मधुपुर में जल संकट के लिए नप जिम्मेवार
मधुपुर (देवघर) विभागीय पदाधिकारियों एवं नगर परिषद की उदासीनता के कारण पेयजल संकट स
मधुपुर (देवघर) : विभागीय पदाधिकारियों एवं नगर परिषद की उदासीनता के कारण पेयजल संकट से आम अवाम को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 1984 से शहरवासियों को पेयजल की सुविधा मुहैया कराने की दिशा में सरकारी स्तर पर अभियान चलाया गया, लेकिन आज तक धरातल पर मुकम्मल तौर पर नहीं उतर सका। यही वजह है कि गर्मी के दस्तक देने से पहले ही पानी के लिए हाहाकार मचाना शुरू हो जाता है। अगर सालों भर इस संकट का समाधान करने को लेकर विभाग गंभीरता दिखाई होती तो आज बूंद-बूंद पानी के लिए लोगों को भटकना नहीं पड़ता। खासकर ड्राइजोन मोहल्ला, नया बाजार, पत्थरचपटी, केलाबागान, अब्दुल अजीज रोड में पानी के लिए लोगों को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। दिलचस्प बात यह है कि मधुपुर में कई पूर्व मंत्री, सांसद, विधायक का आवास होने के बावजूद भी इस संकट का समाधान करने में जनप्रतिनिधि विफल रहे हैं।
वर्तमान विधायक सह मंत्री राज पालिवार ने शहरवासियों को जल संकट के समाधान के प्रति गंभीरता दिखाते हुए 66 करोड़ की लागत से सरी जलापूर्ति योजना को शुरू कराने में कामयाब हुए हैं, लेकिन पेयजल संकट से जूझ रहे शहरवासियों के निदान के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर संतोषप्रद व्यवस्था नहीं हो सका है। नतीजतन आधा दर्जन से अधिक प्रमुख शिक्षण संस्थान सहित हजारों परिवार पानी के लिए परेशान हैं। नगर परिषद यदि नियमित रूप से ड्राइजोन में पानी मुहैया कराया होता तो लोगों को काफी राहत मिल सकती थी। ड्राइजोन में सात सौ फीट बोरिग के बाद भी पानी नहीं निकलना यह संकेत दे रहा है कि आने वाले समय में मधुपुर शहरी क्षेत्र में भयावह जल संकट से लोगों को जूझना पड़ेगा।
नया बाजार, केलाबागान, अब्दुल अजीज रोड में दर्जनों लोगों ने अपने घरों में बोरिग कराया, लेकिन एक बूंद भी पानी नहीं निकला। केलाबागान निवासी अविनाश कुमार कहते हैं कि इस वर्ष पानी की समस्या विकराल है। जनवरी माह से ही जल स्तर इतना तेजी से पाताल की ओर खिसकने लगा कि फरवरी माह की शुरुआत में ही जल संकट शुरू हो गया। अधिकांश लोग पीने की पानी से लेकर स्नान, शौचालय, भोजन बनाने, बर्तन धोने के लिए खरीदने को विवश हैं। पानी के लिए इस कदर हाहाकार शहरी क्षेत्र के विभिन्न मोहल्लों में मचा हुआ है कि नगर परिषद और जिला प्रशासन के पास कोई विकल्प भी नजर नहीं आ रहा है। फिल्ट्रेशन प्लांट से पानी की सप्लाई सुबह और शाम नियमित रूप से नहीं होने के कारण लोगों के समक्ष जल संकट नासूर बन चुका है। लोग रात में पानी ठेला से भरने को मजबूर हैं। लोग दूसरे मोहल्लों से रिक्शा, ठेला, साइकिल से पानी की जुगाड़ करने को मजबूर हैं। ड्राइजोन इलाके के लोग भोजन से अधिक पानी की चिता से ग्रसित हैं। जल की अहमियत क्या है, लोगों को भलीभांति समझ में आ रहा है। रात के अंधेरे में महिलाओं से लेकर वैसे लोग चापाकल से पानी भरते देखे जाते हैं, जो दिन भर कामकाज कर अपने दुकान और दफ्तर से लौटते हैं।
शहरी क्षेत्र के भैरवा, नवी बक्स रोड, कुंडूबंगला, 52 बीघा समेत अन्य मोहल्लों में चार दर्जन से अधिक चापाकल खराब पड़ा है। हालांकि मामूली रूप से खराब चापाकल की मरम्मती नगर परिषद द्वारा सूचना मिलने के बाद कर दी जाती है। लेकिन कई ऐसे चापाकल है जो महीनों से ठप पड़ा है। नगर परिषद ड्राई जोन एरिया में कराया जा रहा टैंकर का पानी ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। क्योंकि लोगों के जरूरत के मुताबिक 25 फीसदी पानी मिल पा रही है। लोग बेसब्री से बारिश शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। शहरवासियों ने शहरी पेयजलापूर्ति योजना को युद्ध स्तर पर क्रियान्वित करते हुए निर्धारित समय सीमा के अंदर धरातल पर उतारने की मांग की है, ताकि जल्द से जल्द लोगों को नासूर बन चुकी पेयजल संकट से निजात मिल सके।
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