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हर दिन 100 ट्रेनें, पर इकोनाॅमी कोच एक में भी नहीं... धनबाद को मिले छह कोच भी छीन बिहार की ट्रेनों में जोड़े

धनबाद रांची और चक्रधरपुर। झारखंड के तीन रेल मंडलों में सबसे ज्यादा धन वर्षा करने वाला धनबाद ही है। गुजरे दशक में इस डिविजन की कमाई 10 गुना बढ़ी है। आठ हजार करोड़ वाले रेल मंडल ने 18 हजार करोड़ से अधिक कमाई की ऊंची छलांग लगाई है।

By Jagran NewsEdited By: Deepak Kumar PandeyPublished: Wed, 19 Oct 2022 04:03 PM (IST)Updated: Wed, 19 Oct 2022 04:03 PM (IST)
हर दिन 100 ट्रेनें, पर इकोनाॅमी कोच एक में भी नहीं... धनबाद को मिले छह कोच भी छीन बिहार की ट्रेनों में जोड़े
एक सितंबर से एलएचबी रैक के साथ चली धनबाद-अलेप्पी एक्सप्रेस के लिए इकोनाॅमी कोच मिले थे।

जागरण संवाददाता, धनबाद: धनबाद, रांची और चक्रधरपुर। झारखंड के तीन रेल मंडलों में सबसे ज्यादा धन वर्षा करने वाला धनबाद ही है। गुजरे दशक में इस डिविजन की कमाई 10 गुना बढ़ी है। आठ हजार करोड़ वाले रेल मंडल ने 18 हजार करोड़ से अधिक कमाई की ऊंची छलांग लगाई है। सबसे ज्यादा कमा कर देने के बाद भी रेलवे की तवज्जो रांची और चक्रधरपुर को मिली। हर दिन तकरीबन 100 ट्रेनें धनबाद से खुलती और गुजरती हैं। अब तक एक भी ट्रेन में थर्ड एसी इकोनाॅमी कोच नहीं जुड़े। जोधपुर, पूर्वा, नेताजी और मुंबई मेल जैसी ट्रेनों में भी इकोनाॅमी कोच नहीं हैं। और तो और धनबाद को मिली छह इकोनाॅमी कोच भी छीन कर बिहार की झोली में डाल दिए गए हैं।

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एक सितंबर से एलएचबी रैक के साथ चली धनबाद-अलेप्पी एक्सप्रेस के लिए इकोनाॅमी कोच मिले थे। ट्रेन के हर रैक में एक इकोनाॅमी कोच जोड़ने की येाजना थी। एकाएक निर्णय बदल गया। तकरीबन एक महीने तक छह इकोनाॅमी कोच धनबाद यार्ड में खड़े रहे। बाद में उन्हें चुपके से छीन लिया गया और बिहार से चलने वाली ट्रेनों में इकोनाॅमी कोच जोड़े गए।

ऐसे हो रही धनबाद की अनदेखी

- धनबाद से खुलने वाली गंगा-सतलज और अब अलेप्पी एक्सप्रेस में एलएचबी रैक जुड़े हैं। बावजूद थर्ड एसी इकोनाॅमी कोच नहीं मिले।

- रांची से खुलने वाली 12835 हटिया - बेंगलुरू और 12873 हटिया-आनंद विहार स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस को मिले थर्ड एसी इकोनाॅमी कोच

- चक्रधरपुर मंडल के टाटा से चलने वाली 18189 टाटा-एर्नाकूलम एक्सप्रेस को मिले थर्ड एसी इकोनाॅमी कोच। टाटा होकर गुजरने वाली गीतांजलि एक्सप्रेस व मंबई मेल में भी थर्ड एसी इकोनाॅमी कोच जुड़े हैं।

थर्ड एसी इकोनाॅमी कोच के फायदे

- इस श्रेणी का मूल किराया थर्ड एसी की तुलना में पांच फीसद कम है।

- थर्ड एसी की तुलना में इसमें सीटें अधिक हैं।

- रेलवे ने इस श्रेणी में अब बेड रोल सेवा भी बहाल कर दी है।

- दिव्यांगों के लिए दो बर्थ का कोटा भी निर्धारित कर दिया गया है।

अधिकारी बोले- कोच उपलब्‍ध होते ही धनबाद की ट्रेनों में भी जोड़े जाएंगे

इस संबंध में पूर्व मध्‍य रेल के सीपीआरओ वीरेंद्र कुमार ने बताया कि पूर्व मध्य रेल को 22 थर्ड एसी इकोनाॅमी कोच मिले थे। उन्हें अलग-अलग ट्रेनों में जोड़ा गया है। कोच उपलब्ध होते ही धनबाद की ट्रेनों में भी जोड़े जाएंगे।


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