महुदा की बिटिया सोनी ने तीर से साधा उपलब्धियों पर निशाना
कतरास तीरंदाजी में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन पूरे देश में झारखंड का नाम रौशन कर चुकी सोनी सिंह अब सरकारी नौकरी कर हासिल कर लड़कियों के लिए प्रेरणादायी बन चुकी हैं। महुदा के सुदूर गांव हाथुडीह निवासी स्व. सिकंदर सिंह की 23 वर्षीय पुत्री सोनी तीरंदाजी में राज्य व राष्ट्रीय फलक पर कई गोल्ड व कांस्य पदक प्राप्त की है।
बृजनंदन ठाकुर : कतरास : तीरंदाजी में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन पूरे देश में झारखंड का नाम रौशन कर चुकी सोनी सिंह अब सरकारी नौकरी कर हासिल कर लड़कियों के लिए प्रेरणादायी बन चुकी हैं। महुदा के सुदूर गांव हाथुडीह निवासी स्व. सिकंदर सिंह की 23 वर्षीय पुत्री सोनी तीरंदाजी में राज्य व राष्ट्रीय फलक पर कई गोल्ड व कांस्य पदक प्राप्त की है। सोनी का कहना है खेल से प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत होती है। चाहे खेल या पढ़ाई हो, यदि लगन से मेहनत करे तो सफलता निश्चित है। उसने कहा कि तीरंदाजी के साथ- साथ पढ़ाई भी जारी रखी थी। नौकरी के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं की भी तैयारी कर रही थी। वर्ष 2017 में आइआरबी में कांस्टेबल के पद नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा में शामिल हुई। 2018 के जून में परीक्षा परिणाम आया, जिसमें उत्तीर्ण होने के बाद उसने फिजिकल टेस्ट में भाग लिया था। इसमें सफलता हासिल करने के बाद 2119 के जून माह में आइआरबी में नियुक्ति मिली गयी। इसके बावजूद वह दूसरे विभाग की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में लगी रही। 2019 के फरवरी माह में आरपीएफ के कांस्टेबल पद के लिए परीक्षा में भाग लिया। इसमें भी सफलता हासिल किया। फिलहाल चक्रधरपुर में आरपीएफ में कांस्टेबल के पद पर कार्य कर रही है। अभी भी वह दूसरे प्रतियोगिता की परीक्षा में शामिल होने के लिए तैयारी कर रही है। उसने कहा कि आरपीएफ में नौकरी मिल जाने के बाद से तीरंदाजी का अभ्यास छूट गया है। वह अभी भी तीरंदाजी का अभ्यास करना चाहती है लेकिन कोई सुविधा नही है। मई 2020 में पिता का निधन हो जाने के बाद से पूरे परिवार के सदस्यों के देखभाल की जिम्मेवारी उसके उपर है। वह रवि महतो स्मारक उच्च विद्यालय महुदा में पढ़ाई कर रही थी। घर से स्कूल आने जाने के दौरान रेलवे मैदान महुदा में चल रहे तीरंदाजी का अभ्यास को देख उसके मन में भी इसके प्रति रूझान हुआ। उसके इस रुझान को देख पिता ने तीरंदाजी के कोच बुधेश्वर मुर्मू से संपर्क किया। उस समय वह दशवीं कक्षा की छात्रा थी। वह रोजाना स्कूल में पढाई के बाद शाम को रेलवे मैदान में तीरंदाजी का अभ्यास करने लगी। रविवार को सुबह व शाम दोनों समय मैदान में आकर अभ्यास करती रही। सोनी ने अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि पहले राज्य स्तर पर खेल में भाग लिया, जहां से राष्ट्रीय स्तर पर तीरंदाजी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उसका चयन हुआ। 2013 में हैदराबाद में राष्ट्रीय स्तर पर तीरंदाजी प्रतियोगिता में भाग लिया, जहां उसे दो गोल्ड, दो सिल्वर एक ब्रांच मिला था। कोलकाता में उसी साल स्कूल नेशनल प्रतियोगिता में भाग लिया जहां एक गोल्ड व दो सिल्वर मिला था। आसाम में जुनियर स्तर की हुई नेशनल गेम में एक ब्रांज मिला था। 2014 के स्कूल नेशनल की नासिक में हुई प्रतियोगिता में तीन गोल्ड व एक सिल्वर प्राप्त हुआ था। इसी साल जुनियर नेशनल की विजयवाड़ा में हुई प्रतियोगिता में एक गोल्ड व एक ब्राउंज मिला था। टाटा नगर में वर्ष 2015 में हुए सब जुनियर नेशनल प्रतियोगता में तीन गोल्ड व दो सिल्वर प्राप्त हुआ था। इसके बाद भी वह तीरंदाजी की कई प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी है। पहले उसके पास बांस का धनुष था।अभी उसके पास आधुनिक धनुष है। जिसके लिए अभ्यास जरुरी है।