सोशल मीडिया पर आठ घंटे से अधिक समय बिता रहे 30% बच्चे, 60 फीसद युवतियां कर रही अश्लील पोस्ट Dhanbad News
सोशल मीडिया पर बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखने की जरूरत है। बच्चे साइबर क्रिमिनल के लिए साफ्ट टार्गेट बन रहे हैं। साथ ही ये गलत उम्र बताकर एडल्ट साइट्स पर भी जा रहे हैं।
धनबाद, जेएनएन। लॉकडाउन ने इंटरनेट व इसके प्रयोग पर निर्भरता बढ़ा दी है। स्कूल ऑनलाइन क्लासेज चला रहे हैं। जाहिर सी बात है कि ऐसे में बच्चों का ज्यादातर समय स्मार्टफोन पर बीत रहा है। ऐसे में साइबर सिक्योरिटी की चिंता भी बढ़ती जा रही है। साइबर सिक्योरिटी एक्सपोर्ट और एथिकल हैकर दीपक कुमार गाइड चाइल्ड की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहते हैं कि 70 फीसद बच्चे एडल्ट साइट्स पर जाने के लिए गलत उम्र बताते हैं और 75 फीसद अश्लील चैट करते हैं।
सोशल मीडिया पर 30 फीसद बच्चे ऐसे हैं जो आठ घंटे से अधिक समय बिता रहे हैं। 24 फीसद किशोरियों ने माना है कि उन्होंने न्यूड तस्वीर या सेमी न्यूड तस्वीर साझा की है। 46 फीसद बच्चों ने अश्लील सामग्री और देखने की बातें स्वीकार की है। इतना ही नहीं 67 फीसद किशोर और 60 फीसद युवतियां सोशल साइट्स पर अश्लील पोस्ट करते हैं। लॉकडाउन में बच्चों की मोबाइल पर निर्भरता बढ़ी है। ऐसे में इसका ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इतना ही नहीं इसकी वजह से साइबर क्राइम भी बढ़ गया है। बच्चे साइबर क्रिमिनल के साफ्ट टार्गेट बन रहे हैं। धनबाद साइबर थाना प्रभारी ए.बाड़ा के अनुसार लॉकडाउन में 30 से 35 शिकायतें आयी हैं।
सोशल मीडिया का ऐसे होता है प्रयोग
- दो घंटा या उससे कम : 20 फीसद
- 2 से 4 घंटे : 24 फीसद
- 4 से 8 घंटे : 35 फीसद
- 8 घंटे से अधिक : 30 फीसद
- बिल्कुल भी प्रयोग नहीं : 6 फीसद
ये बरतें सावधानियां
- मोबाइल और कंप्यूटर के अधिक प्रयोग की इजाजत न दें।
- ब्राउजिंग हिस्ट्री खंगालें।
- अगर ब्राउजिंग हिस्ट्री डिलीट कर दिया गया है तो कारण पूछें।
- क्रोम पर जाकर माईएक्टिविटी डॉट कॉम पर क्लिक करें।
- सोशल साइट्स पर दोस्तों की नजर रखें।
- बच्चे के एटीट्यूड पर नजर रखें, बच्चा किस-किस बात पर चिढ़ता है, गुस्सा करता है।
- बच्चे कहीं डरे सहमे तो नहीं रहते हैं।
- बच्चे का सिम कार्ड का एप अपने मोबाइल में रखें और प्रत्येक महीने की कॉल हिस्ट्री जांच करें।
- बच्चों से हमेशा खुलकर दोस्तों जैसा व्यवहार करें और फोटोग्राफ्स अपलोड करने, उसके मिस यूज और सोशल साइट्स के मानसिक और भौतिक नुकसान के बारे में अवगत कराएं।
- इंटरनेट एडिक्शन के बारे में भी बच्चों को अवगत कराएं।
- अश्लीलता साइट के मानसिक दुष्परिणाम के बारे में बच्चों को अवगत कराएं।
- बच्चे अगर अपनी निजी तस्वीरें शेयर कर रहे हैं तो कहीं ना कहीं वह मानसिक रोग से ग्रस्त हो रहे हैं।
- कभी भी अपने पति या प्रेमिका को अपनी निजी तस्वीरें ना दें, संबंध विच्छेद और तलाक के समय इसका गलत प्रयोग किया जाता है।
- सोशल साइट्स पर हमेशा सिक्योरिटी गार्ड रखें, जिससे आपके फोटोग्राफ्स डाउनलोड होने के साथ स्क्रीनशॉट ना लिया जा सके।
अश्लील तस्वीरें पोस्ट करना और उस पर आपत्तिजनक टिप्पणी करना अपराध है। सूचना प्रौद्योगिकी की धारा 66 और 354सी के अंतर्गत आता है। किसी के फोटोग्राफ्स के साथ छेड़छाड़ करना और अपलोड करना भी क्राइम है। किसी भी तरह का भड़काऊ वीडियो लाइक करना और फॉरवर्ड करना भी क्राइम है। इसमें तीन से 10 साल तक की सजा हो सकती है। -दीपक कुमार, साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट।