पार्थिव शिवलिग की पूजा से पूरी होती हर इच्छा
साथ ही भक्तों द्वारा जिस मनोरथ को लेकर पूजा करते हैं उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। खासकर सावन माह में पार्थिव शिवलिग की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है यह पूजा सभी कर सकते हैं शिव पुराण में लिखा है कि आरती पूजा करने से जीवन के समस्त दुखों का निवारण होता है। मिथिलेश झा आशुतोष भगत लेन देवघर ---------------------
संवाद सूत्र, देवघर: पार्थिव शिवलिग की पूजा करने से सकल मनोरथ पूर्ण होती है। सावन को शिवभक्ति का माह माना जाता है। इसलिए सावन में पार्थिव लिग बनाकर शिव पूजन का विशेष पुण्य मिलता है। शिवपुराण में पार्थिव शिवलिग पूजा का महत्व बताया गया है। कलियुग में कूष्मांड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव पूजन प्रारंभ किया था। शिव महापुराण के अनुसार पार्थिव पूजन से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र प्राप्ति होती है। मानसिक और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है। पार्थिव पूजा को लखना पूजा भी कहते हैं। मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। शिव की अराधना के लिए पार्थिव पूजन सभी लोग कर सकते हैं। मिट्टी से पार्थिव शिवलिग बनाकर विधिवत पूजन-अर्चना की जाती है।
पूजा का विधि-विधान : पहले मिट्टी से पार्थिव लिग का निर्माण करना चाहिए। इसके लिए मिट्टी, गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर शिवलिग बनाएं। शिवलिग के निर्माण में इस बात का ध्यान रखें कि यह 12 अंगुली से ऊंचा नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे अधिक ऊंचा होने पर पूजन का पुण्य प्राप्त नहीं होता है। फिर शिव मंत्र बोलते हुए उस मिट्टी से शिवलिग बनाने की क्रिया शुरू करें। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर शिवलिग बनाना चाहिए। मनोकामना पूर्ति के लिए शिवलिग पर प्रसाद चढ़ाना चाहिए। प्रसाद शिवलिग से स्पर्श कर जाए उसे ग्रहण नहीं करें।
पूजन से पहले करें देवों की पूजा : शिवलिग बनाने के बाद गणेश, विष्णु, नवग्रह और माता पार्वती आदि का आह्वान करना चाहिए। फिर विधिवत तरीके से षोडशोपचार करना चाहिए। पार्थिव बनाने के बाद उसे परम ब्रह्म मानकर पूजा और ध्यान करें। पार्थिव शिवलिग समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। --------------------
पार्थिव शिवलिग की पूजा अति प्राचीन काल से चली आ रही है। शास्त्रों में वर्णित है कि जो कोई पार्थिव शिवलिग की पूजा सच्चे मन से करता है उनकी सारी मनोकामना पूरी होती है। शिव वास के दिन यह पूजा करने से और अभी फलदायी होता है। सवा लाख मिट्टी गोबर गंगाजल पंचामृत से तैयार किया गया शिवलिग की पूजा की जाती है।
भक्तिनाथ फलहारी, भोलापंडा चार भाई पथ देवघर
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ऐसे तो कई सारे पूजा विधि हैं जिससे शिव भक्त अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए करते रहते हैं मगर हमारे पुराण और ग्रंथों की मानें तो भगवान शिव की पूजा सवा लाख पार्थिव शिवलिग भक्त अपने हाथों से बनाकर पूजा करने से सात जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। खासकर सावन माह में पार्थिव शिवलिग की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। यह पूजा सभी कर सकते हैं शिव पुराण में लिखा है कि आरती पूजा करने से जीवन के समस्त दुखों का निवारण होता है।
मिथिलेश झा आशुतोष भगत लेन, देवघर
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