Chaitra Navratri 2020: माता के तीसरे रूप चंद्रघंटा की हो रही पूजा, इनके ध्यान से रोगों से मिलती मुक्ति
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से रोग से भी मुक्ति मिलती है। इस समय पूरी दुनिया पर कोरोना वायरस का प्रकोप है। सब मां से हाथ जोड़कर कोरोना से मुक्ति के लिए आज वरदान मांगेंगे।
धनबाद, जेएनएन। देवी आराधना के पर्व वासंतिक नवरात्र के तीसरे दिन शक्ति की अधिष्ठात्री जगदंबा के चंद्रघंटा स्वरूप के दर्शन-पूजन का विधान है। ‘ ऐं कारी सृष्टि रूपाया हृीं कारी प्रति पालिका-क्लींकारी काम रूपिण्ये बीजरूपे नमोस्तुते’। मंत्र से देवी के चंद्रघंटा स्वरूप के पूजन का महत्व बताया गया है। इनके पूजन-ध्यान का समय सूर्योदय से पूर्व है। भगवती का बीज मंत्र ‘हृीं’ है। मान्यता है कि देवी के इस स्वरूप के स्तवन मात्र से ही ‘भयादमुच्यते नर:’ अर्थात् मनुष्य भय से मुक्ति प्राप्त कर शक्तिशाली बनता है। इस स्वरूप का पूजनसभी संकटों से मुक्त करता है।
धनबाद में देवी में नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघटा की पूजा हो रही है। कोरोना संकट के कारण तमाम मंदिर बंद हैं। इसलिए माता के भक्त घर में ही पूजा कर रहे हैं। मां चंद्रघंटा को परम शांतिदायक और कल्याणकारी माना गया है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है। इसीलिए इन्हें मां चंद्रघंटा कहा जाता है। अन्य विशेषताओं की बात करें तो इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान है। मां चंद्रघंटा देवी के दस हाथ हैं। इनके हाथों में शस्त्र-अस्त्र विभूषित हैं। इनकी सवारी सिंह है। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से रोग से भी मुक्ति मिलती है। इस समय पूरी दुनिया पर कोरोना वायरस का प्रकोप है। सब मां से हाथ जोड़कर कोरोना से मुक्ति के लिए आज वरदान मांगेंगे।