पति-पत्नी के रिश्तों को बिगाड़ रहा यह 'तीसरा आदमी', यहां शादियों से ज्यादा तलाक की अर्जी हो रही दाखिल
SOCIAL MEDIA BAD EFFECT धनबाद कोर्ट में तलाक के लिए जितने भी आवेदन आए उनमें अधिकतर मामलों में पति-पत्नी के बीच विश्वास की कमी और इंटरनेट मीडिया मुख्य कारण रहा। अक्सर दोनों पक्षों की शिकायत रही कि उनका अधिकतर समय मोबाइल पर ही बीतता है।
अजय भटट, धनबाद। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि शादियां स्वर्ग में ही तय होती है, लेकिन समझ में नहीं आता कि पृथ्वी पर आते ही लोग इस पवित्र बंधन को कैसे भूल जाते हैं। आधुनिकता के इस दौर में पारिवारिक रिश्तों की डोर कमजोर होती जा रही है, सात जन्मों तक साथ देने का वादा करने वाला बंधन एक जन्म भी नहीं टिक पा रहा है। अगर हम जिले में बीते वर्ष के आंकड़ों को देखें तो विशेष विवाह निबंधन कार्यालय मेें जितनी शादियां नहीं हो रही है, उससे कहीं ज्यादा पारिवारिक विवाद के मामले फैमिली कोर्ट पहुंच रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण सोशल मीडिया और स्मार्ट फोन बन रहा है। यह पति-पत्नी के बीच अविश्वास पैदा कर रहा है।
विवाह निबंदन के 72 तो तलाक के 197 आवेदन
धनबाद में बीते वर्ष यानी 2021 में विवाह निबंधन कार्यालय में कुल 72 विवाह के आवेदन दायर हुए। वहीं विवाह उपरांत निबंधन के लिए नगर निगम कार्यालय में 1,067 अर्जी दायर की गई। इससे इतर पति-पत्नी के बीच मामूली विवाद को लेकर कई आवेदन अलगाव के लिए कोर्ट में दायर हुए। कोर्ट पहुंचने वाले कुछ मामलों को मध्यस्थता केंद्र में सुलझाया गया पर अधिकांश मामलों में बात नहीं बनी। जिले में बीते वर्ष 197 तलाक के आवेदन कोर्ट के पास आए। वहीं आज भी महिला थाने में रोजाना औसतन चार मामले पारिवारिक विवाद के पहुंच रहे हैं।
इंटरनेट मीडिया व विश्वास की कमी सबसे बड़ा कारण
कोर्ट में तलाक के लिए जितने भी आवेदन आए, उनमें अधिकतर मामलों में पति-पत्नी के बीच विश्वास की कमी और इंटरनेट मीडिया मुख्य कारण रहा। अक्सर दोनों पक्षों की शिकायत रही कि उनका अधिकतर समय मोबाइल पर ही बीतता है। वहीं कई मामलों में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर अवैध संबंध का भी आरोप लगाया। इसके अलावा शराब की लत, महिलाओं द्वारा मार्डन दिखना, दोनों पक्ष की आर्थिक व सामाजिक विषमता को लेकर भी ज्यादा मामले सामने आए हैं।
फैमिली कोर्ट में दायर हुए एक हजार से ज्यादा मामले
पारिवारिक विवाद के कुल 2,827 मामले अब भी जिले के फैमिली कोर्ट में लंबित है। वहीं बीते वर्ष 23 दिसंबर तक फैमिली कोर्ट में पति-पत्नी विवाद के कुल 1,531 मामले दर्ज हुए हैं। आपसी सहमति से 112 दंपतियों ने तलाक की अर्जी लगाई है, जबकि 85 ऐसे मामले आए, जिसमें एक पक्ष ने तलाक मांगा है। वही 629 महिलाओं ने भरण पोषण की मांग की। मुस्लिम ला के तहत भी 57 मुकदमे अबतक दाखिल किए गए हैं।
पिछले दस वर्ष में फैमिली कोर्ट में लंबित मामले
- वर्ष 2012 - 2850
- वर्ष 2013 - 3105
- वर्ष 2014 - 2193
- वर्ष 2015 - 2284
- वर्ष 2016 - 2636
- वर्ष 2017 - 1688
- वर्ष 2018 - 1685
- वर्ष 2019 - 1703
- वर्ष 2020 - 1812
- वर्ष 2021 - 2827
केस स्टडी
- सुगंधा (परिवर्तित नाम) की शादी नवंबर 15 को ही अनुज (परिवर्तित नाम) से हुई। अनुज को इस बात से परेशानी थी कि उसकी पत्नी को लड़कों के फोन आते थे। जबकि प्राइवेट कंपनी में कार्यरत पत्नी का कहना था कि फोन उसके सहकर्मियों के रहते थे। धीरे-धीरे बात इतनी बढ़ी कि दोनों ने तलाक के लिए अर्जी डाल दी।
- आयुषी (परिवर्तित नाम) के शादी के अभी कुछ माह ही हुए थे। वह अपने पति के साथ अलग रहना चाहती थी पर उसका पति अपने मां-पिता के साथ रहना चाहता था। इसी को लेकर दोनों में विवाद हुआ और मामला कोर्ट तक पहुंच गया।
पति-पत्नी के बीच रिश्तों की मजबूती के लिए एक-दूसरे पर भरोसा होना जरूरी है। कभी भी विवाद होने पर एक पक्ष को धैर्य रखकर दूसरे की बात समझने की कोशिश करनी चाहिए, तभी रिश्ता बचा रह सकता है। लेकिन आज से समय में कोई झुकने को तैयार नहीं होता, नतीजन लोग तलाक लेने के कोर्ट पहुंच रहे हैं।
निताशा बारला, अवर न्याययाधीश, धनबाद
आज लोगों में पारिवारिक रिश्तों को लेकर सोच बदल गई है। आधुनिकता के चक्कर में पारिवारिक मूल्यों का पतन होता जा रहा है। इसके अलावा निम्न वर्ग में नशे की लत और मध्यम व उच्चतम वर्ग में इंटरनेट मीडिया और अवैध संबंध को लेकर पति-पत्नी के बीच दूरियां बढ़ रही है और बात तलाक तक पहुंच जा रही है।
-मीना सिन्हा, अधिवक्ता, मध्यस्थता केंद्र, धनबाद