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पहले काम मांगते थे, अब 25 को देते रोजगार

अमित सोनी देवघर बरमसिया के रहने वाले 30 वर्षीय अंजन कुमार महथा आज किसी परिचय के मोहत

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 07:00 AM (IST)
पहले काम मांगते थे, अब 25 को देते रोजगार

अमित सोनी, देवघर : बरमसिया के रहने वाले 30 वर्षीय अंजन कुमार महथा आज किसी परिचय के मोहताज नहीं। आज वो एक सफल चप्पल व्यवसायी हैं। गिधनी स्थित इनकी फैक्ट्री में तैयार हवाई चप्पल व सैंडिल की मांग ना केवल देवघर, गोड्डा, साहेबगंज, दुमका, जामताड़ा, पाकुड़ बल्कि बिहार के जमुई, बांका, सुल्तानगंज व बंगाल के सीमावर्ती इलाके में भी होने लगी है। एक वक्त था जब उन्हें दो वक्त की रोटी की जुगाड़ के लिए जहां-तहां भटकना पड़ता था।

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अंजन बताते हैं कि वर्ष 2009 में पिता हीरा लाल चौधरी की मौत के बाद बड़े भाई टारजन कुमार महथा ने पूरे घर को संभाला। वे प्राइवेट वाहन चलाकर पांच-छह हजार रूपये माहवार कमाते थे। इसी पर पूरा परिवार निर्भर करता था। आर्थिक तंगी की वजह से इंटर के बाद मजबूरन आगे की पढ़ाई को छोड़नी पड़ी। काम की तलाश में कई जगह भटके, लेकिन कहीं भी काम नहीं मिला। इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया योजना के तहत लोकल फॉर वोकल के बारे में जानकारी मिली। पीएम की योजना से प्रेरित होकर वह खुद का व्यवसाय करने का मन बना लिया, लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

उनके मित्र सुनील कुमार दास ने उन्हें चप्पल व्यवसाय के बारे में बताया। पहले दो मजदूर के साथ मिलकर चप्पल बनाने का काम शुरू किया। उसके द्वारा बनाए गए चप्पल की मांग बढ़ने लगी। तब उसने उद्योग विभाग से ऋृण लिया। आज की तारीख में उसके पास 20-25 से अधिक लोग काम कर रहे हैं। ये सभी मजदूर लॉकडाउन के दौरान वापस अपने घर आ गए थे। यहां उन्हें काम की तलाश थी। वर्तमान में उसकी फैक्ट्री में डिजाइनर, मार्केटिग से जुड़े कई पढ़े-लिखे युवा भी कार्यरत हैं। अंजन ने छोटे स्तर पर चप्पल बनाने का काम शुरू किया था, जो आज एक फैक्ट्री का रूप ले चुकी है। यहां प्रतिदिन न्यूनतम 150-200 जोड़ा चप्पल का उत्पादन होता है। मांग के अनुसार उत्पादन बढ़ाया भी जाता है। यहां डिजाइन किए हुए चप्पल बनाए जाते हैं। अंजन ने हिल केयर के नाम से अपने ब्रांड का रजिस्ट्रेशन भी करा चुका है।


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