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जहरीली गैस ने उजाड़ दी कई परिवारों की जिदगी

संवाद सूत्र देवीपुर देवीपुर बाजार के निकट नया घर बनवा रहे ब्रजेश चंद बरनवाल बहुत ही स

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 07:53 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 07:53 PM (IST)
जहरीली गैस ने उजाड़ दी कई परिवारों की जिदगी

संवाद सूत्र, देवीपुर : देवीपुर बाजार के निकट नया घर बनवा रहे ब्रजेश चंद बरनवाल बहुत ही सौम्य व सरल स्वभाव के थे। इस हादसे के बाद पूरा बाजार स्तब्ध है। वे एक कुशल व्यवसायी के अलावा सामाजिक सरोकारों से जुड़ाव रखनेवाले मिलनसार व्यक्ति थे। विश्व हिन्दू परिषद से उन्हें विशेष लगाव था। धार्मिक आयोजनों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया करते थे। सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण सहयोग था। वे दुर्गा पूजा समिति देवीपुर के अध्यक्ष हुआ करते थे। उनका छोटा भाई मिथिलेश चंद बरनवाल का स्वभाव अंतर्मुखी था। कम बोलते थे, लेकिन सरल स्वभाव के धनी थे। दोनों भाई बहुत शौक से देवीपुर बाजार में ही नया घर बनवा रहे थे, लेकिन रविवार का दिन दोनों भाइयों के लिए मनहूस साबित हुआ। अपने ही हाथों में बनवाए शौचालय के सैप्टिक टैंक के गैस रिसाव से दोनों भाइयों की जान चली गई। रविवार की सुबह जब राज मिस्त्री गोविद मांझी और एक मजदूर लीलू मुर्मू सैप्टिक टैंक में शटरिग खोलने उतरे तो दोनों भाई टैंक के ऊपर थे। जब अंदर गए दोनों के द्वारा कोई सुगबुगाहट नहीं हुई तो सबसे पहले ब्रजेश टैंक में उतर गए। जब भाई के उतरने के बाद भी अंदर से कोई आवाज नहीं आई तो दूसरे भाई मिथिलेश भी बिना समय गंवाए टैंक में उतर गए और देखते ही देखते जहरीली गैस की चपेट में आ गए। दोनों भाइयों के निधन से देवीपुर बाजार में मातमी सन्नाटा पसर गया। घटना की जानकारी होते ही बड़ी संख्या में बाजार में जुट गए और सदमा में डूबे परिजनों को ढ़ाढस देते रहे।

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गोविद मांझी व लीलू का उजड़ गई परिवार

इस घटना में राजमिस्त्री गोविद मांझी और उनके दो जवान बेटों की जान भी चली गई। गोविद मांझी के दोनों बेटे बबलू मांझी और लालू मांझी अपने पिता समेत टंकी के अंदर गए दोनों भाई व मजदूरों को बचाने के उद्देश्य से अंतिम में उतरे थे, लेकिन इन्हें क्या पता था कि अंदर इतनी जहरीली गैस है कि छह लोगों की जान दम घुटने से चली जाएगी। जैसे ही ये लोग अंदर गए बेहोश हो गए और इनकी भी जान इस हादसे में चली गई। गोविद मांझी राजमिस्त्री के अलावा मकान बनाने का काम ठेका पर भी करता था। पुत्र बबलू डेकोरेटर का काम करता था, जबकि इस हादसे का शिकार मजदूर लीलू मुर्मू की पहली पत्नी की मौत पूर्व में ही आग से जलकर हो गई थी। लीलू दूसरी शादी कर मजदूरी की कमाई से अपने परिवार व बच्चों का भरण-पोषण करता था।


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