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36 घंटे से सड़क पर पड़े 20 लोग, प्रशासन बेसुध

मंगलवार सुबह से ही समाहरणालय के सामने सड़क किनारे 20 युवक व युवतियां पड़े हुए हैं लेकिन इन्हें देखने वाला कोई नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 May 2020 06:48 PM (IST)Updated: Thu, 14 May 2020 06:13 AM (IST)
36 घंटे से सड़क पर पड़े 20 लोग, प्रशासन बेसुध
36 घंटे से सड़क पर पड़े 20 लोग, प्रशासन बेसुध

देवघर : बीते मंगलवार सुबह से ही समाहरणालय के सामने सड़क किनारे 20 युवक व युवतियां पड़े हुए हैं लेकिन इन्हें देखने वाला कोई नहीं है। एक महिला के पास दो साल का बच्चा भी है। बताया जाता है कि इन सभी के पास खाने तक के पैसे नहीं हैं। इसके चलते किराए का घर खाली करके अपने घर जाना चाहते हैं लेकिन प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है।

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धनबाद व हावड़ा के करीब 12 युवक लॉकडाउन के पूर्व यहां पहुंचे थे और बरमसिया में भवन निर्माण में मजदूरी का काम कर रहे थे। सौरदीप मंडल, गोपी कुमार व अभिजीत ने बताया कि लॉकडाउन के बाद ठीकेदार सबको पांच-पांच हजार देकर गायब हो गया। बरमसियां में ही किराए पर सभी रहते थे। पैसा समाप्त हो गया अब घर जाने के सिवाय कोई उपाय नहीं है। वहीं रांची की छह युवतियां भी जाने के इंतजार में समाहरणालय के समक्ष बैठी हैं। नीतू कुमारी की गोद में तो दो साल का बच्चा है। नीतू व सुमित्रा कुमारी ने बताया कि वह लोग पिछले छह माह से देवघर के पंडित बीएन झा पथ में किराए के मकान में रहकर घर-घर झाड़ू, पोछा, बर्तन साफ करने के अलावा मजदूरी का भी काम कर रही थी। लेकिन लॉकडाउन में किसी तरह का काम नहीं मिल रहा है। पैसा भी समाप्त हो गया है। रांची जाने के लिए यहां पहुंची हैं कि प्रशासन की मदद से वह घर पहुंच जाएं। वहीं कंपनी के विक्रय प्रतिनिधि के रूप में देवघर में काम कर रहे धनबाद के चंदन कुमार गौराय ने बताया कि प्रशासनिक पदाधिकारी से संपर्क किए थे उन्हें मंगलवार सुबह चार बजे बुलाया गया था कि बोकारो के लिए बस रवाना होगी। समय पर सभी लोग पहुंच गए थे। सबका नाम, पता व मोबाइल नंबर लिया गया। बस पर चढ़ने लगे तो बस वाले ने मना कर दिया जब तक कोई रिसिविग नहीं रहेगा, नहीं ले जा सकते। मंगलवार दोपहर 11 बजे एक बार फिर से पदाधिकारी की मांग पर नाम, पता व मोबाइल नंबर उपलब्ध कराया गया। पदाधिकारी ने आश्वस्त किया कि मोबाइल पर मैसेज आएगा, इसके आधार पर सभी लोग जा सकते हैं। लेकिन बुधवार शाम तक सभी समाहरणालय के सामने ही पड़े हुए थे।

मजदूरों के आने-जाने के लिए समाहरणालय में अलग से काउंटर बनाया गया है, जहां ऐसे लोग आवेदन कर सकते हैं। सरकार को जो दिशा-निर्देश उसके अनुरूप ही इन्हें इनके गंतव्य तक पहुंचाने का काम किया जाएगा। - विशाल सागर, अनुमंडलाधिकारी, देवघर।


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