रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करे सरकार
देवघर : आर मित्रा हाई स्कूल में आयोजित दशावतार चरित्र कथा में प्रख्यात कथावाचक उज्ज्वल शांि
देवघर : आर मित्रा हाई स्कूल में आयोजित दशावतार चरित्र कथा में प्रख्यात कथावाचक उज्ज्वल शांडिल्य जी महाराज ने कहा कि संसार आंख के रास्ते भी मन में घुसता है और कान के रास्ते से भी। लेकिन कान के रास्ते संसार मन में अधिक आसानी एवं ज्यादा मात्रा में घुसता है। इसलिए कान से संसार की बातें कम और भगवान की कथा अधिक सुननी चाहिए। भगवान की कथा से सारी व्यथाएं नष्ट हो जाती हैं। उन्होंने परशुराम जी की कथा सुनाते हुए कहा कि परशुराम जी दशावतार में छठे अवतार हैं। हैहयवंशी क्षत्रियों ने आतंक मचा रखा था। 21 बार उनका संहार करके परशुराम जी ने पृथ्वी का भार उतारा। ब्राह्मण का धर्म शास्त्र पढ़ना पढ़ाना है परंतु समाज एवं राष्ट्र के कल्याण के लिए परशुराम जी ने ब्राह्मण होते हुए भी शस्त्र धारण किया।
श्रीराम ही भारत के राष्ट्रपिता
श्रीराम जन्म की चर्चा करते हुए श्री शांडिल्य ने कहा कि श्रीराम ही इस देश के राष्ट्रपिता हैं। उनका प्रत्येक आचरण भारत के कल्याण के लिए है। हम सरकार से मांग करते हैं कि रामचरितमानस को राष्ट्रग्रंथ घोषित किया जाए। श्रीराम ने जन्म लेकर दशरथ जी का मंगल किया। ताड़का का वध करके मुनियों का मंगल किया। अहल्या का उद्धार करके गौतम का मंगल किया। जनकपुर में विवाह कर जनक जी का मंगल किया। वन जाकर 14 वर्षों में 14 प्रकार के भक्तों से मिले। नवधा भक्ति कर माध्यम से सबको हरिभक्ति का उपदेश दिया। अंततोगत्वा रावण का वध करके देवताओं का कल्याण किया। राम जैसा पुत्र हर कोई चाहता है। हर युवती श्रीराम जैसा पति चाहती है। लोक मंगल, शील मंगल, रूप मंगल की स्थापना रामजी ने की।
संत की शरण में जाने से समस्याओं का अंत होगा
उन्होंने ने संत की व्याख्या करते हुए कहा कि जिसकी शरण में जाने से सभी समस्याओं का अंत हो जाता है, उन्हीं को संत कहते हैं। भागवत के अनुसार संत वही है, जो निरंतर हरि की ही चर्चा करें। जो केवल पैसे और आश्रम का ही ध्यान करे वह संत नहीं बल्कि शैतान है। संतों की शरण में जाने से हरि कथा मिलती है और कल्याण होता है। भागवत में संतों के माध्यम से सद्गति प्राप्त होने की अनेक कथाओं का वर्णन है। उन्हें देवता कहा गया है।
कैसे समझें कि हमारे ऊपर भगवान प्रसन्न हैं?
एक श्रोता के प्रश्न का उत्तर देते हुए महाराज ने कहा कि यदि अपने आचरण, रहनी, अपने क्रियाकलाप व अपनी मानसिक स्थिति से आप संतुष्ट हैं तो समझ लीजिए कि भगवान आपके ऊपर प्रसन्न हैं। भगवान ने अपने लिए कोई अलग घर नहीं रखा है, तुम्हारा अन्त:करण ही उनका घर है। पूजा करने से अंत:करण शुद्ध होता है। शुद्ध घर में ईश्वर रहते हैं, इसलिए उपासना करके अपना अंत:करण शुद्ध करो।
इससे पहले विधायक नारायण दास व पंडा धर्मरक्षिणी सभा के महामंत्री श्री कार्तिकनाथ ठाकुरआदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।