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सिगल विडो सेंटर के कर्मियों को नौ माह से मानदेय नहीं

की समस्या से सभी तनावपूर्ण जिदगी जी रहे हैं। वहीं मानदेय नही मिलने से परिवार का भरण पोषण भी मुश्किल हो गया है। समय रहते समस्या का समाधान नहीं निकला तो राज्य स्तर पर अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की रूपरेखा तैयार होगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 07:20 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 06:16 AM (IST)
सिगल विडो सेंटर के कर्मियों को नौ माह से मानदेय नहीं
सिगल विडो सेंटर के कर्मियों को नौ माह से मानदेय नहीं

संवाद सूत्र, सारठ (देवघर) : सारठ के किसानों की हर समस्या का समाधान करने और उन्हें हर प्रकार की जानकारी एक ही स्थान पर मिले इसी मंशा को लेकर सिगल विडो सेंटर की शुरुआत हुई थी। सारठ प्रखंड मुख्यालय परिसर में कृषि विभाग की ओर से संचालित कृषि सिगल विडो सेंटर का संचालन पिछले पांच वर्षों से किया जा रहा था। लेकिन बीते मार्च महीने से विभाग द्वारा इसे बंद करने के बाद सारठ सिगल विडो सेंटर में कार्यरत कर्मियों की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गई है।

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सेटर के कर्मी राज गोपाल तिवारी, कार्तिक राय व अशोक कुमार से मिली जानकारी के अनुसार उन्हें पिछले नौ माह से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है। ऊपर से लॉकडाउन के कारण दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। वहीं सिगल विडो सेंटर के बंद होने से क्षेत्र में कृषि के क्षेत्र में संचालित अधिकांश योजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं। क्षेत्र के कई किसान अपने कार्यों को लेकर सिगल विडो सेंटर पहुंचते हैं, लेकिन सेंटर को बंद पाकर उन्हें निराश होकर वापस लौटना पड़ता है।

मिली जानकारी के अनुसार पूरे राज्य में अधिकांश सिगल विडो सेंटर का संचालन राज्य की गैर सरकारी संस्था विकास भारती द्वारा किया जा रहा था, जिसके अन्तर्गत लगभग 1500 से अधिक युवा कार्य कर रहे हैं। लेकिन इसके बंद होने के कारण सभी बेरोजगार होकर बैठ गए हैं।

जानकारी के अनुसार कृषि विभाग के निदेशक द्वारा राज्य के सभी जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देश जारी कर सिगल विडो सेंटर को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने के साथ सभी सेंटरों की वित्तीय संबंधी कार्यों को गहन जांच पड़ताल करने का आदेश निर्गत किया गया था। इसके बाद सारठ में सेंटर का संचालन पूरी तरह बंद है। आंदोलन की चेतावनी : कृषि सिगल विडो सेंटर सारठ से जुड़े कर्मियों ने कहा कि एक तो कोरोना महामारी, ऊपर से सेंटर के बंद होने से उत्पन्न बेरोजगारी की समस्या से सभी तनावपूर्ण जिदगी जी रहे हैं। वहीं मानदेय नहीं मिलने से परिवार का भरण पोषण भी मुश्किल हो गया है। समय रहते समस्या का समाधान नहीं निकला तो राज्यस्तर पर अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की रूपरेखा तैयार होगी।


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