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56 नालों ने धनबाद को किया जलमग्न

धनबाद धनबाद नगर निगम साल भर सड़क और नाले की साफ-सफाई को लेकर करोड़ों खर्च करता है और सफाई का दावा भी करता है लेकिन बरसात आते ही सब सामने आ जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Sep 2019 01:43 AM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 06:34 AM (IST)
56 नालों ने धनबाद को किया जलमग्न
56 नालों ने धनबाद को किया जलमग्न

धनबाद : धनबाद नगर निगम साल भर सड़क और नाले की साफ-सफाई को लेकर करोड़ों खर्च करता है और सफाई का दावा भी करता है, लेकिन बरसात आते ही सब सामने आ जाता है। पिछले 24 घंटे से हो रही बारिश ने निगम के तमाम दावों की पोल खोल कर रखी दी। धनबाद शहर और आस-पास के क्षेत्रों में नाले का पानी ओवरफ्लो होकर सड़क पर बहने लगा है। फिर क्या गया पुल, हीरापुर, हंस विहार कालोनी, कुसुम विहार, जय प्रकाश नगर, बैंक मोड़ के निचले इलाके, हर जगह पानी ही पानी नजर आया। शहर के जलमग्न होने का बड़ा कारण छोटे-बड़े 56 नाले हैं। जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिनुअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत 2012 में इन नालों का पानी एक जगह एकत्रित करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना बनाई। 150 करोड़ की यह योजना धरातल पर न उतर कर सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गई। नतीजा यह निकला कि अधिकतर नालों को अतिक्रमण कर लिया गया। यदि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बन गया होता और नाले अतिक्रमणमुक्त हो जाते तो शनिवार को धनबाद की जो स्थिति बनी, शायद ऐसी नहीं होती। सिर्फ यही नहीं निगम क्षेत्र के सभी नालों में कचरा भरा हुआ है। इसे साफ कराने की जहमत नगर निगम ने आज तक नहीं उठाई।

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अंडर ग्राउंड टनल से निकलना था पानी

जेएनएनयूआरएम के तहत 2012 में ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिए जगह का चयन भी कर लिया गया था। मटकुरिया में प्लांट बनना था, हालांकि यह हो नहीं सका। शहर भर के छोटे-बड़े नालों का पानी अंडर ग्राउंड टनल के जरिए इस सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में जोड़ने की योजना थी। यहां एकत्रित होने वाले पानी का ट्रीटमेंट कर दुबारा प्रयोग में भी लाया जाना था। प्लान पर काम नहीं हो सका, जबकि इसकी लगभग आधी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी थी। सबसे बड़ी समस्या नालों का अतिक्रमण है। नाले के उपर घर बना दिया गया है। जय प्रकाश नगर, मनईटांड़, हीरापुर, बरटांड़, धैया रोड इसका उदाहरण है। जय प्रकाश नगर में तो पांच साल पहले नालों के अतिक्रमण को लेकर सर्वे भी हुआ था, हालांकि इसमें हुआ कुछ नहीं। संकरी नालियों की वजह से भी पानी बाहर नहीं निकल पाता है।

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400 करोड़ का सीवरेज और सेप्टेज प्लांट भी पाइपलाइन में

नगर विकास विभाग ने 2018 में ही दामोदर नदी के किनारे बसे शहरों में नमामि गंगे फेज-2 के तहत सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का निर्देश दिया। धनबाद में इस सीवरेज और सेप्टेज प्लांट पर 400 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनी। विभागीय सचिव अजय कुमार सिंह के समक्ष बकायदा इसका प्रजेनटेशन भी दिया गया। सचिव ने अधिकारियों को टीम बनाकर धनबाद स्थल चयन करने का निर्देश भी दिया। स्टेट अरबन डेवलपमेंट एजेंसी के निदेशक अमित कुमार ने भी स्पष्ट कहा था कि इस पर 400 करोड़ खर्च होंगे। सीवरेज प्लांट का निर्माण राज्य सरकार, व‌र्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक या डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड ट्रस्ट (डीएमएफटी) से करने की बात कही गई। सीवरेज लाइन के साथ ड्रिंकिंग वाटर सप्लाई पाइपलाइन, ड्रेनेज और सड़क का निर्माण इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान एक साथ कराया जाना है। हालांकि यह योजना भी अभी तक पाइपलान में ही है। इसमें शहर का ड्रेन बाहर निकलना है।

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वर्जन

पांच जगह सीवरेज प्लांट बनाया जाना है। प्रक्रिया जारी है, लेकिन जमीन न मिलने की वजह से समस्या हो रही है। जिला प्रशासन से कई दफा जमीन की मांग की गई, हालांकि अभी तक एक-दो जगह ही जमीन मिली है, तीन जगह अभी भी शेष है। जमीन न मिलने की वजह से टेंडर भी नहीं हो पा रहा है। फिलहाल बरसात की समस्या से लोगों को निजात दिलाने के लिए निगम ने टीम बनाई हुई है, कहीं भी कोई समस्या हो तो टीम से संपर्क कर सकते हैं। नालों की भी सफाई कराई जाएगी।

- चंद्रशेखर अग्रवाल, मेयर


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