12 महीने में 85 दरिंदों ने किया नाबालिग की अस्मत से खिलवाड़, पोक्सो एक्ट में अधिक एफआइआर
देश व कानून जहां सख्त हुआ है, वहीं समाज में वहशी दरिंदों की कमी नहीं है। गत वर्ष 12 महीने में जिला भर से तकरीबन 85 नाबालिग व किशोरी से दुष्कर्म व शारीरिक शोषण की घटनाएं हुईं।
जागरण संवाददाता, धनबाद: देश व कानून जहां सख्त हुआ है, वहीं समाज में वहशी दरिंदों की कमी नहीं है। गत वर्ष 12 महीने में जिला भर से तकरीबन 85 नाबालिग व किशोरी से दुष्कर्म व शारीरिक शोषण की घटनाएं हुईं। नाबालिग से शारीरिक खिलवाड़ के चक्कर में दर्जनों दरिंदे जेल भी भेजे गए। पुलिस उसके खिलाफ पोक्सो एक्ट की धारा 7 और 8 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर आरोपितों को कानूनी तौर पर सजा दिलाने की कोशिश में जुटी है।
वर्ष 2012 में बने पोक्सो कानून देश भर के नाबालिग व किशोरी की सुरक्षा के लिए रामवाण साबित हुआ है। वर्तमान समय में ऐसे वहशी दरिंदे पर कानूनी शिकंजा कसने के लिए पुलिस सबसे अधिक इस एक्ट का प्रयोग कर रही है। वर्ष 2018 में जहां समान्य दुष्कर्म की घटना तकरीबन 60 के करीब थी, वहीं पोक्सो एक्ट का आकड़ा 85 के करीब पार कर चुका था।
क्या है पोक्सो एक्ट: प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल ऑफेंसेज (पोक्सो एक्ट) 2012 में बच्चों के प्रति यौन उत्पीडऩ, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय की पहल पर बनाया गया। इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। पोक्सो अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं, जिनमें बच्चों के प्राइवेट पार्ट से छेडछाड़ की जाती है। इस धारा के आरोपितों पर दोष सिद्ध हो जाने पर 5 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
गत वर्ष जिले में दर्ज प्राथमिकी
माह पोक्सो एक्ट सामान्य दुष्कर्म
जनवरी 06 04
फरवरी 05 04
मार्च 07 09
अप्रैल 08 05
मई 09 04
जून 10 02
जुलाई 06 07
अगस्त 06 09
सितंबर 13 05
अक्टूबर 07 02
नवंबर 04 04
दिसंबर 04 05