जयनगरा के 170 में सिर्फ पांच मजदूरों को काम
मनरेगा के जरिए योजनाएं संचालित कर इससे मजदूरों को काम देने की सरकार की मंशा जमीनी हकीकत से दूर है।
पालोजोरी (देवघर) : मनरेगा के जरिए योजनाएं संचालित कर इससे मजदूरों को काम देने की सरकार की मंशा जमीनी हकीकत से दूर है। कोविड-19 की वजह से लगाए एक लॉकडाउन के बाद लोगों को रोजगार मुहैया कराने की चुनौती अब भी प्रशासनिक तंत्र के सामने बड़ी है। इसका अंदाजा पालोजोरी प्रखंड के जयनगरा गांव में मनरेगा के निबंधित मजदूरों की संख्या और इन्हें कार्य मुहैया की स्थिति से स्पष्ट है।
सरकार ने 20 अप्रैल से मनरेगा के जरिए मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने की पहल तेज की है लेकिन दो माह बीतने को है और जयनगरा गांव के अधिसंख्य मजदूर काम से वंचित हैं। मुकेश टुडू, रामसर मुर्मू, मैनेजर टुडू, हीरालाल मुर्मू, हेरो सोरेन, फुलमुनि मुर्मू, जोपा सोरेन, प्रखर मुर्मू व लुखी मुर्मू ने संयुक्त रूप से बताया कि उन्हें मनरेगा के तहत काम नहीं मिल रहा है। काम नहीं मिलने के कारण घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। कहा कि अगर शीघ्र ही काम नहीं मिला तो मजबूरी में काम के लिए दूसरे प्रदेशों में पलायन करना होगा।
मनरेगा से स्वीकृत हुई हैं पांच योजनाएं : जयनगरा में मनरेगा से तीन बागवानी और दो डोभा निर्माण की स्वीकृति हुई है। इसमें लाभुक विमल मुर्मू का बागवानी का काम चल रहा है। इसमें पांच मजदूर काम कर रहे हैं। शेष को काम मिलने का इंतजार है। इस संबंध में रोजगार सेवक जमाल अहमद से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले में किसी तरह की कोई जानकारी नहीं है। इधर काम नहीं मिलने से मनरेगा मजदूरों में आक्रोश पनप रहा है।