कोरोनवा के कारण सब कामकाज चौपट हो गेलो
मधुपुर प्रखंड मुख्यालय से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित जाभागुड़ी पंचायत के आदिवासी बाहुल्य बिचकोड़वा गांव में चहल-पहल लौटने लगी है।
मधुपुर (देवघर) : मधुपुर प्रखंड मुख्यालय से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित जाभागुड़ी पंचायत के आदिवासी बाहुल्य बिचकोड़वा गांव में चहल-पहल लौटने लगी है। मंगलवार की सुबह आठ बजे गांव की सड़क के समीप घर के बाहर सात-आठ लोग शारीरिक पूरी का पालन करते हुए आपस में बात कर रहे थे। गांव के मुंशू किस्कू कहती हैं कि रोज मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करे हलियो लेकिन कोरोनवा के कारण सब कामकाज चौपट हो गेलो हे बाबू। चमोली मरांडी (80) ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि आज तक विधवा पेंशन न मिललो हे, की करिए बड़ी मुश्किल से बुढ़ापा के जीवन कट रहलो हे। कोई सुने वाला न हो बाबू। 70 वर्षीय बुजुर्ग मोनू लाल टुडू का भी यही व्यथा है। वह कहते हैं कि पेंशन लेने के खातिर ब्लॉक के चक्कर लगाते लगाते थक गेलियो, लेकिन आज तक पेंशन चालू न होलो। कोई रकम मार भात खाके जान बचा रहलियो हे। राशन कार्ड न रहतो हल त भूखे मर जतियो हल।
इसी बीच शिशु लाल किस्कू, सूरमणि टुडू कहती हैं कि इस गांव के सभी लोग रोजना मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। लॉकडाउन के कारण सब काम बंद है। इससे सभी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना से बचने के लिए लॉकडाउन का पालन करना भी जरूरी है। गांव में प्रधानमंत्री आवास व उज्ज्वला योजना के लाभ से अधिसंख्य लोग वंचित हैं। विकास के नाम पर बिजली और गांव में सड़क है लेकिन मुख्य पथ तक पहुंचने के लिए करीब एक किलोमीटर कच्ची सड़क से जाना पड़ता है। चुरामणि सोरेन व विशेश्वर किस्कू ने कहा कि राशन तो मिला जिससे किसी तरह काम चल रहा है। माड़-भात और आलू का चोखा से ही काम चला रहे हैं। एक माह से अधिक समय से हरी सब्जी नसीब नहीं हुआ है। गांव में एक पेयजल कूप है जो जर्जर अवस्था में है। इसी कूप से गांव के 20 घर के 120 लोगों का प्यास बुझ रहा है। गांव में एक सरकारी चापाकल है जिससे पानी नहीं निकलता है। वह कहते हैं कि गांव में मनरेगा के तहत 20 लोगों को जॉबकार्ड मिला है। लेकिन अब तक काम नहीं मिला है। बताया कि गांव के पांच युवक केरल और दिल्ली मजदूरी करने गए हैं जो फंसे हुए हैं। उनके आने का इंतजार कर रहे हैं।