51 लाख रुपये गायब मामले में एक आरोपित पर नोटबंदी के दौरान भी लगे थे गंभीर आरोप
संवाद सहयोगी जसीडीह (देवघर) जसीडीह स्थित चकाई मोड़ पर एएसबीआई एटीएम शाखा से 51 लाख 14 हजार रुपये के गायब को लेकर पुलिस के छानबीन में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहा है। गायब को लेकर पुलिस ने एसबीआई के लगभग नौ निजी सुरक्षाकर्मी से पूछताछ की है।
संवाद सहयोगी, जसीडीह (देवघर) : जसीडीह स्थित चकाई मोड़ पर एएसबीआई एटीएम शाखा से 51 लाख 14 हजार रुपये के गायब को लेकर पुलिस के छानबीन में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहा है। गायब को लेकर पुलिस ने एसबीआई के लगभग नौ निजी सुरक्षाकर्मी से पूछताछ की है। निजी सुरक्षाकर्मियों की ओर से दिए गए बयान से पुलिस ने बड़े पैमाने पर जांच पड़ताल शुरू कर दिया है। निजी सुरक्षाकर्मी ने पुलिस को दिए बयान में कहा है कि बीते दो जुलाई को बिजली चमकने के कारण में अचानक एटीएम में खराबी आ गई थी। जिसकी जानकारी तैनात सुरक्षाकर्मी ने बैंक अधिकारी को दी थी। लेकिन बैंक कर्मियों ने इसे नजर अंदाज करते हुए ठीक नहीं कराया था। जबकि दो दिन के बाद बैंक अधिकारी बिना एटीएम व सीसीटीवी ठीक किए पैसा लाकर डाल दिया था। पैसा डालने के बाद अधिकारियों ने एटीएम में कुछ समय तक ताला लगाकर रखने का आदेश दिया था। वहीं लगभग 4 घंटे के बाद एटीएम का ताला खोले जाने पर मात्र एक ग्राहक ने 500 सौ रुपये निकासी की। इसके बाद पुन: एटीएम में खराबी आ गई। बताया कि पैसा डालने के समय सुरक्षाकर्मियों को बाहर खड़ा कर दिया जाता है। पदाधिकारी स्वयं काम को करते है। इस परिस्थिति में निजी सुरक्षाकर्मियों को किसी प्रकार की जानकारी नहीं हो पाती है। जानकारी हो कि सुरक्षाकर्मियों की ओर से बैंक अधिकारी को दिए जाने पर एटीएम को बंद कर रखने का मौखिक आदेश दिया था। वही बंद पड़े एटीएम को ठीक करने के लिए लगभग 21 दिन बाद बैंक कर्मी ने पहुंचकर एटीएम को ठीक कर चालू कराया। जबकि एटीएम की जांच के लिए लगभग 22 दिन बाद पहुंचने पर अधिकारी के पहुंचने पर होश उड़ गए। इस क्रम में बैंक के वरीय अधिकारी ओर से गहराई से जांच पड़ताल किए बिना ही तीन व्यक्ति को आरोपी बनाकर पुलिस शिकायत दर्ज कराई है। जानकारी के अनुसार मामले में बनाए गए एक आरोपित बनाए गए एक अधिकारी पर नोटबंदी के दौरान मधुपुर शाखा में उन पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। जबकि उन्हीं पदाधिकारी पर देवघर शाखा के महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए कई प्रकार के आरोप लगे हैं। बावजूद विभाग की ओर से उन्हें महत्वपूर्ण पद दिया जाना काफी गंभीर मामला है। इस घटना को लेकर जांचकर्ता राम प्रसाद मिश्र से पूछे जाने पर उन्हें किसी भी तरह के तथ्य को बताने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जांच का मामला प्रकाश में आने के बाद संबंधित अन्य आरोपित सतर्क होकर साक्ष्य मिटा कर जांच की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते है। इसीलिए किसी भी शर्त पर जांच के संबंध में कुछ भी नहीं बताया जा सकता है।