीसीसीएल व ईसीएल में आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा बीच में ही काम छोड़ देने (फोरक्लोजर) के 13 मामले की शिकायत संसदीय समिति तक पहुंची थी। जांच शुरू हुई तो भारी गड़बड़ी मिली। इनमें 11 मामले बीसीसीएल व दो मामले ईसीएल के थे। देवेल गांगुली जामबाद में मुख्यालय जीएम कांट्रैक्ट मैनेजमेंट सेल (सीएमसी) थे। जामबाद ओसीपी का ठेका महालक्ष्मी इंफ्रा कांट्रैक्ट प्राइवेट लिमिटेड को मिला था। पहले की निविदा को बीच में रद कर फिर से निविदा होने से उसी काम में कंपनी को करीब 1.9 करोड़ अधिक राशि देनी पड़ी थी।
संसदीय समिति ने उठाया है सवाल : संसदीय समिति ने जांच के क्रम में कई सवाल उठाए थे। कहा कि जामबाद ओसीपी में महालक्ष्मी इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने बीच में ही काम छोड़ दिया। इसमें वरीय अधिकारियों का ही हाथ है। समिति ने फोरक्लोजर मामले में आपत्ति जताते हुए सीबीआइ जांच की अनुशंसा करते हुए कार्रवाई का निर्देश दिया था।
इस मामले में देवेल व राजशेखर पर हुई कार्रवाई
दोनों अधिकारियों ने बीसीसीएल लोदना एरिया के जीनागोरा एफ पैच परियोजना का विस्तारीकरण नियमों की अनदेखी कर कराई। परियोजना में कोयला खनन के लिए टेंडर करीब 450 करोड़ में दिया गया था। 2014 से 2017 के बीच एटी देवप्रभा आउटसोर्सिंग कंपनी को इसका ठेका मिला था। उसके बाद परियोजना विस्तारीकरण के लिए कमेटी बनी। तत्कालीन कोल इंडिया डीटी व बीसीसीएल के प्रभारी सीएमडी एन कुमार ने बोर्ड में इसकी मंजूरी नहीं दी। 2017 में इस पर देवेल गांगुली व केएस राजशेखर ने विस्तारीकरण मामले को देखने के लिए कमेटी गठित की। इस कमेटी ने नियमों की अनदेखी कर पुराने टेंडर की राशि को बढ़ाकर 11 सौ करोड़ से अधिक राशि पर विस्तारीकरण को सहमति दे दी। मामले को विजिलेंस ने पकड़ लिया। शिकायत मंत्रालय तक हुई। दो निदेशक व पांच जीएम के नाम इस मामले में सामने आए। कोल मंत्रालय के संयुक्त सचिव एन सुधांशु ने जांच की तो गड़बड़ी पाई।
दोनों अधिकारी से रिकवर की जाएगी राशि
दोनों निदेशक से दो साल के दौरान भुगतान की गई राशि की रिकवरी की जाएगी। करीब 25 लाख रुपया वापस लेते हुए पेंशन भी रिवाइज किया जाएगा।