Move to Jagran APP

गमछा को सुरक्षा कवच बना पेट के लिए काट रहे मिंट्टी

जिले के विभिन्न प्रखंडों में मनरेगा से चल रही विकास योजनाओं में रोज मजदूरों की संख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 04:00 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 04:00 PM (IST)
गमछा को सुरक्षा कवच बना पेट के लिए काट रहे मिंट्टी

देवघर : कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए किए गए लॉकडाउन के बाद अब मनरेगा गरीब व मजदूरों के लिए संजीवनी बन रहा है। जिले के विभिन्न प्रखंडों में मनरेगा से चल रही विकास योजनाओं में रोज मजदूरों की संख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज हो रही है। हालांकि इसमें प्रवासी मजदूरों की मौजूदगी अभी काफी कम है। कार्य स्थल पर जुटने वाले अधिसंख्य मजदूर मास्क की जगह गमछा लपेटकर मिट्टी काट रहे हैं। शारीरिक दूरी का पालन हो इसका भी ध्यान रखा जा रहा है। कई कार्यस्थलों पर सैनिटाइजर व प्राथमिक चिकित्सा किट भी रखा गया है। पीने के लिए पानी की भी व्यवस्था की गई है। सोमवार को दैनिक जागरण की टीम ने मनरेगा से संचालित योजनाओं को लेकर चल रहे काम के बारे में जायजा लिया। जिले के कई ग्रामीण इलाकों में शारीरिक दूरी का मापदंड इस दौरान टूट भी रहा है जो खतरनाक संकेत है। आमगढि़या गांव सरासनी पंचायत : शारीरिक दूरी का पालन नहीं

loksabha election banner

सरासनी पंचायत अंतर्गत आमगढि़या गांव में मनरेगा से कई योजनाएं संचालित हैं। इसमें बागवानी, पशु शेड, डोभा एवं पीसीसी पथ निर्माण का कार्य शामिल है। लॉकडाउन के कारण पहले यहां सभी काम बंद था लेकिन चार-पांच दिन पूर्व से कार्य शुरू कराया गया है। यहां काम कर रहे मजदूरों ने बताया कि उन्हें साप्ताहिक भुगतान किया जाएगा। यहां कार्य करने वाले मजदूर शारीरिक दूरी पालन और मास्क का प्रयोग नहीं कर रहे थे। मधुपुर : शारीरिक दूरी का हो रहा पालन

लॉकडाउन में श्रमिकों को मनरेगा से आत्मनिर्भरता की राह मिली है। प्रखंड के सभी 21 पंचायतों में संचालित 573 योजनाओं में करीब 4000 मनरेगा श्रमिक कार्य कर रहे हैं। मधुपुर के निकट मनरेगा से हो रहे कार्यस्थल पर काम करनेवाले मजदूर शारीरिक दूरी का पालन कर रहे थे। मास्क भी लगाए हुए थे। बीपीओ पुनीत तिवारी ने कहा कि अभी डोभा, सिचाई कूप निर्माण, डीसीबी, बागवानी, मेढ़बंदी का कार्य चल रहा है। श्रमिकों को सात दिन काम करने के बाद एफपीओ के माध्यम से 15 दिन के अंदर खाते में भुगतान किया जा रहा है। करौं : मास्क के बदले गमछा लपेट कर हो रहा काम

करौं में मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराने में तेजी आई है। मजदूरों को मनरेगा के तहत संचालित प्रधानमंत्री आवास, ट्रेंच कटिग व डोभा निर्माण जैसी योजनाओं में काम मिला है। मजदूरों के काम करने के दौरान शारीरिक दूरी का सख्ती से पालन किया जा रहा है। मजदूर मास्क के बदले गमछा लपेटकर काम कर रहे हैं। रोजगार सेवक पास सैनिटाइजर रहता है। योजनास्थल पर मजदूरों को पानी व शेड की भी व्यवस्था की गई है। प्रखंड में 1268 योजनाएं क्रियाशील है जिसके तहत अबतक 16706 कार्य दिवस सृजित किया जा चुका है। प्रखंड के 2584 मजदूरों ने काम मांग चुके हैं जबकि प्रखंड से 2583 मजदूरों को काम ऑफर किया गया। इसमें से 1487 मजदूर काम कर रहे है। बीपीओ देवेन्द्र कुमार झा ने बताया कि मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को समय पर भुगतान किया जा रहा है। लालापोखर गांव : यहां 30 मजदूरों को मिला रोजगार

लालापोखर गांव की आबादी लगभग 800 है। मुख्य रूप से गांव में आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते हैं। मनरेगा मजदूर समर मोहली, सनातन मुर्मू, सिमोती देवी, हेलन हेम्ब्रम, सोनाराम मुर्मू, बाबूलाल हांसदा ने कहा कि लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद यहां के 30 मजदूरों को मनरेगा के तहत संचालित ट्रेंच कटिग में काम मिला। काम करने वाले मजदूर शारीरिक दूरी का पालन करते दिखे। यह योजना 28 हजार की है। जिसमें 27728 रूपए का भुगतान हो चुका है। बिरेनगड़िया : डोभा निर्माण के दौरान शारीरिक दूरी का पालन

बिरेनगड़िया गांव के मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के मकसद से मैथ्यू पुजहर की जमीन पर डोभा निर्माण की स्वीकृति दी गई है। इस योजना की प्राक्कलित राशि 4.39 लाख रुपये है। इस योजना में अबतक 14 मजदूरों को काम मिल चुका है। मजदूरों को मजदूरी के तौर पर 33 हजार 686 रुपये का भुगतान हो चुका है। यहां भी काम करने वाले मजदूर शारीरिक दूरी का पालन करते दिखे। पहरदाहा में 20 मजदूरों को मिला रोजगार

बिरेनगड़िया पंचायत के पहरदाहा गांव में मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए डोभा निर्माण की स्वीकृति दी गई। यहां 20 मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। इन मजदूरों को 72054 रुपये का भुगतान हो चुका है। रोजगार मिलने से सभी मजदूर काफी खुश दिखे। कोलडीह में नाला जीर्णोद्धार में 60 मजदूरों को मिला काम

रानीडीह पंचायत के कोलडीह गांव के मजदूरों द्वारा काम की मांग करने पर मनरेगा के तहत 4.55 लाख रुपये की लागत से नाला जीर्णोद्धार की स्वीकृति दी गई। सोमवार से काम शुरू कर दिया गया। कोलडीह समेत आसपास गांव के 65 मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। शुरू में यहां कुछ मजदूर शारीरिक दूरी का पालन करते दिखे। जबकि कुछ महिला मजदूर जैसे तैसे काम करने में जुट गई। जिसे शारीरिक दूरी का पालन कर काम करने के लिए रोजगार सेवक सुरेश किस्कू द्वारा कहा गया। मजदूर मुंह को गमछा से ढंक कर काम करते दिखे। पालोजोरी : काम मिलने से मिली राहत

प्रखंड के 25 पंचायतों में मनरेगा का कार्य किया जा रहा है जिसमें ट्रेंच कटिग, बकरी शेड, बागवानी व डोभा का किया जा रहा है। बसबुटिया पंचायत अंतगर्त बसबुटिया गांव में मनरेगा में कार्य कर रहे छोटू बेसरा, सचिन मुर्मू, अनूप लाल टुडु ने कहा कि लॉकडाउन के समय आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। अब मनरेगा का कार्य शुरू होने से अब घर की स्थिति ठीक हो रही है। समय पर भुगतान मिल जाता है। तिलैया : 22 मजदूर काम पर लौटे

तिलैया गांव में ट्रेंच कटिग कर रहे हरि सिंह व ईश्वर राय ने बताया कि काम के बाद मजदूरी समय पर मिल रहा है। यहां 76 मनरेगा मजदूर हैं जिसमें से 22 मजदूर लॉकडाउन के बाद काम पर लौट चुके हैं। मजदूरों ने बताया कि लॉकडाउन में दिक्कतें तो आई लेकिन बात जिदगी की थी। इसलिए इसका पालन किए और अब काम कर जीवनयापन में लगे हैं। सोनारायठाढ़ी: आर्थिक स्थिति में अब हो रहा सुधार प्रखंड के 12 पंचायतों में मनरेगा का कार्य किया जा रहा है जिसमें ट्रेंच कटिग, बागवानी व डोभा का किया जा रहा है। इस दौरान मगडीहा पंचायत अंतगर्त काशीटांड़ व परसबोनी गांव में मनरेगा में कार्य कर रहे लक्ष्मीकांत मांझी, नंदु मांझी, अनीता देवी, अशोक यादव, चुटिया मांझी व परसबोनी गांव के सोनालाल दास, मुन्ना दास, जेला राय मजदूरों ने कहा कि लॉकडाउन के कारण घर की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई थी कितु अब सुधार हो रहा है। मोहनपुर : यहां प्रवासी मजदूरों को मिल रहा काम

मोहनपुर प्रखंड में आए प्रवासी मजदूरों को मनरेगा में काम दिया जा रहा है। लोढि़या गांव में बाहर से आये मजदूर जो घर में ही क्वारंटाइन पर थे उन्हें गांव में बिरसा हरित ग्राम योजना से लगाये जा फलदार पौधों के लिए गड्ढा खोदाई से जोड़ा गया है। यहां शारीरिक दूरी के साथ काम किया जा रहा है। बरगच्छा गांव में जल समृद्धि योजना के तहत टीसीबी कार्य में मजदूर लगे थे लेकिन यहां के मजदूर मास्क लगाकर काम नहीं कर रहे थे। मजदूरों ने बताया कि उन्हें मास्क नहीं मिला है। सारवां : 390 योजनाएं संचालित, प्रवासी भी कर रहे काम

सारवां में 9000 मजदूर निबंधित हैं। इसमें 1881 मजदूर काम कर रहे हैं। इसमें स्थानीय मजदूर के साथ प्रवासी मजदूर भी काम कर रहे हैं। बीपीओ अनूप कुमार राय ने बताया कि क्षेत्र में 390 योजना स्वीकृत है। कार्य स्थल पर शारीरिक दूरी का पालन हो इसके लिए भी मजदूरों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। मास्क व सैनिटाइजर के इस्तेमाल के बारे में भी बताया जा रहा है। सारठ : 10 दिनों से काम कर रहे लेकिन भुगतान

लॉकडाउन के बाद योजना बंद हो जाने से मनरेगा मजदूरों के समक्ष परेशानी खड़ी हो गई थी। पिछले 10 दिन से मनरेगा योजना शुरू होने से मजदूरों को काम मिल रहा है। डिडाकोली पंचायत के बभनडीहा मौजा में लाभुक उषा देव्या की जमीन पर आठ मजदूर काम कर रहे थे। मजदूर मास्क नहीं लगाए थे। शारीरिक दूरी का अनुपालन भी नहीं किया जा रहा था। मजदूर हलधर मंडल, वकील टुडू, अशोक मंडल, टेम्पू मंडल ने कहा कि बीते 10 दिन से काम कर रहे है लेकिन अभी भुगतान नहीं हुआ है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.