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729 करोड़ की गोविदपुर-निरसा मेगा ग्रामीण जलापूर्ति योजना पर लगा ग्रहण

729 करोड़ की गोविदपुर-निरसा मेगा ग्रामीण जलापूर्ति योजना पर ग्रहण लगता दि

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 05:25 AM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 05:25 AM (IST)
729 करोड़ की गोविदपुर-निरसा मेगा ग्रामीण जलापूर्ति योजना पर लगा ग्रहण

श्रवण कुमार, मैथन

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729 करोड़ की गोविदपुर-निरसा मेगा ग्रामीण जलापूर्ति योजना पर ग्रहण लगता दिख रहा है। मैथन और पंचेत डैम से गोविदपुर व निरसा के 430 गांवों में पाइप लाइन से पानी पहुंचाने की यह महत्वाकांक्षी योजना चार साल का कार्य अवधि खत्म होने के बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। इकरारनामा के तहत योजना का निर्माण कर रही टहल कंपनी को पिछले साल दिसंबर तक कार्य पूरा कर देना था, लेकिन अभी तक 55 फीसद काम भी पूरा नहीं हो पाया है। कार्य की गति को देखकर कहा जा सकता है कि योजना पूरी होने में कम से कम डेढ़ से दो साल और लगेंगे। दरअसल, अभी तक मैथन और पंचेत डैम में बनने वाले इंटेकवेल का निर्माण तक शुरू नहीं हुआ है।

कंपनी ने इंटकवेल निर्माण के लिए फाइनल प्राक्कलन तक तैयार कर नहीं दिया है। कलियासोल के पाथरकुआं व निरसा के देवियाना में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण भी पूरा नहीं हुआ है। देवियाना में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण का कार्य वे तत्काल बंद है। 430 गांवों में जलापूर्ति पाइप लाइन बिछाने का कार्य ठीक से आरंभ नहीं हुआ है। निरसा गोविदपुर मेगा जलापूर्ति योजना की धीमी गति पेयजल विभाग निर्माण कंपनी टहल से काफी असंतुष्ट है। कंपनी को कार्य में तेजी लाने की अंतिम चेतावनी दी गई है। कार्य में सुधार नहीं होने पर कंपनी को टर्मिनेट कर दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार रांची मुख्यालय से इतनी तैयारी चल रही है। कंपनी को कभी भी टर्मिनेट किया जा सकता है।

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मैथन व पंचेत डैम से 430 गांवों को उपलब्ध कराना है पेयजल

गोविदपुर-निरसा मेगा ग्रामीण जलापूर्ति योजना के माध्यम से मैथन व पंचेत डैम से 430 गांवों तक पेयजल उपलब्ध कराना है। योजना की निविदा टहल कंपनी को मिली है। इस योजना को दो भाग उत्तर व दक्षिण में बांटा गया है। गोविदपुर-निरसा उत्तर से मैथन डैम से 301 गांव और दक्षिण से पंचेत डैम से 129 गांव में जलापूर्ति की योजना है। उत्तरी भाग का इंटेकवेल मैथन डैम व वाटर ट्रीटमेंट प्लांट देवियाना में होगा। वाटर ट्रीटमेंट से 62 एमएलडी जलापूर्ति की क्षमता होगी। निरसा में पांच व गोविदपुर में 12 जलमीनार होगी। वहीं दक्षिणी भाग का इंटेकवेल पंचेत डैम व वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पाथरकुआं में होगा। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से 32 एमएलडी जलापूर्ति की क्षमता होगी। इसमें 12 जलमीनार होगी।

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कंपनी दो साल का चाह रही कार्य विस्तार

निरसा और गोविदपुर के ग्रामीण इलाकों में घर घर मैथन और पंचेत डैम से पाइप लाइन के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2016 से निर्माण शुरू कराया गया। अभी तक अभी तक आधा काम ही पूरा हो पाया है। कंपनी कार्य पूरा करने के लिए दो साल का समय विस्तार चाह रही है। लेकिन 3 या 6 महीना से अधिक समय विस्तार देना विभाग के लिए संभव नहीं है। वह भी तब जब थोड़ा बहुत काम बचा हो। यहां तो तकरीबन 50 फीसद काम बचा हुआ है। राज्य मंत्रिमंडल से ही अधिक समय विस्तार दिया जा सकता है। कंपनी को इकरारनामा का समय खत्म होने के बाद कोई विस्तार नहीं दिया गया है।

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इंटेकवेल का निर्माण आरंभ नहीं होना सबसे बड़ा अड़ंगा

इस महत्वाकांक्षी योजना का समय से पीछे होने का महत्वपूर्ण कारण अभी तक इंटेकवेल का निर्माण शुरू नहीं होना है। इस योजना में फ्लोटिग इंटेकवेल बनाने की योजना है जिसकी प्रशासनिक स्वीकृति अब तक नहीं मिली है। इंटेकवेल के निर्माण में जितना विलंब होगा योजना पूर्ण होने में उतनी ही देरी होगी।

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वर्जन :

गोविदपुर-निरसा मेगा ग्रामीण जलापूर्ति योजना का कार्य 55 प्रतिशत के आसपास पूरा हो पाया है। कंपनी का कार्य अभी तक संतोषजनक नहीं है।

मोहन मंडल, एसडीओ, पेयजल विभाग धनबाद


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