मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं ने बाबा मंदिर में किया जलार्पण
मकर संक्रांति पर बुधवार को बाबा मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। कुंभ मेला शुरू हो जाने के चलते बाहरी यात्रियों की संख्या वनिस्पत कम रही। स्थानीय लोग खासकर पंडा समाज के प्राय घरों से सदस्यों ने हाजिरी लगाई।
देवघर : मकर संक्रांति पर बुधवार को बाबा मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। कुंभ मेला शुरू हो जाने के चलते बाहरी यात्रियों की संख्या वनिस्पत कम रही। स्थानीय लोग खासकर पंडा समाज के प्राय: घरों से सदस्यों ने हाजिरी लगाई। जिला प्रशासन व मंदिर प्रबंधन द्वारा सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया था। जिससे श्रद्धालुओं को जलार्पण करने में कोई परेशानी नहीं हुई। सुबह में बाबा को तिल गुड़ चढ़ा जबकि दोपहर में अनिल श्रृंगार परिवार ने दुर्गा मंडप में उड़द दाल की खिचड़ी बनाई गई, जिसे श्रीयंत्र मंदिर में भोग लगाया गया। उसके बाद प्रसाद का वितरण श्रद्धालुओं के बीच किया गया। कांचाजल के बाद शिवलिग पर लगाया फुलेल का लेप : बाबा मंदिर की पूजा व्यवस्था प्राचीन काल से चली आ रही है। बुधवार को पुरोहित रिकू झा ने पट खुलने के बाद प्रात:कालीन बाबा बैद्यनाथ की पूजा की। कांचाजल के बाद शिवलिग पर फुलेल का लेप लगाया। फुलेल के बाद षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू हुई। पुरोहित ने पुष्प हाथ में लेकर ध्यान किया। इसके बाद यजुर्वेद के पांचवें अध्याय के सोलह मंत्र का जप करते हुए चांदी के पात्र से बाबा का जलाभिषेक किया गया। जलाभिषेक के बाद स्वागत पुष्प के तौर पर छह पुष्प चढ़ाया गया। पंचामृत से पूजा की गई। मिट्टी के पात्र से जल चढ़ाया गया। नया वस्त्र से पोछा गया। इसके बाद इत्र लगाया गया और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ हुआ। इत्र के बाद चंदन का लेप। चावल चढ़ाकर पुष्प एवं माला अर्पित किया गया। उसके बाद बाबा को तिल एवं गुड़ चढ़ाया गया। इसके बाद दिनभर श्रद्धालुओं ने बाबा की पूजा की।
बाजार में दिखी चहल-पहल
संस, करौं (देवघर): प्रखंड मुख्यालय समेत आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में मकर संक्रांति पर्व धूमधाम से मनाया गया। पर्व को लेकर बाजार में चहल-पहल देखी गई। अहले सुबह ही बच्चे और बड़े बुजुर्गों ने तालाब व नदी में स्नान कर विभिन्न मंदिरों में पूजा की। पूजा में तिल, अरवा चावल, गुड़ चढ़ाया गया। इसके बाद सभी लोगों ने चूड़ा-दही खाया। इस दिन गुल्ली-डंडा, पतंगबाजी समेत अन्य खेल का आयोजन भी किया गया। शास्त्र के अनुसार पर्व के दिन यज्ञ में दिए गए द्रव्यों को ग्रहण करने के लिए देवतागण धरती पर अवतरित होते हैं। पर्व में लोगों द्वारा खिचड़ी, कंबल, वस्त्र, फल, चावल, तिल व गुड़ आदि का दान किया जाता है। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। प्रखंड के मांझतर व बसकूपी में मेला का आयोजन किया जाएगा।