लॉकडाउन से पहले निगम क्षेत्र से प्रतिदिन निकलता था 400 टन कचरा, घटकर हुआ 300 टन Dhanbad News
लॉकडाउन के दौरान पिछले 31 दिनों में धनबाद नगर निगम क्षेत्र से 9300 टन कचरा निकला। एक अनुमान के अनुसार अगर लॉकडाउन नहीं होचा तो 12 हजार 400 टन कचरा निकलता।
धनबाद, [आशीष सिंह]। देश के नंबर वन प्रदूषित शहरों में शुमार धनबाद यूं ही इस पायदान पर नहीं पहुंचा है। यहां नियमों का उल्लंघन बड़ा कारण है। बात कचरे की करते हैं, शहर से रोज 400 टन कचरा निकलता है। 300 टन सूखा एवं गीला और 21 टन प्लास्टिक कचरा। कई वर्षों से लगभग यही आंकड़ा है। धनबाद से 11 किलोमीटर दूर बनियाहीर में तीन वर्षों में 4 लाख 32 हजार टन कचरा डंप किया जा चुका है। इस बीच लॉकडाउन ने ऐसा मैजिक किया कि कचरा डाउन हो गया। अब महज 300 टन कचरा रोज निकल रहा है, यानी 100 टन की गिरावट।
जानकर हैरानी होगी कि 31 दिन के लॉकडाउन पीरियड में शहर से 9300 टन कचरा निकला है। लॉकडाउन नहीं होता तो यह आंकड़ा 12 हजार 400 टन पहुंचता। सबसे बेहतर स्थिति प्लास्टिक कचरे की हुई है। धनबाद से प्रतिदिन 21 टन प्लास्टिक कचरा निकलता था, जो 400 किलो से भी अभी कम हो गया है। यानी लोगों ने बेवजह का कचरा फेंकना कम कर दिया है। प्लास्टिक का प्रयोग ना के बराबर हो रहा है। सिर्फ धनबाद ही नहीं पूरे झारखंड की यही स्थिति है। लॉकडाउन संदेश दे रहा है कि अगर हम चाहें तो कचरे को कम कर सकते हैं। बस इच्छाशक्ति की जरूरत है।
फैक्ट फाइल :
- नगर निगम क्षेत्र से प्रतिदिन 400 टन निकलता कचरा।
- ढाई लाख मकान, जहां से हर दिन निकलता 70 फीसद कचरा।
- 25 से 30 हजार व्यवसायिक प्रतिष्ठान जो 30 फीसद निकालते हैं कचरा।
- बनियाहीर में डंप हो रहा सभी तरह का कचरा
लॉकडाउन में एक भी पशु की नहीं हुई मौत : जिला पशुपालन विभाग के अनुसार फरवरी और मार्च में विभिन्न तरह का कचरा खाने से लगभग एक दर्जन पशुओं की मौत हुई थी। लॉकडाउन अवधि में एक भी पशु की मौत नहीं हुई। डॉ. श्रीनिवास सिंह कहते हैं कि प्लास्टिक और कई दूसरे तरह का कचरा निगलने से 70 फीसद पशुओं की मौत हो जाती है।
हमारे कर्मी नियमित कचरा उठा रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से कचरा निकलना कम हुआ है। व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद हैं, यहां कचरा निकल नहीं रहा है। लगभग ढाई लाख मकान हैं, यहां से घरेलू कचरा निकल रहा है। -विक्रांत शर्मा, डिप्टी मैनेजर रैमकी एजेंसी।