ढाई करोड़ से बनी पंचेत जलापूर्ति योजना छह महीना से बंद
पंचेत पंचेत जलापूर्ति योजना का दुर्दिन एक दशक बाद भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। वर्ष 2007 में करीब ढाई करोड़ रुपये की लागत से निर्मित एक लाख गैलन क्षमता वाली पंचेत जलापूर्ति योजना लगातार किसी न किसी कारण से बंद रहती है।
पंचेत : पंचेत जलापूर्ति योजना का दुर्दिन एक दशक बाद भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। वर्ष 2007 में करीब ढाई करोड़ रुपये की लागत से निर्मित एक लाख गैलन क्षमता वाली पंचेत जलापूर्ति योजना लगातार किसी न किसी कारण से बंद रहती है। पिछले छह माह से जलापूर्ति बंद है। वर्ष 2007 में वर्तमान विधायक अपर्णा सेनगुप्ता के कार्यकाल में पंचेत जलापूर्ति योजना तैयार हुई थी। इसका संचालन उपभोक्ता समिति को करना था। लेकिन उपभोक्ताओं द्वारा शुल्क नहीं देने से इसकी दशा खराब हो गई। इधर छह माह पूर्व पेयजल विभाग ने ट्रांसफार्मर, समरसेबुल, केबल व मोटर की मरम्मत पर पांच लाख रुपये खर्च किया था। लेकिन प्लांट चालू होने के साथ ही मोटर खराब हो गया। इसके चलते जलापूर्ति बंद है। वहीं बिजली मद में भी आठ लाख रुपये बकाया है। पूर्व प्रधान सचिव ने मुखिया को दिया था खर्च का आदेश :
राज्य की तत्कालीन प्रधान सचिव अनुराधा पटनायक ने वर्ष 2018 में पंचायतों को जलापूर्ति योजना में 14 वित्त आयोग की राशि से खर्च करने का आदेश दिया था। लेकिन लाभुक क्षेत्र में पड़ने वाले मुखियाओं ने डीसी का पत्र मिलने की आश में खर्च नहीं किया। एक मुखिया का कहना था कि डीसी का पत्र नहीं मिलने के कारण सोशल ऑडिट में जवाब देना मुश्किल होता है। पेयजल विभाग व मुखिया के चक्कर में फंसा कलीम :
पेयजल विभाग व मुखिया के चक्कर में ग्राम पेयजल स्वच्छता समिति के संचालनकर्ता मो. कलीमुद्दीन व काली पदो राय पिछले एक दशक से फंस कर रह गए हैं। मो. कलीमुद्दीन मानदेय नहीं मिलने के कारण प्लांट की चाबी पेयजल विभाग व मुखियाओं को देना चाहता है। लेकिन कोई लेने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि पंप चलाने के साथ सुरक्षा का भी जिम्मा पिछले एक दशक से है। कोई मानदेय नहीं मिलने से प्लांट के नजदीक ही पकौड़े की दुकान खोल कर देखभाल कर रहा हूं। संवेदक ने जो कार्य किया उसका भुगतान अभी तक लंबित है। इंटेकवेल नहीं होने के कारण समरसेबुल पंप खराब होता है। डीवीसी से इंटेकवेल के लिए स्वीकृति नहीं मिली है।
- रतन खलको, सहायक अभियंता, पेयजल विभाग निर्माण काल से प्लांट हमेशा बंद रहता है। पेयजल विभाग इसे अपने अधीन ले, इसके लिए प्रयास जारी है।
- अपर्णा सेनगुप्ता, विधायक