एसएनएमएमसीएच में 2013-14 से अब तक पास चिकित्सकों का भी रद होगी मान्यता : एमसीआइ
एसएनएमएमसीएच की अनदेखी करना राज्य सरकार को महंगा पड़ गया है। मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआइ) अब नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने एनएसएमएमसीएच की मान्यता रद करने तथा 2013-14 से अब तक पास आउट चिकित्सक व अध्ययनरत मेडिकल स्टूडेंट्स की मान्यता रद कर देने की चेतावनी दी है।
मोहन गोप, धनबाद : एसएनएमएमसीएच की अनदेखी करना राज्य सरकार को महंगा पड़ गया है। मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआइ) अब नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने एनएसएमएमसीएच की मान्यता रद करने तथा 2013-14 से अब तक पास आउट चिकित्सक व अध्ययनरत मेडिकल स्टूडेंट्स की मान्यता रद कर देने की चेतावनी दी है। इस संबंध में एमसीआइ ने कॉलेज प्रबंधन को पत्र भेजकर कड़ी नाराजगी जताई है।एमसीआइ ने कहा है कि सर्शत मान्यता के तहत सन 2013-14 तक शिक्षकों की कमी सहित कमियां को पूरी कर लेने थी। लेकिन मेडिकल कॉलेज ने अभी तक कमियां पूरी नहीं की है। एमसीआइ के पत्र के बाद मेडिकल कॉलेज में खलबली बच गया है। कॉलेज प्रबंधन ने इस संबंध में मुख्यालय को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई है। देश-विदेश में नौकरी कर रहे 350 चिकित्सक
सबसे बड़ी परेशानी एसएनएमएमसीएच के एमबीबीस पास आउट हुए 350 चिकित्सक है। यह देश व विदेशों में अपनी सेवा दे रहे हैं। अब यदि एमसीआइ ने मान्यता वापस लिया, तो यह चिकित्सक भारी परेशानी में फंस सकते हैं। सरकार व विभाग की कमियों की बीच चिकित्सक व मेडिकल स्टूडेंट्स फंस रहे हैं। लगभग 200 मेडिकल स्टूडेंट्स अभी अध्ययनरत हैं। जानें क्या है सशर्त मान्यता
एसएनएमएमसीएच में एमबीबीएस सीटों की संख्या 50 से 100 करने के लिए एमसीआइ ने शर्तें रखी थी। शर्त यह थी कि सत्र 2013-2014 के बीच छह माह के अंदर शिक्षकों की कमी पूरी कर लेनी है. जबकि संसाधन वर्ष भर में विकसित कर लेने थे। सरकार व विभाग ने शर्त मान ली। लेकिन आठ वर्षों में आज तक शिक्षकों की कमी पूरी नहीं हो पायी है. इसी तरह हर वर्ष सरकार एमसीआइ को वायदा करती रही और वर्ष 2014, 2015 व 2016 में सौ सीटों पर नामांकन ले लिया। लेकिन बावजूद शिक्षकों की कमी पूरी नहीं हुई। वर्ष 2017, 2018, 2019, 2020 में नाराज होकर एमसीआइ ने सीटें 50 कर दी है.
हर बार निरीक्षण, कमियां बरकरार
एसएनएमएमसीएच में मैन पावर व संसाधनों की उपलब्धता देखने एमसीआइ की टीम लगातार आती रही। लेकिन हर बार मैन पावर की कमी टीम को मिली। वर्ष 2015 में टीम चार बार 5 अप्रैल, 1 जुलाई, 12 सितंबर व 29 अक्तूबर को यहां आयी। 2016 में तीन बार 11 मार्च, 6 मई, 17 अक्तूबर को टीम यहां आयी। वर्ष 2017 में अप्रैल और 27 जुलाई को टीम ने पीएमसीएच का निरीक्षण किया। फरवरी 2018 , मार्च 2019 में भी टीम आई।
रेडियालॉजी बंद, 11 एचओडी के पद खाली
मेडिकल कॉलेज में 35 प्रतिशत शिक्षकों (प्रोफसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, सीनियर रेडिडेंट, जूनियर रेजिडेंट, ट्यूटर) के पद खाली है। अस्पताल का रेडियोलॉजी विभाग लगभग बंद है, एक भी रेडियोलाजिस्ट नहीं हैं। मनोचिकित्सा रेजिडेंट से चल रहा है। कोरोना जांच होने वाले माइक्रोबायोलाजी विभाग में एचओडी एक माह मेंरिटायर होना वाले हैं। इसके साथ चर्म रोग, स्त्री रोग, शिशु रोग, पीएसएम, निश्चेतना विभाग, मेडिसिन, सर्जरी में एचओडी नहीं है।
एसएनएमएमसीएच कमजोर कड़ी
मेडिकल कॉलेज में में प्रोफेसर के 11 पद खालीएमसीआइ भड़का, कहा 2013-14 से अब तक पास चिकित्सकों का भी रद होगी मान्यता
एसोसिएट प्रोफसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसआर, जेआर व ट्यूटर के लगभग 35 प्रतिशत से ज्यादा पद खाली
स्थायी पारा मेडिकल स्टॉफ बहाल नहीं
वाइफाइ से कॉलेज कनेक्ट नहीं
अतिरिक्त लेक्चर थियेटर नहीं बना
अपना सीटी स्कैन नहीं
कई जरूरी उपकरण नहीं
एक भी रेडियोलाजिस्ट नहीं
वर्जन
एमसीआइ ने पत्र भेजकर जल्द निरीक्षण की बात कही है, कमियां पाए जाने पर न केवल मेडिकल कॉलज बल्कि 2013-14 से पास आउट अब तक के चिकित्सकों व वर्तमान स्टूडेंट्स से मान्यता वापस लेने की चेतावनी दी है। मुख्यालय को सूचित किया है। डॉ. शैलेंद्र कुमार, प्राचार्य, एसएनएमएमसीएच.
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