Achala Saptami 2021: अचला सप्तमी का व्रत करने से सूर्य नारायण अपने भक्तों को सुख-समृद्धि व नीरोग का देते आशीर्वाद
माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ आरोग्य सप्तमी मनाई जाती है। अचला सप्तमी को रथ भानू और अरोग्य सप्तमी के नाम से भी जानते हैं। यह ब्रह्मांड में ऊर्जा के एकमात्र स्रोत भगवान सूर्य के जन्म का दिन होता है।
धनबाद, जेएनएन: माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ आरोग्य सप्तमी मनाई जाती है। अचला सप्तमी को रथ, भानू और अरोग्य सप्तमी के नाम से भी जानते हैं। यह ब्रह्मांड में ऊर्जा के एकमात्र स्रोत भगवान सूर्य के जन्म का दिन होता है। इसी दिन से भगवान सूर्य अपने साथ घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर विचरण प्रारंभ करते हैं। इसे रथ आरोग्य सप्तमी कहा जाता है।
सूर्य संपूर्ण ब्रह्मांड का न केवल ऊर्जा स्रोत है बल्कि यह स्वस्थ जीवन प्रदान करने वाले प्रत्यक्ष देवता है। पंडित सुभाष पांडेय के अनुसार सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है और जन्मकुंडली में सूर्य की प्रबलता जातक को उच्च पद, सम्मान, प्रतिष्ठा दिलवाती है। मान्यता है कि इस दिन सूर्यदेव ने सबसे पहले विश्व को प्रकाशित किया था। अचला सप्तमी के दिन सूर्यदेव की आराधना का अक्षय फल मिलता है एवं सभी प्रकार के तापों से मुक्ति मिलती है। सूर्य नारायण अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और निरोग होने का आशीर्वाद देते हैं। भविष्य पुराण की मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से सौभाग्य, सुंदरता और उत्तम संतान का वरदान मिलता है।
शुभ मुहूर्तः
सप्तमी तिथि आरंभ- 18 फरवरी 2021 दिन गुरूवार को सुबह 8ः 17 मिनट से
सप्तमी तिथि समाप्त- 19 फरवरी 2021 दिन शुक्रवार सुबह 10ः 58 मिनट तक।
किसे रखना चाहिए अचला सप्तमी का व्रतः
अचला सप्तमी का व्रत उन लोगों को करना चाहिए जो जातकों की कुंडली में सूर्य नीच राशि का हो या शत्रु घर में विराजमान में हो। जिन लोगों की सेहत अक्सर खराब रहती हो, शिक्षा में बाधाओं का सामना कर रहे और संतान प्राप्ति की कामना रखने वालों को अचला सप्तमी का व्रत रखना चाहिए। यह व्रत करने से निश्चित रूप से लाभकारी होता है।