खेलें कहा जनाब : छोटे हो रहे मैदान, कैसे होगा खेल में नाम
धनबाद बलियापुर सरकारी स्कूल ग्राउंड आज एक तिहाई भी नहीं बचा है। मैदान के चारों तरफ घर बनते जा रहे हैं।
धनबाद : बलियापुर सरकारी स्कूल ग्राउंड आज एक तिहाई भी नहीं बचा है। मैदान के चारों तरफ घर बनते जा रहे हैं। मैदान के बगल में सरकारी स्कूल है। स्कूल के बच्चे को खेलने के लिए यही एक ग्राउंड है, जिसके चारों ओर से अतिक्रमण होता दिख रहा है। आज से कुछ साल पहले तक यहा बच्चों को खेलते हुए देख सकते थे। बरसात में फुटबॉल तथा बाकी मौसम में मैदान में खेल के लिए जगह तक नहीं रहती है। परिणाम यह है कि जहां उन्मुक्त होकर सुबह-शाम बच्चे खेला करते थे, वहां शाम के वक्त मैदान में शराब तथा गांजा की बैठक होती है।
मैदान सरकारी स्कूल से सटा है इसलिए इसका कुछ हिस्सा ही खेलने के लिए बचा है। इसमें भी आलम यह है कि अधिकांश माता-पिता बच्चों को गलत संगत में ना आ जाए, इसलिए मैदान में भी बच्चों को खेलने के लिए जाने से रोकते हैं। एक समय इस मैदान के चारों कोनों में बच्चे अलग-अलग टीम बनाकर अभ्यास करते रहते थे। पर अब चारों ओर अलग-अलग टीम बनाकर मैदान के चारों ओर शराब की बैठक होती है। पहले तो सिर्फ शाम को बैठक होती थी, पर अब सुबह व दोपहर हर वक्त मैदान में शराबी तथा जुआरी ही नजर आते हैं।
मैदान में क्रिकेट टूर्नामेंट का भी आयोजन किया जाता था। इस दौरान मैदान को घेर दिया जाता है। आवागमन की व्यवस्था किनारे के सड़क से होती है, पर आम दिनों में लोग बेरोकटोक बीच मैदान में बाइक तथा कार चलाने सीखते हैं। कुछ युवा सुबह दौड़ की अभ्यास करते हैं। सुबह-सुबह कुछ लोग सैर, योगा तथा व्यायाम करने के लिए आते हैं। लोग शराब पी कर बोतल मैदान में तोड़ कर फेंक देते हैं, जिससे कई बार मैदान में हादसे हो चुके हैं।
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अतिक्रमण के कारण के मैदान चारों ओर से मैदान छोटा होते जा रहा है। मैदान की घेराबंदी कर इसे सहेजने की जरूरत है, अन्यथा कुछ दिनों में यह भी विलुप्त हो जाएगा।
-विकेश भगत
एक समय इस मैदान में खेलने के लिए भीड़ रहती थी। अब चारों तरफ मकान बनते नजर आ रहे हैं। मैदान में अब खिलाड़ी के बदले शराबी व जुआरी जुटते हैं।
-रवि सोनी